फिलीपींस द्वारा कोरल लार्वा क्रायोबैंक की शुरुआत

पाठ्यक्रम: GS3/ पर्यावरण

संदर्भ

  • फिलीपींस ने प्रवाल (कोरल) आनुवंशिक विविधता को संरक्षित करने और रीफ पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया का प्रथम कोरल लार्वा क्रायोबैंक शुरू किया है।

कोरल क्रायोबैंक पहल

  • यह पहल फिलीपींस, ताइवान, इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड के अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग से संचालित की जा रही है। 
  • इसका उद्देश्य कोरल लार्वा को फ्रीज़ करके संरक्षित करना है ताकि कोरल की आनुवंशिक विविधता को दीर्घकालिक सुरक्षा मिल सके।
क्रायोप्रिज़र्वेशन क्या है?
– क्रायोप्रिज़र्वेशन जीवित कोशिकाओं या ऊतकों को अत्यंत निम्न तापमान (–196°C) पर संरक्षित करने की प्रक्रिया है, जिससे सभी जैविक गतिविधियाँ रुक जाती हैं और दीर्घकालिक भंडारण संभव होता है। 
– कोरल लार्वा को पहले क्रायोप्रोटेक्टेंट सॉल्यूशन्स (ग्लिसरॉल, एथिलीन ग्लाइकोल, DMSO) से उपचारित किया जाता है ताकि जल को प्रतिस्थापित किया जा सके और बर्फ बनने से रोका जा सके। 
– विट्रिफिकेशन की प्रक्रिया के माध्यम से लार्वा को तरल नाइट्रोजन में डुबोया जाता है, जिससे वे कांच जैसी अवस्था में बदल जाते हैं और कोशिका क्षति से बचाव होता है।

कोरल ट्रायंगल के बारे में

  • कोरल ट्रायंगल, जिसे “समुद्रों का अमेज़न” भी कहा जाता है, लगभग 6 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है और इसमें इंडोनेशिया, मलेशिया, पापुआ न्यू गिनी, फिलीपींस, सोलोमन द्वीप एवं तिमोर-लेस्ते शामिल हैं। 
  • यह दो जैव-भौगोलिक क्षेत्रों को समाहित करता है: इंडोनेशिया-फिलीपींस क्षेत्र और सुदूर दक्षिण-पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र। 
  • इस क्षेत्र में विश्व की 75% से अधिक कोरल प्रजातियां, एक-तिहाई रीफ मछलियों, विशाल मैंग्रोव वनों और समुद्री कछुओं की सात में से छह प्रजातियां पायी जाती हैं।
कोरल ट्रायंगल के बारे में

कोरल पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरे

  • जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का तापमान बढ़ रहा है, जिससे कोरल ब्लीचिंग और आवास विनाश हो रहा है।
  •  “स्टेटस ऑफ कोरल रीफ्स ऑफ द वर्ल्ड 2020” रिपोर्ट के अनुसार, 2009 से 2018 के बीच विश्व के 14% कोरल नष्ट हो गए। 
  • विनाशकारी मछली पकड़ना, प्रदूषण और अनियंत्रित पर्यटन रीफ के क्षरण को तीव्र करते हैं।
कोरल क्या हैं?
– कोरल अकशेरुकी जीव होते हैं जो नाइडेरिया नामक जीवों के बड़े समूह से संबंधित होते हैं। 
– कोरल छोटे, मुलायम जीवों के समूह (पॉलीप्स) से बनते हैं। 
– ये जीव अपने चारों ओर एक चूना-पत्थर जैसे (कैल्शियम कार्बोनेट) बाह्य कंकाल का स्रवण करते हैं ताकि सुरक्षा मिल सके। 
– इस प्रकार, लाखों पॉलीप्स मिलकर बड़े कार्बोनेट संरचनाएँ बनाते हैं जिन्हें कोरल रीफ कहा जाता है।
रूप-रंग: कोरल का रंग लाल से बैंगनी और नीले तक होता है, लेकिन सामान्यतः ये भूरे और हरे रंग के होते हैं। 
– इनका रंग पॉलीप्स के ऊतकों में पनपने वाले सूक्ष्म शैवालों से आता है।
कोरल रीफ के प्रकार
फ्रिंजिंग रीफ: तटरेखा के साथ बनते हैं
बैरीयर रीफ: खुले समुद्र में बनते हैं
एटोल्स: डूबे हुए ज्वालामुखियों के चारों ओर वृत्ताकार रूप में बनते हैं
महत्व: कोरल रीफ समुद्री जीवन के एक-चौथाई हिस्से को भोजन, आश्रय, विश्राम और प्रजनन स्थल प्रदान करते हैं। 
– ये जैव विविधता की रक्षा के लिए नर्सरी और शरणस्थल के रूप में कार्य करते हैं।
कोरल ब्लीचिंग
– कोरल एक विशेष तापमान सीमा में जीवित रहने और बढ़ने के लिए अनुकूलित होते हैं। 
– जब समुद्र का तापमान अत्यधिक बढ़ जाता है, तो कोरल अपने शैवालों को बाहर निकाल देते हैं और सफेद हो जाते हैं—इसे कोरल ब्लीचिंग कहते हैं। 
– यह घटना कम लवणता, ठंडे जल या प्रदूषण के कारण भी हो सकती है और क्षेत्रीय व वैश्विक स्तर पर बड़े पैमाने पर ब्लीचिंग घटनाएँ देखी गई हैं।

Source: TH

 

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