पाठ्यक्रम: GS2/ शिक्षा
संदर्भ
- इंडियाएआई मिशन की योजना शिक्षा क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए एआई केंद्र (CoE) की स्थापना की है।
| इंडियाएआई मिशन – इस मिशन का एक प्रमुख उद्देश्य एक उच्च स्तरीय सामान्य कंप्यूटिंग सुविधा का विकास है, जिसमें 18,693 ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स (GPUs) शामिल हैं, जो इसे वैश्विक स्तर पर सबसे व्यापक AI कंप्यूटिंग संरचनाओं में से एक बनाता है। – यह क्षमता ओपन-सोर्स AI मॉडल डीपसीक की तुलना में लगभग नौ गुना अधिक है और चैटजीपीटी की क्षमता का लगभग दो-तिहाई है। |
भारत में शिक्षा में AI का एकीकरण
- कंप्यूटर एक्सेस वाले स्कूलों की संख्या में वृद्धि: 2023–24 में 57.2% स्कूलों में कंप्यूटर की सुविधा थी, जो इस वर्ष बढ़कर 64.7% हो गई है।
- इंटरनेट एक्सेस वाले स्कूलों की संख्या में वृद्धि: विगत वर्ष 53.9% स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा थी, जो 2024–25 में बढ़कर 63.5% हो गई है।
- शिक्षक प्रशिक्षण और डिजिटल साक्षरता: माध्यमिक/उच्च माध्यमिक स्तर के 50% से कम शिक्षक कंप्यूटर उपयोग में प्रशिक्षित हैं।
- छात्र पहुंच, लैंगिक और डिजिटल अंतर: पुरुष छात्रों की डिजिटल साक्षरता महिला छात्रों की तुलना में अधिक है; ग्रामीण और वंचित छात्रों की पहुंच कम है।
पाठ्यक्रम और नीति में AI
- राष्ट्रीय AI रणनीति (2018): भारत की राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता रणनीति में शिक्षा को एक मुख्य क्षेत्र के रूप में पहचाना गया। इसमें सुझाव दिए गए हैं:
- AI और डिजिटल कौशल शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए सुधार।
- अनुकूली शिक्षण उपकरण, बुद्धिमान ट्यूटरिंग सिस्टम, और पूर्वानुमान विश्लेषण (जैसे छात्र ड्रॉपआउट जोखिम)।
- रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण (शिक्षक प्रदर्शन, छात्र डेटा) एक पूर्व शर्त के रूप में।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020: NEP 2020 AI को एक परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में देखती है और शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को इसके लाभ के लिए अनुकूलित करने का आह्वान करती है। इसमें कल्पना की गई है:
- सीखने के डेटा और इंटरैक्टिव प्रश्नावली के माध्यम से समग्र प्रगति ट्रैकिंग के लिए AI-आधारित सॉफ़्टवेयर।
- अनुकूली मूल्यांकन प्रणाली और AI-संचालित फीडबैक का उपयोग करके व्यक्तिगत शिक्षा और विविध छात्रों को समर्थन।
- स्कूलों में AI विषय / पाठ्यक्रम: CBSE ने कक्षा VIII से AI को एक वैकल्पिक विषय (12 घंटे का मॉड्यूल) के रूप में और कक्षा IX–XII में एक कौशल विषय के रूप में प्रस्तुत किया है।
- CBSE ने शिक्षकों के लिए AI पाठ्यक्रम पुस्तिका और AI एकीकरण मैनुअल जारी किया है।
- विषय तीन क्षेत्रों में विभाजित हैं: डेटा, कंप्यूटर विज़न, और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण — उम्र के अनुसार उपयुक्त तरीके से।
- राष्ट्रीय स्तर पर तैयारियों के अंतर को कम करने के लिए भारत के कई आधारभूत ढांचे
- DIKSHA (शिक्षण संसाधनों के लिए राष्ट्रीय डिजिटल अवसंरचना)
- पीएम ई-विद्या (डिजिटल शिक्षा तक बहु-मोड पहुंच)
- राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षा वास्तुकला (NDEAR) ब्लूप्रिंट
- समग्र शिक्षा (जो स्कूलों में ICT घटकों और शिक्षक प्रशिक्षण को वित्तपोषित करती है) ये प्लेटफ़ॉर्म और योजनाएँ डिजिटल सामग्री और शिक्षक विकास को स्केल करने के लिए रीढ़ प्रदान करती हैं।
स्कूलों में AI अपनाने का महत्व
- व्यक्तिगत / अनुकूली शिक्षा: AI छात्र के प्रदर्शन के आधार पर कठिनाई, गति, और सामग्री प्रकार को गतिशील रूप से समायोजित कर सकता है, जिससे सुधारात्मक या विस्तार सहायता मिलती है।
- बहुभाषी और भाषा समर्थन: AI छात्रों को कई भाषाओं में सामग्री तक पहुंचने, अनुवाद में सहायता करने और भाषाई रूप से विविध पृष्ठभूमि वाले छात्रों को समर्थन देने में सहायता कर सकता है।
- विकलांग छात्रों के लिए समर्थन: AI सहायक तकनीकों (जैसे टेक्स्ट-टू-स्पीच, वैकल्पिक इनपुट मोड, व्यक्तिगत इंटरफेस) को सक्षम कर सकता है जिससे पहुंच में सुधार होता है।
- प्रशासनिक कार्यों का स्वचालन: ग्रेडिंग, रिपोर्ट जनरेशन, पाठ योजना, उपस्थिति आदि को आंशिक रूप से स्वचालित किया जा सकता है जिससे शिक्षकों को उच्च मूल्य कार्यों के लिए समय मिल सके।
- मूल्यांकन डिज़ाइन और फीडबैक में सुधार: AI ऐसे मूल्यांकन डिज़ाइन करने में सहायता कर सकता है जो केवल रटने पर आधारित न हों और ग्रेडिंग को कुछ सीमा तक मानकीकृत कर सके।
- जोखिमग्रस्त छात्रों के लिए पूर्वानुमान विश्लेषण: उपस्थिति, प्रदर्शन आदि का विश्लेषण करके AI सिस्टम उन छात्रों की पहचान कर सकते हैं जो ड्रॉपआउट या कम प्रदर्शन की ओर अग्रसर हैं और समय पर हस्तक्षेप कर सकते हैं।
चुनौतियाँ / चिंताएँ
- पक्षपात, निष्पक्षता और विश्वास: यदि मॉडल विविध या संतुलित डेटा पर प्रशिक्षित नहीं हैं, तो वे लैंगिक, सामाजिक-आर्थिक या भाषाई पक्षपात को बढ़ा सकते हैं।
- डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: स्कूलों के पास संवेदनशील छात्र और शिक्षक डेटा होता है। सुरक्षित भंडारण, सीमित उपयोग, सहमति प्राप्त करना तथा दुरुपयोग को रोकना जटिल है।
- AI गलत जानकारी: जनरेटिव मॉडल गलत या भ्रामक सामग्री उत्पन्न कर सकते हैं। शिक्षा में ऐसी गलतियाँ छात्रों को भ्रमित कर सकती हैं।
- स्थानीयकृत डेटा और भाषा समर्थन की कमी: कई AI उपकरण अंग्रेजी या प्रमुख भाषाओं में बनाए गए हैं; भारतीय भाषाओं में क्षेत्रीय रूप से प्रासंगिक डेटा या मॉडल दुर्लभ हैं।
- डिजिटल विभाजन और समानता: दूरस्थ, गरीब या वंचित क्षेत्रों के छात्रों के पास उपकरण, कनेक्टिविटी या समर्थन की कमी हो सकती है, जिससे बहिष्करण हो सकता है।
- मौलिक सोच कौशल का संरक्षण: AI उपकरणों पर अत्यधिक निर्भरता से छात्रों की स्वतंत्र सोच, तर्क और आत्म-नियंत्रित सीखने की क्षमता कमजोर हो सकती है।
सुझाव
- पारदर्शिता और व्याख्यात्मकता: सिस्टम को यह खुलासा करना चाहिए कि वे कैसे सिफारिशें या निर्णय लेते हैं, उपयोगकर्ता की समझ में आने वाले तरीके से।
- गोपनीयता और सहमति: बच्चों का डेटा सत्यापित अभिभावकीय सहमति के साथ एकत्र किया जाना चाहिए, सुरक्षित रूप से संग्रहीत किया जाए, केवल इच्छित उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाए, और सीमित समय तक रखा जाए (भारत के DPDP अधिनियम 2023 के अनुरूप)।
- इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल पहुंच का विस्तार: विशेष रूप से ग्रामीण और सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढांचे के अंतर को समाप्त करने के लिए।
- स्कूल स्तर पर कंप्यूटिंग हार्डवेयर, रखरखाव और आईटी समर्थन प्रणाली में निवेश (जैसे क्षेत्रीय समर्थन केंद्र)।
- शिक्षक प्रशिक्षण और व्यावसायिक विकास को स्केल करना: केवल तकनीकी कौशल नहीं, बल्कि शिक्षाशास्त्र, AI साक्षरता, नैतिकता और कार्यान्वयन समर्थन पर ध्यान देना।
- स्पष्ट नीति और नियामक दिशानिर्देश स्थापित करना: डेटा उपयोग, ऑडिट, उत्तरदायित्व, शिकायत निवारण और पारदर्शिता के लिए दिशानिर्देश शामिल हों।
Source: TH