सामाजिक मंचों का पतन” या “सामाजिक प्लेटफ़ॉर्मों का ह्रास (Degradation of Social Platforms)

पाठ्यक्रम GS2/राजव्यवस्था और शासन

संदर्भ

  • ‘एनशिटिफिकेशन(Enshittification)’ एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग तीव्रता से यह बताने के लिए किया जा रहा है कि कैसे आपकी डिजिटल अनुभव, सेवाएं और लेन-देन समय के साथ खराब होते जा रहे हैं।

एनशिटिफिकेशन (Enshittification) क्या है?

  • 2022 में, कनाडा में जन्मे लेखक और कार्यकर्ता कोरी डॉक्टरो ने “एनशिटिफिकेशन(Enshittification)” शब्द गढ़ा। 
  • यह उस प्रणालीगत गिरावट को दर्शाता है जो डिजिटल प्लेटफ़ॉर्मों की गुणवत्ता और निष्पक्षता में आती है, जब टेक कंपनियाँ अधिकतम लाभ कमाने के लिए कार्य करती हैं।
  • यह तब होता है जब प्लेटफ़ॉर्म:
    • शुरुआत में उपयोगकर्ताओं को प्राथमिकता देते हैं ताकि बड़ा यूज़र बेस तैयार हो सके।
    • फिर राजस्व बढ़ाने के लिए व्यापारिक ग्राहकों (विज्ञापनदाता, विक्रेता, साझेदार) पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
    • अंततः उपयोगकर्ताओं और व्यापारिक ग्राहकों — दोनों का अधिकतम लाभ निकालने के लिए शोषण करते हैं, जिससे प्लेटफ़ॉर्म का पतन या गिरावट शुरू हो जाती है।

प्लेटफ़ॉर्म एनशिटिफिकेशन (Enshittification) का उपयोग कैसे करते हैं?

  • मेटा के स्वामित्व वाला फेसबुक: शुरुआत में यह उपयोगकर्ताओं को जोड़ने और सेवा देने के लिए था, लेकिन अब उपयोगकर्ता, विज्ञापनदाता और प्रकाशक — सभी इसमें फंसे हुए हैं।
  • इंस्टाग्राम: उपयोगकर्ताओं की फ़ीड में बिना अनुमति के विज्ञापन और अनुशंसित सामग्री भर दी जाती है।
  • यूट्यूब: अब मुफ्त अनुभव को कई अनस्किपेबल विज्ञापनों से भर दिया गया है, जिससे उपयोगकर्ता को प्रीमियम सेवा खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है।
  • X (पूर्व में ट्विटर): पहले यहाँ सत्यापित प्रमुख व्यक्ति अपने दर्शकों से जुड़ सकते थे।
    • अब कोई भी व्यक्ति पैसे देकर ब्लू टिक खरीद सकता है, जिससे प्रामाणिक संवाद पर प्रभाव पड़ा है।
  • गूगल ब्राउज़र: अब यह जनरेटिव एआई-आधारित ओवरव्यू दिखाता है जो विभिन्न स्रोतों से एआई-जनित सारांश पहले प्रस्तुत करता है, जिससे त्रुटियों की संभावना बढ़ जाती है।

चिंताएं

  • डेटा एकाधिकार: प्लेटफ़ॉर्म उपयोगकर्ता कल्याण के बजाय लाभ के लिए डेटा का उपयोग करते हैं।
  • प्रतिस्पर्धा का विकृति: प्रमुख प्लेटफ़ॉर्म छोटे प्रतिस्पर्धियों को दबाते हैं और अपने ही उत्पादों को प्राथमिकता देते हैं।
  • विश्वास की हानि: उपयोगकर्ता डिजिटल सेवाओं की प्रामाणिकता और निष्पक्षता पर संदेह करते हैं क्योंकि एल्गोरिदम यह तय करते हैं कि उन्हें क्या दिखेगा, जिससे उनकी पसंद एवं स्वतंत्रता सीमित होती है।
  • डिजिटल विभाजन गहराता है: गुणवत्तापूर्ण जानकारी और विज्ञापन-मुक्त अनुभव अब एक विशेषाधिकार बनते जा रहे हैं।
  • गोपनीयता और डेटा शोषण: अत्यधिक डेटा संग्रह और ट्रैकिंग का उपयोग विज्ञापन राजस्व अधिकतम करने के लिए किया जाता है।
  • हेरफेर: खोज परिणाम और अनुशंसाएं प्लेटफ़ॉर्म के अपने हितों की ओर झुकी होती हैं।
  • डिजिटल थकान: निरंतर विज्ञापन, एल्गोरिदमिक हेरफेर और प्रामाणिकता की कमी से उपयोगकर्ता निराश होते हैं और “डिजिटल बर्नआउट” का अनुभव करते हैं।
  • दीर्घकालिक प्लेटफ़ॉर्म अस्थिरता: जब प्लेटफ़ॉर्म उपयोगकर्ताओं और व्यवसायों दोनों का अत्यधिक शोषण करते हैं, तो वे अंततः अपनी विश्वसनीयता समाप्त कर लेते हैं तथा विफल हो जाते हैं — इसे “डिजिटल क्षय” चक्र कहा जा सकता है।

सरकारी पहलें

  • डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक (ड्राफ्ट, 2024): इसका उद्देश्य बड़ी टेक कंपनियों द्वारा की जाने वाली प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं को रोकना है और आत्म-प्राथमिकता, डेटा दुरुपयोग एवं गेटकीपिंग पर अंकुश लगाना है।
  • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) अधिनियम, 2023: यह उपयोगकर्ताओं के लिए डेटा संरक्षण अधिकार स्थापित करता है और सहमति-आधारित डेटा प्रोसेसिंग एवं दुरुपयोग पर दंड का प्रावधान करता है।
  • प्रतिस्पर्धा (संशोधन) अधिनियम, 2023: यह भारत की प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की शक्तियों को सुदृढ़ करता है।
    • यह डिजिटल बाजार में एकाधिकार को लक्षित करता है और प्रतिस्पर्धा-विरोधी आचरण की तीव्र जांच को सक्षम बनाता है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021: इसमें शिकायत निवारण, ट्रेसबिलिटी और सामग्री मॉडरेशन में पारदर्शिता अनिवार्य की गई है।
    • यह उपयोगकर्ता को हानि या गलत सूचना के लिए प्लेटफ़ॉर्म की जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
  • ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC): यह ई-कॉमर्स को लोकतांत्रिक बनाने के लिए एक खुला, इंटरऑपरेबल नेटवर्क बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • डिजिटल इंडिया पहल: यह समावेशी डिजिटल पहुंच, साइबर सुरक्षा और डिजिटल साक्षरता पर केंद्रित है — जिससे नागरिकों को सूचित डिजिटल विकल्प लेने में सक्षम बनाया जा सके।

आगे की राह

  • एनशिटिफिकेशन(Enshittification) को रोकने के लिए सरकारों को डिजिटल प्रतिस्पर्धा और डेटा संरक्षण कानूनों को सुदृढ़ करना चाहिए, और एल्गोरिदम में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए।
  • प्लेटफ़ॉर्मों को उपयोगकर्ता-केंद्रित डिज़ाइन सिद्धांत अपनाने चाहिए और नैतिक एआई प्रथाओं को बढ़ावा देना चाहिए।
  • ओपन-सोर्स विकल्पों और इंटरऑपरेबल डिजिटल इकोसिस्टम को प्रोत्साहित करने से एकाधिकार नियंत्रण कम हो सकता है।
  • अंततः, डिजिटल साक्षरता और उपभोक्ता जागरूकता को बढ़ावा देना उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाएगा।

Source: TH

 

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