51वां G7 शिखर सम्मेलन

पाठ्यक्रम: GS2/IR

संदर्भ 

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा के कानानास्किस में आयोजित G-7 आउटरीच शिखर सम्मेलन में G7 नेताओं के साथ प्रमुख वैश्विक चुनौतियों पर सार्थक विचार-विमर्श किया।

परिचय

  •  इस वर्ष का G-7 आउटरीच शिखर सम्मेलन, जिसकी मेज़बानी कनाडा कर रहा है, तीन मुख्य स्तंभों पर आधारित है: “विश्व भर में हमारे समुदायों की सुरक्षा”, “ऊर्जा सुरक्षा का निर्माण एवं डिजिटल परिवर्तन में तेजी लाना” और “भविष्य की साझेदारियों को सुनिश्चित करना”। 
  • 2025 में, G7 साझेदार अपनी 50 वर्षों की साझेदारी और सहयोग को चिह्नित कर रहे हैं।
  •  यह प्रधानमंत्री का लगातार छठा G-7 शिखर सम्मेलन में भागीदारी थी। 
  • उन्होंने ‘ऊर्जा सुरक्षा: परिवर्तनशील विश्व में पहुंच और वहनीयता सुनिश्चित करने हेतु विविधीकरण, प्रौद्योगिकी और अवसंरचना’ विषय पर सत्र को संबोधित किया।
    • सस्ती, भरोसेमंद और सतत ऊर्जा सुनिश्चित करना भारत की प्राथमिकता है।
  •  भारत ने वैश्विक दक्षिण की प्राथमिकताओं को उजागर किया। 
  • शिखर सम्मेलन के अतिरिक्त, प्रधानमंत्री मोदी जर्मनी, कनाडा, यूक्रेन और इटली के नेताओं के साथ चार द्विपक्षीय बैठकों में भाग लेंगे।

G7 समूह 

  • G7 (सात का समूह) विश्व की सात उन्नत अर्थव्यवस्थाओं और यूरोपीय संघ का एक अनौपचारिक समूह है। 
  • इसके सदस्य वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा हेतु प्रतिवर्ष G7 शिखर सम्मेलन में मिलते हैं। 
  • G7 की स्थापना 1975 में तेल संकट के जवाब में हुई थी, जब फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका ने मिलकर G6 का गठन किया।
    • 1976 में कनाडा के शामिल होने से यह G7 बना। 
    • ये देश विश्व की जनसंख्या का लगभग 10% और वैश्विक GDP का लगभग 30% प्रतिनिधित्व करते हैं। 
    • यूरोपीय संघ को प्रेक्षक का दर्जा प्राप्त है और यह अध्यक्षीय भूमिका में शामिल नहीं होता। 
    • 1998 में रूस के शामिल होने से यह अस्थायी रूप से G8 बन गया था। 
    • 2014 में, समूह पुनः G7 प्रारूप में लौट आया। 
  • अधिदेश: G7 शिखर सम्मेलन में उठाए जाने वाले विषय प्रत्येक वर्ष विश्व की परिस्थितियों के अनुसार बदलते हैं। सामान्यतः चर्चा किए जाने वाले विषयों में शामिल हैं:
    • अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा
    • आर्थिक वृद्धि और महंगाई
    • जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा उपयोग
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता और प्रौद्योगिकी
    • स्वास्थ्य और भविष्य की महामारी प्रतिक्रिया
  • व्यापार नीति और आपूर्ति श्रृंखला इनका उद्देश्य केवल G7 देशों के लिए नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए समाधान खोजना है। G7 की बदलती प्राथमिकताएं अध्यक्ष देश द्वारा निर्धारित की जाती हैं। निर्णय आम सहमति से लिए जाते हैं।

G7 में भारत की बढ़ती भूमिका 

  • हालांकि भारत G7 का औपचारिक सदस्य नहीं है, फिर भी इसे एक शक्तिशाली और प्रभावशाली वैश्विक शक्ति के रूप में मान्यता प्राप्त है। 
  • भारत को 2003 से लगातार G7 सम्मेलनों में आउटरीच भागीदार के रूप में आमंत्रित किया गया है, जो इसकी आर्थिक और भू-राजनीतिक भूमिका की बढ़ती मान्यता को दर्शाता है। 
  • भारत को 2019 से प्रत्येक वर्ष G7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्रों में शामिल होने का आमंत्रण मिला है, और अब तक यह 11 बार से अधिक भाग ले चुका है। 
  • यह निरंतर आमंत्रण यह दर्शाता है कि भारत विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और वैश्विक दक्षिण की प्राथमिकताओं को उजागर करने वाली एक प्रमुख आवाज़ है।

G7 शिखर सम्मेलन क्यों महत्वपूर्ण है?

  •  आर्थिक प्रभाव: G7 में विश्व की कुछ सबसे बड़ी और उन्नत अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। इनकी साझा GDP और व्यापार का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। 
  • वैश्विक निर्णयों का प्रभाव: G7 सम्मेलनों में लिए गए निर्णयों का व्यापार, वित्तीय स्थिरता, जलवायु नीति और मानवीय प्रयासों पर दूरगामी प्रभाव हो सकता है। 
  • संकट समन्वय मंच: यह मंच वैश्विक संकटों — जैसे आर्थिक मंदी, महामारी, युद्ध और भू-राजनीतिक तनाव — के प्रति समन्वित अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। 
  • बहुपक्षीयता का प्रतीक: G7 बड़े देशों के बीच आपसी सहयोग और सहमति की संस्कृति का प्रतीक है, जो नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को सुदृढ़ करता है।

Source: PIB

 

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