सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ट्रांसजेंडर व्यक्तियों पर पैनल का गठन

पाठ्यक्रम: GS1/सामाजिक मुद्दे

समाचारों में 

  • सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व न्यायाधीश आशा मेनन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है, जिसका उद्देश्य ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए समान अवसर नीति तैयार करना और लिंग गैर-अनुरूप व विविध व्यक्तियों के लिए समावेशी चिकित्सा देखभाल व संरक्षण के उपाय सुझाना है।

सर्वोच्च न्यायालय की हालिया टिप्पणियाँ 

  • सर्वोच्च न्यायालय ने रोजगार, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सार्वजनिक संस्थानों में प्रणालीगत बाधाओं को उजागर किया, जिसमें ‘तीसरे लिंग’ विकल्प की कमी एवं ट्रांसजेंडर व्यक्तियों से अपनी पहचान छिपाने की अपेक्षा शामिल है, जो अनुच्छेद 21 के अंतर्गत उनकी गरिमा का उल्लंघन है। 
  • अनुच्छेद 142 के अंतर्गत शक्तियों का प्रयोग करते हुए, न्यायालय ने नियम 9 के अंतर्गत अपीलीय प्राधिकरणों की नियुक्ति, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कल्याण बोर्डों की स्थापना, तथा जिला मजिस्ट्रेटों व पुलिस महानिदेशकों के अधीन ट्रांसजेंडर संरक्षण प्रकोष्ठों की स्थापना का आदेश दिया। 
  • न्यायालय ने एक राष्ट्रव्यापी टोल-फ्री हेल्पलाइन की मांग की और यह सुनिश्चित करने जैसे सुरक्षा उपायों की सिफारिश की कि किसी ट्रांसवुमन को महिला अधिकारी की उपस्थिति के बिना गिरफ्तार न किया जाए। 
  • सार्वजनिक और निजी संस्थानों को लिंग-समावेशी वातावरण को बढ़ावा देने का आग्रह किया गया तथा सार्वजनिक स्थलों पर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की गरिमा एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लिंग-विविध स्क्रीनिंग बिंदुओं का सुझाव दिया गया।

ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के सामने चुनौतियाँ

  • ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 और नियमों के कार्यान्वयन में संस्थागत खामियाँ।
  • नीति निर्माण में डेटा और प्रतिनिधित्व की कमी।
  • स्वास्थ्य सेवा में भेदभाव, जिसमें लिंग-पुष्टि उपचार से मना शामिल है।
  • कार्यस्थल पर बाधाएँ और संवेदनशीलता प्रशिक्षण की कमी।
  • विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रांस व्यक्तियों के विरुद्ध सामाजिक कलंक और हिंसा।

ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए उठाए गए कदम

  • ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 आत्म-परिकल्पित लिंग पहचान के अधिकार की पुष्टि करता है और गरिमा, शिक्षा व रोजगार में भेदभाव रहित समावेशी कल्याण योजनाओं को अनिवार्य करता है।
    • अधिनियम के कार्यान्वयन हेतु 2020 के नियम बनाए गए और एक राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर परिषद की स्थापना की गई, जो सरकार को परामर्श देती है, नीति प्रभाव की निगरानी करती है और विभागों व एनजीओ के बीच समन्वय करती है।
  • NALSA (2014): ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी और आत्म-पहचान की पुष्टि की, जिससे आरक्षण एवं सकारात्मक उपायों का न्यायिक आधार बना।
  • राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर पोर्टल: पहचान प्रमाणपत्र और कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा देता है, जिससे अधिकारों की प्राप्ति में बाधाएं एवं भौतिक संपर्क कम होते हैं।
  • SMILE योजना: ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए समग्र कल्याण और पुनर्वास सहायता हेतु सरकारी कार्यक्रम, जिसमें आजीविका एवं सामाजिक सुरक्षा घटक शामिल हैं।

आगे की राह

  • गेटकीपिंग की जगह आत्म-पहचान मार्ग अपनाएं और पहचान पत्र प्रक्रियाओं को सरल बनाएं ताकि लाभों एवं सेवाओं से बहिष्करण रोका जा सके।
  • शिकायत अधिकारियों की नियुक्ति करें, उचित समायोजन लागू करें, और संरक्षण प्रकोष्ठों को मापनीय समयसीमा व जवाबदेही के साथ क्रियाशील करें।
  • समान अवसर नीति को राष्ट्रव्यापी रूप से अपनाएं, शिक्षा एवं रोजगार में भेदभाव-रोधी और समायोजन मानदंडों को शामिल करें, तथा प्रभावी शिकायत निवारण सुनिश्चित करें जिसमें गैर-अनुपालन पर दंड हो।

Source: TH

 

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