भारत-बांग्लादेश संबंधों का भविष्य: विदेश मंत्रालय पर संसदीय समिति

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संदर्भ

  • विदेश मामलों पर संसदीय स्थायी समिति की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत 1971 के मुक्ति युद्ध के बाद से बांग्लादेश में अपनी सबसे गंभीर रणनीतिक चुनौती का सामना कर रहा है।

रिपोर्ट की प्रमुख बातें

  • 2024 शासन परिवर्तन के बाद रणनीतिक चुनौती: भारत 1971 के मुक्ति युद्ध के बाद से बांग्लादेश में अपनी ‘सबसे बड़ी रणनीतिक चुनौती’ का सामना कर रहा है।
    • प्रधानमंत्री शेख हसीना को 2024 में सत्ता से हटाए जाने से दोनों देशों के बीच एक दशक लंबा रणनीतिक सामंजस्य बाधित हुआ।
    • मामला जटिल तब हो गया जब नवंबर 2025 में हसीना को मृत्यु की सज़ा सुनाई गई, और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने उन पर एवं उनके सहयोगियों पर देश के कुछ हिस्सों में अशांति भड़काने का आरोप लगाया।
  • बाहरी शक्तियों का बढ़ता प्रभाव: रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि बांग्लादेश में चीनी और तुर्की प्रभाव बढ़ रहा है, विशेषकर बुनियादी ढाँचे और रक्षा क्षेत्रों में, जो भारत की पारंपरिक रणनीतिक पकड़ को कमजोर कर सकता है।
  • ढाका में नई राजनीतिक व्यवस्था का उदय: अंतरिम सरकार ने सभी अवामी लीग की राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है, और पार्टी को फरवरी 2026 के चुनावों में भाग लेने से रोक दिया गया है।
    • नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) उभरी है, जिसका नेतृत्व छात्र कार्यकर्ताओं ने किया जिन्होंने हसीना के विरुद्ध आंदोलन का नेतृत्व किया। इससे बांग्लादेश की राजनीति और अर्थव्यवस्था में चीनी और पाकिस्तानी प्रभाव के लिए रास्ते खुले हैं।
  • भारत के लिए घटती रणनीतिक जगह: बांग्लादेश की नई सरकार ने अधिक राष्ट्रवादी और कम भारत-हितैषी दृष्टिकोण अपनाया है, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में स्पष्ट ठंडापन आया है।
    • भारत-विरोधी भावनाएँ बढ़ी हैं, और सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों ने भारतीय राजनयिक मिशनों को निशाना बनाया है, जिसमें दिसंबर 2025 में ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग पर एक बड़ा प्रदर्शन शामिल है।
  • कनेक्टिविटी और आर्थिक सहयोग पर संकट: भारत ने 2024 में बहु-आयामी कनेक्टिविटी, ऊर्जा सहयोग और व्यापार एकीकरण को संबंधों के स्तंभ के रूप में महत्व दिया था।
    • भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन और सीमा-पार रेल लिंक जैसे प्रोजेक्ट गहरे होते संबंधों के प्रतीक माने जाते थे, जो अब राजनीतिक बदलावों के कारण जोखिम में हैं।
  • क्षेत्रीय और सुरक्षा निहितार्थ: बांग्लादेश भारत की ‘पड़ोस प्रथम’ और ‘एक्ट ईस्ट’ नीतियों के साथ-साथ उसके इंडो-पैसिफिक दृष्टिकोण के लिए महत्वपूर्ण है।
    • 4,096 किमी लंबी साझा सीमा सीमा प्रबंधन, आतंकवाद-रोधी उपायों और प्रवासन पर सहयोग को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए आवश्यक बनाती है।
  • गंगा जल संधि और द्विपक्षीय संवाद: समिति ने गंगा जल संधि पर चर्चा की, जिसका नवीनीकरण दिसंबर 2026 में होना है।
    • बांग्लादेश के साथ कोई औपचारिक चर्चा शुरू नहीं हुई है, जबकि भारत ने राज्य सरकारों के साथ परामर्श शुरू कर दिया है।
    • समिति ने 2026 के बाद जल-वितरण व्यवस्था में किसी भी शून्य को रोकने के लिए प्रारंभिक द्विपक्षीय संवाद की सिफारिश की है, और दीर्घकालिक स्थिरता के लिए खुले संचार चैनलों को बनाए रखने पर बल दिया है।
भारत–बांग्लादेश संबंध: एक अवलोकन
ऐतिहासिक संदर्भ: भारत 1971 में स्वतंत्रता के पश्चात बांग्लादेश को मान्यता देने वाला प्रथम देश था।
1972 की मैत्री, सहयोग और शांति संधि और उसके बाद राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक एवं सांस्कृतिक आयामों को समेटते हुए व्यापक साझेदारी का विकास हुआ।
रक्षा और सुरक्षा सहयोग: दोनों देशों की सेनाओं के बीच सुदृढ़ सैन्य आदान-प्रदान, जैसे ‘सम्प्रिति’ और ‘बोंगो सागर’ संयुक्त अभ्यास।मुक्तिजोद्धा (स्वतंत्रता सेनानी) कार्यक्रमों का नवीनीकरण: छात्रवृत्तियाँ और चिकित्सा योजनाएँ 2027 तक बढ़ाई गईं।
पुलिस, भ्रष्टाचार-रोधी, मादक पदार्थों की तस्करी, नकली मुद्रा और मानव तस्करी के मुद्दों पर सहयोग।
सीमा सुरक्षा बलों और मादक पदार्थ-रोधी एजेंसियों के बीच नियमित डीजी-स्तरीय वार्ता।
कनेक्टिविटी सहयोग:
रेलवे कनेक्टिविटी: 1965 से पूर्व की 6 सीमा-पार रेल लिंक का पुनर्वास, और तीन यात्री ट्रेनें—मैत्री, बंधन तथा मिताली एक्सप्रेस—संचालन में।
सड़क और अंतर्देशीय जलमार्ग: पाँच बस मार्ग भारतीय शहरों (कोलकाता, अगरतला, गुवाहाटी) को ढाका और खुलना से जोड़ते हैं।बंदरगाह कनेक्टिविटी: चिट्टागोंग और मोंगला बंदरगाह भारतीय पारगमन उपयोग के लिए (2023) खोले गए, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत एवं परिवहन समय कम हुआ।
BBIN मोटर वाहन समझौते (MVA) का विस्तार: पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश में लॉजिस्टिक्स में सुधार।
ढाका–कोलकाता एक्सप्रेस कार्गो कॉरिडोर की योजना।
आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध: बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है; भारत एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा साझेदार है।
वित्तीय वर्ष 2023–24 का व्यापारिक आँकड़ा: 14.01 अरब अमेरिकी डॉलर, जिसमें भारत को बांग्लादेश का निर्यात 1.97 अरब अमेरिकी डॉलर।
ऊर्जा और बिजली सहयोग: बांग्लादेश भारत से 1,160 मेगावाट विद्युत आयात करता है।
पावर पर संयुक्त कार्य समूह/स्टीयरिंग समिति सीमा-पार विद्युत व्यापार का प्रबंधन करती है।
मैत्री सुपर थर्मल पावर प्लांट चालू।
भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन (2023) उच्च गति डीज़ल का परिवहन करती है।
भारतीय कंपनियाँ—ONGC विदेश लिमिटेड, ऑयल इंडिया और IOCL—ऊर्जा सहयोग में शामिल।
विकास साझेदारी: बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा विकास साझेदार है, जिसमें 8 अरब अमेरिकी डॉलर की क्रेडिट लाइनें हैं।परियोजनाओं में सड़कें, रेलमार्ग, बंदरगाह और शिपिंग अवसंरचना शामिल हैं।
77 पूर्ण और 16 चल रही उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाएँ (HICDPs) जिनकी कीमत 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।
मानव संसाधन विकास ITEC प्रशिक्षण, छात्रवृत्तियाँ और सिविल सेवकों, पुलिस एवं पेशेवरों के लिए क्षमता-विकास कार्यक्रमों के माध्यम से
1,000 ‘सुवर्ण जयंती छात्रवृत्तियाँ’ और भारतीय अध्ययन हेतु बांग्लादेशी छात्रों के लिए समर्पित पोर्टल।

Source: TH


 

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