भारत का समुद्री क्षेत्र विझिंजम अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह के हाल के विकास के साथ परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जो देश का प्रथम गहरे जल का कंटेनर ट्रांसशिपमेंट बंदरगाह है।
भारत में संसदीय निगरानी की प्रभावशीलता पर प्रायः प्रश्न उठाए जाते हैं, जबकि संविधान विधायी जाँच के लिए एक मजबूत ढाँचा प्रदान करता है। इस तंत्र को सशक्त बनाना पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और सुसाशन के लिए आवश्यक है।
भारत में निजी सदस्य विधेयक (Private Member's Bill) प्रणाली, जो प्रगतिशील कानूनों को प्रस्तुत करने की क्षमता रखती है, वर्षों से धीरे-धीरे कमजोर होती गई है। इसका कारण लगातार व्यवधान, स्थगन और सरकारी कार्यों को प्राथमिकता देना है।
हाल ही में, टाटा ट्रस्ट्स द्वारा अन्य संगठनों के सहयोग से इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (IJR) 2025 जारी की गई, जिसमें इस बात पर बल दिया गया है कि किस प्रकार विलंब, अत्यधिक भीड़ और जवाबदेही की कमी ने लाखों नागरिकों के लिए न्याय को दुर्गम बना दिया है।
भारत को अपशिष्ट प्रबंधन में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें प्लास्टिक प्रदूषण और अप्रसंस्कृत ठोस अपशिष्ट शामिल हैं। इस संकट के समाधान के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
लोकसभा के उपाध्यक्ष का पद, जो एक महत्त्वपूर्ण संवैधानिक संस्था है, 2019 में 17वीं लोकसभा के गठन के बाद से रिक्त पड़ा है। यह लम्बे समय से रिक्त पद संवैधानिक भावना का उल्लंघन करता है, संस्थागत संतुलन को बाधित करता है, तथा संसदीय लोकतंत्र के चरित्र को कमजोर करता है।
हाल ही में, विश्व बैंक द्वारा जारी भारत पर गरीबी और समानता संबंधी संक्षिप्त रिपोर्ट भारत के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य की एक जटिल तस्वीर प्रस्तुत करती है, तथा व्यापक आर्थिक असमानता और सामाजिक-आर्थिक प्रवृत्तियों को पकड़ने में आँकड़ों की विश्वसनीयता के बारे में प्रश्न उठाती है।
हाल के वर्षों में विश्व व्यापार संगठन (WTO) की प्रासंगिकता को संस्थागत ठहराव, रुकी हुई वार्ताएँ और बढ़ते संरक्षणवाद के कारण प्रश्नों के घेरे में रखा गया है।
पहलगाम में हाल में हुआ आतंकवादी हमला भारत के लिए कई मोर्चों पर चुनौती प्रस्तुत करता है, क्योंकि इससे आर्थिक पुनरुद्धार और सामान्यीकरण के प्रयासों पर खतरा मंडरा रहा है, तथा खुफिया एवं सुरक्षा उपायों में लंबे समय से चली आ रही चूक भी प्रकट होती है।