खाद्य क्षति और बर्बादी/ फूड लाॅस एंड वेस्ट

पाठ्यक्रम: GS3/SDGs

संदर्भ

  • 29 सितंबर को विश्व भर में  फूड लाॅस एंड वेस्ट  के प्रति जागरूकता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (IDAFLW) मनाया जाता है।

परिचय

  • 2019 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित कर फूड लाॅस एंड वेस्ट के प्रति जागरूकता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (IDAFLW) घोषित किया। 
  • एसडीजी 12 का उद्देश्य सतत उपभोग और उत्पादन के पैटर्न सुनिश्चित करना है।
    • लक्ष्य 12.3 का उद्देश्य “2030 तक खुदरा और उपभोक्ता स्तर पर प्रति व्यक्ति वैश्विक फूड वेस्ट को आधा करना तथा उत्पादन एवं आपूर्ति श्रृंखला में खाद्य क्षति को कम करना” है।

फूड लाॅस एंड वेस्ट क्या है? 

  • खाद्य अपव्यय में खाद्य आपूर्ति श्रृंखला से निकाले गए खाद्य और अखाद्य भाग शामिल हैं, जो विनिर्माण और उपभोक्ता बाजारों से लेकर रेस्तरां एवं घरों तक फैले हुए हैं।
  • खराब भंडारण, परिवहन और हैंडलिंग जैसी समस्याओं के कारण आपूर्ति श्रृंखला में खाद्य पदार्थों की हानि पहले ही हो जाती है।

फूड लाॅस एंड वेस्ट का पैमाना 

  • वैश्विक स्तर: अनुमानित 13% खाद्य — लगभग 1.25 अरब टन — 2021 में कटाई के बाद और उपभोक्ता बाजारों तक पहुंचने से पहले नष्ट हो गया (FAO, 2023)।
    • अनुमानित 19% खाद्य — लगभग 1.05 अरब टन — 2022 में घरों, खाद्य सेवा और उपभोक्ता बाजारों में बर्बाद हुआ (UNEP, 2024)।
    •  घर-परिवार वैश्विक फूड वेस्ट का 60% हिस्सा हैं (UNEP, 2024)।
  • भारत: भारत फूड वेस्ट करने वाले देशों में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।
    • हालांकि भारत में प्रति व्यक्ति घरेलू फूड वेस्ट (55 किलोग्राम प्रतिवर्ष) अन्य देशों की तुलना में कम है, लेकिन भारत की विशाल जनसंख्या के कारण कुल वेस्ट मात्रा अत्यधिक है। 
    • कटाई के बाद की क्षति से प्रत्येक वर्ष लगभग ₹1.5 लाख करोड़ की हानि होती है (~कृषि जीडीपी का 3.7%)।

फूड लाॅस एंड वेस्ट के कारण

  • कटाई की अक्षमताएँ: समय से पहले या देर से कटाई से गुणवत्ता और मात्रा दोनों में हानि होती है।
  • यंत्रीकरण की कमी: कटाई मशीनों की सीमित उपलब्धता से हानि और बिखराव होता है।
  • कीट और रोग का हमला: अपर्याप्त कीट नियंत्रण से फसल खराब होती है।
  • अव्यवस्थित अवसंरचना: कोल्ड चेन, गोदाम, नमी-रोधी साइलो की कमी से खाद्य वस्तुएं सड़ती हैं।
  • परिवहन बाधाएँ: सड़क अवसंरचना कमजोर है और रेफ्रिजरेटेड परिवहन की कमी है।
  • सांस्कृतिक व्यवहार: लोग ताजे उत्पादों को प्राथमिकता देते हैं और दाग-धब्बों वाले उत्पादों को नही खरीदते हैं।
  • घरेलू फ़ूड वेस्ट  का कारण अधिक खरीदारी, खराब भोजन योजना, सीमित भंडारण और अधिक पकाने की आदतें हैं।
    • शहरी क्षेत्रों में उपभोक्ता बाजारों में बर्बादी का कारण खराब रेफ्रिजरेशन और कम शेल्फ लाइफ है।

फूड लाॅस एंड वेस्ट की चिंताएँ

  • भारत में जटिल चुनौती: प्रत्येक वर्ष अनुमानित 78 मिलियन टन खाद्य पदार्थ फेंक दिए जाते हैं, जबकि 20 करोड़ से अधिक भारतीय भूखे सोते हैं।
    • विश्व के सबसे बड़े खाद्य उत्पादकों में से एक होने के बावजूद, भारत को उत्पादन की प्रचुरता और खाद्य असुरक्षा की निरंतरता की जटिल चुनौती का सामना करना पड़ता है।
  • प्रत्यक्ष जीडीपी हानि: भारत में फूड लाॅस एंड वेस्ट से प्रत्येक वर्ष ₹1.5 लाख करोड़ की जीडीपी हानि होती है, जिसे अधिक कुशल और लचीली खाद्य प्रणालियों के माध्यम से टाला जा सकता है।
  • किसानों की आय: उत्पाद के खराब होने और बर्बादी से लाभप्रदता घटती है।
  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन: अनाजों, विशेष रूप से धान में मामूली प्रतिशत की क्षति भी प्रत्येक वर्ष 10 मिलियन टन से अधिक CO₂ समतुल्य उत्सर्जन करती है, क्योंकि चावल की मीथेन तीव्रता अधिक होती है।
    • पशु उत्पादों की क्षति भी उतनी ही हानिकारक होती है क्योंकि उनका संसाधन पदचिह्न भारी होता है।
  • सरकारी योजनाओं पर भार: फ़ूड वेस्ट का प्रभाव सार्वजनिक वितरण प्रणाली, पोषण मिशनों जैसी सरकारी खाद्य सुरक्षा योजनाओं पर भी पड़ता है।
  • संसाधनों की हानि: इन खाद्य फसलों का उत्पादन जल आपूर्ति, ऊर्जा, उर्वरक, भूमि और श्रम का समेकित परिणाम होता है।
    • नष्ट हुआ भोजन, बर्बाद हुए जल, ऊर्जा, उर्वरक और भूमि आदि के बराबर है।

सरकारी पहलें 

  • प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY): इसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण अवसंरचना को बढ़ाना है ताकि कटाई के बाद की क्षति को कम किया जा सके और किसानों की आय बढ़ाई जा सके।
    • घटक:
      • मेगा फूड पार्क और कोल्ड चेन सुविधाओं की स्थापना।
      • कृषि प्रसंस्करण क्लस्टर और खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं को समर्थन।
      • सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए क्रेडिट-लिंक्ड पूंजी सब्सिडी।
  • इंडियन फूड शेयरिंग एलायंस (IFSA):
    • कार्यान्वयन एजेंसी: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI)।
    • उद्देश्य: खाद्य दान को बढ़ावा देना और आपूर्ति श्रृंखला में फ़ूड वेस्ट को कम करना।
    • खाद्य व्यवसायों, एनजीओ और नागरिकों को जोड़ता है ताकि अधिशेष खाद्य का सुरक्षित पुनर्वितरण किया जा सके।
  • शून्य बर्बादी
  • , शून्य भूख पहल: असम के तिनसुकिया नगर बोर्ड का कार्यक्रम।
    • दृष्टिकोण: होटलों और रेस्तरां से अधिशेष, स्वच्छ खाद्य एकत्र करता है।
    • उसे पुनः पैक कर बेघर लोगों को वितरित करता है।
  • खाद्य पुनर्प्राप्ति अभियानों का प्रचार: “सेव फूड, शेयर फूड, शेयर जॉय” अभियान (FSSAI)।
    • यह नागरिकों और व्यवसायों को अधिशेष खाद्य दान करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
    • खाद्य पुनर्प्राप्ति एजेंसियों को समन्वय करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
  • MoFPI विभिन्न मुद्दों पर FSSAI के साथ समन्वय करता है, जैसे प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता और मानक।

आगे की राह 

  • फ़ूड लॉस एंड वेस्ट केवल दक्षता का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह जलवायु न्याय, स्थिरता और समानता का भी विषय है। 
  • भारत के लिए, इसका समाधान तीन लाभ प्रदान करता है — खाद्य सुरक्षा को बढ़ाना, किसानों की आजीविका को सुदृढ़ करना और जलवायु प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ाना। 
  • फ़ूड लॉस एंड वेस्ट के प्रति जागरूकता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (IDAFLW) यह दर्शाता है कि भोजन बचाना मतलब संसाधन बचाना, जलवायु की रक्षा करना और किसानों व उपभोक्ताओं की गरिमा सुनिश्चित करना है।

Source: TH

 

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