भारत ने अपने वैश्विक आर्थिक साझेदारियों को विविध बनाने के प्रयासों को तीव्र कर दिया है और अब वह भारत–मध्य पूर्व–यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) जैसे बड़े पैमाने के संपर्क परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
समानता और न्याय की संवैधानिक गारंटी के बावजूद, ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरी संस्थानों तक जाति आधारित अत्याचार, अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के विरुद्ध भेदभाव तथा हिंसा, भारत के सामाजिक व्यवस्था को प्रभावित कर रही है।
सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, जिसने कभी एक सामान्य भारतीय को शासन की असाधारण अपारदर्शिता को चुनौती देने का अधिकार दिया था, आज इसकी शक्ति, शासन और अन्य पहलुओं में क्षरण की चुनौतियों का सामना कर रहा है।
स्वतंत्रता दिवस संबोधन 2025 में प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि भारत की उभरती जनसांख्यिकीय चुनौतियों से निपटने और अवैध प्रवासन को नियंत्रित करने के लिए एक उच्च-शक्ति जनसांख्यिकीय मिशन शुरू किया जाएगा।
प्रत्येक वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है — यह मानसिक बीमारियों के वैश्विक भार की याद दिलाता है, जो एक अरब से अधिक लोगों को प्रभावित करता है।
वर्तमान वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, जो संरक्षणवादी उपायों और व्यापारिक विकृतियों से चिह्नित है, एक समावेशी आर्थिक प्रणाली की आवश्यकता को दर्शाती है — ऐसी प्रणाली जो निजी पूंजीगत हितों के साथ-साथ सार्वजनिक कल्याण को प्राथमिकता देती है।
हाल ही में दूषित कफ सिरप से जुड़ी दुखद घटनाओं और उसके परिणामस्वरूप कई बच्चों की मृत्यु ने भारत की ‘विश्व की फार्मेसी’ की प्रतिष्ठा की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।