होर्मुज जलडमरूमध्य
पाठ्यक्रम: GS1/समाचार में स्थान
संदर्भ
- ईरान ने हालिया संघर्ष के बीच होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने पर विचार करने की धमकी दी है, जिससे वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ गई है।
परिचय
- होर्मुज जलडमरूमध्य ईरान और ओमान के बीच स्थित एक महत्वपूर्ण संकीर्ण जलमार्ग है, जो फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है।
- एक जलडमरूमध्य वह संकीर्ण जलमार्ग होता है जो दो बड़े जल निकायों को जोड़ता है।

- जलडमरूमध्य के निकट स्थित प्रमुख बंदरगाह:
- ईरान का बंदर अब्बास: एक प्रमुख नौसेना और वाणिज्यिक बंदरगाह।
- यूएई का फुजैरा पोर्ट: एक महत्वपूर्ण तेल भंडारण और शिपिंग केंद्र।
- ओमान का सोहर पोर्ट: व्यापार और वैकल्पिक समुद्री मार्ग के लिए प्रयुक्त।
- कतर का रास लाफान: तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) निर्यात के लिए एक प्रमुख बंदरगाह।
- लगभग विश्व की 20% तेल आपूर्ति इस जलडमरूमध्य से होकर गुजरती है, जिसमें से लगभग 83% एशियाई बाज़ारों के लिए निर्यात होती है।
- यह सऊदी अरब, इराक, ईरान, कुवैत, कतर और यूएई जैसे प्रमुख उत्पादक देशों से ऊर्जा निर्यात के लिए मुख्य शिपिंग मार्ग है।
- भारत को इराक, सऊदी अरब और यूएई जैसे पश्चिम एशियाई आपूर्तिकर्ताओं से मिलने वाला अधिकांश तेल इसी होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर भारतीय बंदरगाहों तक पहुँचता है।
- इसके साथ ही, भारत का अधिकांश LNG आयात—जो मुख्यतः कतर से आता है—भी इसी महत्वपूर्ण चोक पॉइंट से होकर आता है।
- भारत की ऊर्जा आपूर्ति और सुरक्षा के लिए यह चोकपॉइंट अत्यंत महत्वपूर्ण है।
Source: IE
जनजातीय कल्याण योजनाओं पीएम जनमन और धरती आबा को आगे बढाने के लिए अभियान
पाठ्यक्रम :GS2/शासन
समाचार में
- जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 500 से अधिक जिलों में एक व्यापक जनसंपर्क अभियान शुरू किया है, जिसका लक्ष्य 1 लाख जनजातीय गाँवों को कवर करना है।
- यह अभियान दो प्रमुख योजनाओं — पीएम जनमन और धरती आंबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान — के माध्यम से जन कल्याण को द्वार-पर-सेवा के रूप में पहुँचाने पर केंद्रित है।
प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (PM-JANMAN)
- इसका घोषणा वर्ष 2023 में जनजातीय गौरव दिवस पर प्रधानमंत्री द्वारा की गई थी।
- यह एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) का समग्र विकास करना है।
- यह केंद्रीय क्षेत्रीय योजनाओं और केंद्र प्रायोजित योजनाओं का सम्मिलित रूप है और समावेशी विकास तथा सामाजिक न्याय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- यह विकसित गाँव, विकसित भारत की परिकल्पना में योगदान देता है।
- इस योजना का लक्ष्य तीन वर्षों में सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण तक बेहतर पहुँच, सड़क और टेलीकॉम कनेक्टिविटी, बिना विद्युत वाले घरों का विद्युतीकरण और सतत आजीविका के अवसर जैसी मूलभूत सुविधाएँ प्रदान करना है।
धरती आंबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान
- इसकी शुरुआत 2 अक्टूबर 2024 को की गई और यह प्रधानमंत्री मोदी के समावेशी विकास के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि प्रशासनिक लाभ प्रत्येक जनजातीय नागरिक तक पहुँचे।
- यह PM-JANMAN की सफलता पर आधारित है और 17 मंत्रालयों तथा 25 हस्तक्षेपों के सहयोग से एक बहु-क्षेत्रीय पहल है, जिसका उद्देश्य जनजातीय गाँवों को सुअवसर और सम्मान के केंद्र में बदलना है, और जनजातीय समुदायों को भारत के विकास के केंद्र में लाना है।
| क्या आप जानते हैं? – जनजातीय गौरव दिवस प्रत्येक वर्ष 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की स्मृति में मनाया जाता है। वर्ष 2024 में उनकी 150वीं जयंती मनाई गई थी। |
Source :IE
एकतरफा बलपूर्वक उपायों के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस
पाठ्यक्रम: GS3/ अंतर्राष्ट्रीय संबंध / अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित करते हुए 4 दिसंबर को एकतरफा दमनात्मक उपायों के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित किया है, जिसकी शुरुआत वर्ष 2025 से की जाएगी।
प्रस्ताव के बारे में
- यह प्रस्ताव 116 मतों के पक्ष में, 51 के विरोध में और 6 अनुपस्थितियों के साथ पारित हुआ।
- इसमें सभी देशों से अनुरोध किया गया है कि वे अंतरराष्ट्रीय कानून या संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन करने वाले एकतरफा आर्थिक, वित्तीय या व्यापारिक उपायों से बचें।
एकतरफा दमनात्मक उपाय (Unilateral Coercive Measures – UCMs) क्या हैं?
- UCMs ऐसे प्रतिबंध या नियंत्रण होते हैं जो किसी एकल देश या क्षेत्रीय समूह द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्वीकृति के बिना लगाए जाते हैं।
- ये सामान्यतः किसी राज्य की अर्थव्यवस्था को लक्षित करते हैं, जिससे आवश्यक वस्तुओं, प्रौद्योगिकी, वित्त और विकास सहायता तक पहुँच सीमित हो जाती है।
- इन्हें राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित उपायों के रूप में देखा जाता है, जो संप्रभुता और बहुपक्षीय मानदंडों का उल्लंघन करते हैं।
Source: AIR
CCI ने MSP पर 100 लाख गांठ कपास खरीदा
पाठ्यक्रम :GS3/अर्थव्यवस्था
समाचार में
- कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) ने इस सीजन में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर लगभग 100 लाख गांठ कपास की ख़रीद की और 35 लाख गांठें बेची हैं।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)
- MSP वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर किसान अपनी फसल सरकार को बेच सकते हैं।
- कैबिनेट आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) प्रत्येक बोआई सीजन में कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर फसलों के लिए MSP तय करती है।
- CACP निम्नलिखित कारकों को ध्यान में रखता है: मांग और आपूर्ति, उत्पादन लागत, घरेलू और वैश्विक मूल्य प्रवृत्तियाँ, और उपभोक्ताओं पर प्रभाव।
- यह आयोग पाँच वस्तु समूहों—खरीफ फसलें, रबी फसलें, गन्ना, कच्चा जूट, और कोप्रा—के लिए वार्षिक मूल्य नीति रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।
कपास
- कपास भारत की एक वाणिज्यिक फसल है जो वैश्विक कपास उत्पादन में लगभग 24% योगदान देती है और करोड़ों किसानों और श्रमिकों की आजीविका का स्रोत है।
- भारत में कपास की सभी चार प्रजातियाँ उगाई जाती हैं:
- जी. अर्बोरियम, जी. हर्बेशियम (एशियाई कपास)
- जी. बारबाडेंस (मिस्र की कपास)
- जी. हिर्सुतम (अमेरिकन अपलैंड कपास)
- यह मुख्यतः उत्तर, मध्य और दक्षिणी क्षेत्रों में उगाई जाती है।
- भारत के पास विश्व का सबसे बड़ा कपास क्षेत्रफल है और यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता भी है।
- मई 2025 में कपास का आयात 133% बढ़ा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास भारतीय कपास से 8% सस्ता है।
कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI)
- 31 जुलाई 1970 को वस्त्र मंत्रालय के अधीन CCI की स्थापना की गई थी।
- यह एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है जो कपास किसानों और वस्त्र उद्योग को समर्थन प्रदान करता है।
- शुरुआत में यह कपास आयात और खरीद के लिए एक चैनलाइज़िंग एजेंसी थी, लेकिन अब इसका प्रमुख कार्य है जब बाज़ार मूल्य MSP से नीचे आ जाए तो MSP पर कपास की खरीद करना, वह भी बिना किसी सीमा के।
- यह कम उत्पादन वाले मौसम के दौरान कपास की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए वाणिज्यिक खरीद भी करता है।
Source :TH
NICDC के नेतृत्व में औद्योगिक नोड्स
पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें आंध्र प्रदेश में NICDC के नेतृत्व में विकसित औद्योगिक नोड्स की प्रगति का मूल्यांकन किया गया, जो विभिन्न औद्योगिक कॉरिडोरों के अंतर्गत आते हैं।
परिचय
- नेशनल इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NICDC) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत एक प्रमुख पहल है।
- इसका उद्देश्य आगामी पीढ़ी के औद्योगिक स्मार्ट शहरों का विकास करना है, ताकि उत्पादन को बढ़ावा, निवेश आकर्षण, रोज़गार सृजन, और भारत की वैश्विक आर्थिक प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि हो सके।
- NICDC अपने प्रमुख कॉरिडोरों के माध्यम से निर्बाध मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी, प्लग-एंड-प्ले इन्फ्रास्ट्रक्चर और सतत शहरीकरण सुनिश्चित करता है:
- दिल्ली–मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (DMIC),
- अमृतसर–कोलकाता औद्योगिक कॉरिडोर (AKIC),
- चेन्नई–बेंगलुरु औद्योगिक कॉरिडोर (CBIC),
- ईस्ट कोस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर (ECEC),
- और बेंगलुरु–मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (BMIC)।
- आंध्र प्रदेश देश का एकमात्र राज्य है जहाँ तीन अलग-अलग औद्योगिक कॉरिडोरों के अंतर्गत औद्योगिक नोड्स स्थित हैं।
Source: PIB
हल्दी की खेती
पाठ्यक्रम: GS3/कृषि
सन्दर्भ
- केरल के मुन्नार में हल्दी की खेती अब जंगली जानवरों के ख़तरे से निपटने का नया तरीका बन गई है।
परिचय
- हल्दी कर्कुमा लोंगा वनस्पति समूह की सदस्य है और यह अदरक कुल (Zingiberaceae) का एक बहुवर्षीय शाकीय पौधा है।
- इसका उपयोग मसाले, रंग, औषधि के रूप में विभिन्न अनुप्रयोगों में किया जाता है और कॉस्मेटिक उद्योग में भी प्रयुक्त होती है।
- हल्दी को “गोल्डन स्पाइस” (स्वर्ण मसाला) के नाम से भी जाना जाता है।
- भारत विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है।
- वर्ष 2023–24 में भारत ने वैश्विक हल्दी उत्पादन का 70% से अधिक योगदान दिया और देश में 30 किस्मों की हल्दी उगाई जाती है।
- आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गुजरात, मेघालय, महाराष्ट्र और असम हल्दी की खेती करने वाले प्रमुख राज्य हैं।
जलवायु संबंधी परिस्थितियाँ
- यह एक उष्णकटिबंधीय जड़ी-बूटी है, जो उष्ण कटिबंध और उपोष्ण कटिबंध दोनों क्षेत्रों में उगाई जाती है।
- यह 20–35°C तापमान और 1500 मिमी या उससे अधिक वार्षिक वर्षा में अच्छी तरह बढ़ती है।
- इसके लिए आर्द्र जलवायु स्थिति आवश्यक होती है।
मृदा आवश्यकताएँ
- हल्दी को अच्छी जलनिकासी वाली रेतीली या चिकनी दोमट मृदा , जिसमें रेत का अनुपात थोड़ा अधिक हो, सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड – यह एक समर्पित निकाय है, जिसकी स्थापना 2025 में हल्दी की खेती, अनुसंधान और निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी, जिससे हल्दी क्षेत्र का समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सके। – मुख्यालय: निजामाबाद, तेलंगाना – मंत्रालय: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है – उद्देश्य: 1. हल्दी उत्पादन को बढ़ावा देना 2. किसानों को सहयोग प्रदान करना और उनकी आजीविका में सुधार करना 3. हल्दी और इसके मूल्य संवर्धित उत्पादों के वैश्विक निर्यात को प्रोत्साहित करना – कार्य: बोर्ड हल्दी के औषधीय गुणों और स्वास्थ्य संबंधी लाभों को लेकर जागरूकता फैलाने, उत्पादकता बढ़ाने के उपाय सुझाने और लॉजिस्टिक्स एवं आपूर्ति शृंखला को मजबूत कर नए बाज़ारों में व्यापार बढ़ाने के प्रयास करेगा। |
Source: TH
सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR)
पाठ्यक्रम :GS3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी
समाचार में
- NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) मिशन ने एक महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज की है क्योंकि यह जुलाई में निर्धारित प्रक्षेपण से पहले भारत के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र पहुँच चुका है।
सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR)
- यह एक ऐसी तकनीक है जो सीमित रिज़ॉल्यूशन वाले रडार सिस्टम से उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली छवियाँ तैयार करने में सक्षम होती है।
- यह सक्रिय डेटा संग्रह की एक विधि है जिसमें उपकरण पृथ्वी की सतह पर ऊर्जा की एक पल्स भेजता है और फिर उस ऊर्जा की वह मात्रा रिकॉर्ड करता है जो पृथ्वी से परावर्तित होकर वापस आती है।
- ऑप्टिकल इमेजरी, जो उत्सर्जित ऊर्जा पर आधारित निष्क्रिय डेटा संग्रह तकनीक है, के विपरीत SAR इमेजरी उत्सर्जित पल्स की भौतिक संरचनाओं (जैसे पर्वत, जंगल, समुद्री बर्फ) और जैसे कारकों (जैसे मृदा में नमी) के साथ प्रतिक्रिया के आधार पर बनती है।
- अनुप्रयोग SAR का उपयोग कई प्रकार के कार्यों में किया गया है, जैसे:
- अंटार्कटिक हिमखंडों का अध्ययन
- संवेदनशील दलदलों में फैले तेल रिसाव की निगरानी
- अलास्का के आर्द्रभूमि क्षेत्रों का नक्शा बनाना
| क्या आप जानते हैं? – NASA-ISRO SAR (NISAR) एक निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) वेधशाला है जिसे NASA और ISRO द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है। – यह पूरी पृथ्वी का मानचित्र प्रत्येक 12 दिन में तैयार करेगा और पृथ्वी की पारिस्थितिकी प्रणालियों, बर्फ की मात्रा, वनस्पति जैव भार, समुद्र स्तर में वृद्धि, भूजल और भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं में हो रहे परिवर्तनों को समझने के लिए स्थानिक और कालिक रूप से सुसंगत डेटा प्रदान करेगा। – यह L और S डुअल बैंड SAR लेकर जाता है, जो स्वीप SAR तकनीक के साथ कार्य करता है ताकि उच्च-रिज़ॉल्यूशन डेटा के साथ बड़े क्षेत्र को कवर किया जा सके। |
Source :TH
भारतीय नौसेना INS अर्नाला को नौसेना में शामिल करने के लिए तैयार
पाठ्यक्रम: GS3/ रक्षा
संदर्भ
- भारतीय नौसेना जल्द ही विशाखापत्तनम स्थित नौसेना डॉकयार्ड में देश के पहले एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट (ASW-SWC) – आईएनएस अर्नाला को कमीशन करने जा रही है।
INS अर्नाला के बारे में
- INS अर्नाला 16 ASW-SWC जहाज़ों की श्रृंखला में पहला है जिसे भारतीय नौसेना में शामिल किया जा रहा है।
- इसका नाम महाराष्ट्र के तट पर स्थित ऐतिहासिक अर्नाला किले के नाम पर रखा गया है, जो मराठा और पुर्तगाली काल के दौरान सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण था।
- इस पोत को गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता द्वारा एल एंड टी शिपबिल्डर्स के सहयोग से डिजाइन किया गया है।
- इसमें 80% से अधिक स्वदेशी घटक हैं, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के अनुरूप है।
- विशेषताएँ: यह पोत 77.6 मीटर लंबा है, 1,490 टन से अधिक विस्थापन क्षमता रखता है, और डीजल इंजन-वाटरजेट प्रणोदन प्रणाली से संचालित सबसे बड़ा भारतीय नौसैनिक पोत है।
- भूमिका एवं क्षमताएँ:
- जलतल के नीचे की निगरानी (Subsurface Surveillance)
- खोज और बचाव अभियान (Search and Rescue Operations)
- कम तीव्रता वाले समुद्री अभियान (LIMO)
- साथ ही, इसका मुख्य कार्य पनडुब्बी रोधी युद्धक्षमता (Anti-Submarine Warfare) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है।
- यह माइन-लेइंग क्षमताओं से भी सुसज्जित है।
Source: AIR
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