वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ
पाठ्यक्रम: GS1/ संस्कृति
संदर्भ
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ के राष्ट्रव्यापी उत्सव की घोषणा की है।
परिचय
- वंदे मातरम् की रचना बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने संस्कृत में की थी और यह प्रथम बार उनके उपन्यास ‘आनंदमठ’ (1882) में प्रकाशित हुआ।
- इसका प्रथम सार्वजनिक गायन रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में किया गया, जिससे इसे राष्ट्रीय पहचान मिली।
- 1950 के राष्ट्रपति आदेश के अनुसार राष्ट्रगीत को ‘जन गण मन’ के समान दर्जा प्राप्त है।
- अनुच्छेद 51A(a) राष्ट्रगान के प्रति सम्मान को अनिवार्य करता है, लेकिन राष्ट्रगीत के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो एक संवेदनशील संतुलन को दर्शाता है।
- यह गीत स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध क्रांतिकारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत और सामूहिक संकल्प का प्रतीक बना।
Source: IE
शेड्यूल M मानक
पाठ्यक्रम: GS2/ स्वास्थ्य
समाचार में
- हाल ही में खांसी की दवाओं में डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) संदूषण की घटनाओं के बाद, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत में औषधि निर्माताओं के लिए संशोधित शेड्यूल M मानकों का सख्ती से पालन अनिवार्य कर दिया है।
शेड्यूल M क्या है?
- शेड्यूल M, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 का भाग है, जो भारत में औषधियों के लिए गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज़ (GMP) निर्धारित करता है।
- यह दवा की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए संयंत्र, उपकरण, स्वच्छता एवं प्रक्रियाओं के लिए न्यूनतम मानक स्थापित करता है।
संशोधित शेड्यूल M की प्रमुख विशेषताएँ
- 2023–24 में किए गए प्रमुख संशोधन भारतीय GMP मानकों को WHO-GMP और PIC/S अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाते हैं, जिससे भारत को वैश्विक फार्मास्युटिकल निर्माण केंद्र के रूप में सुदृढ़ता मिलती है।
- संशोधित शेड्यूल M का पालन सभी औषधि इकाइयों के लिए 31 दिसंबर 2025 तक अनिवार्य कर दिया गया है, जिसमें बड़े उद्योगों को सख्त समयसीमा और छोटे एवं मध्यम उद्यमों को सशर्त विस्तार दिया गया है।
- सभी रिकॉर्ड्स को निम्नलिखित विशेषताओं वाला होना चाहिए: Attributable (स्रोत-संबंधित), Legible (पढ़ने योग्य), Contemporaneous (समकालीन), Original (मूल), Accurate (सटीक), Complete (पूर्ण), Consistent (संगत), Enduring (स्थायी), और Available (उपलब्ध) — ताकि डेटा की विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सके।
डाइएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) के बारे में
- DEG एक रंगहीन, गंधहीन, सिरप जैसा औद्योगिक रसायन है (रासायनिक सूत्र: C4H10O3), जिसका उपयोग सॉल्वेंट, एंटीफ्रीज़ एवं प्लास्टिक में किया जाता है, लेकिन यह औषधीय या खाद्य उपयोग के लिए अनुमोदित नहीं है।
- फार्मास्युटिकल संदूषण तब होता है जब औद्योगिक-ग्रेड DEG को गलती से या धोखाधड़ी से फार्मास्युटिकल-ग्रेड ग्लिसरीन या प्रोपलीन ग्लाइकोल के स्थान पर दवा निर्माण में उपयोग किया जाता है — प्रायः खराब गुणवत्ता नियंत्रण या लागत में कटौती के कारण।
- DEG संदूषण ने कोल्ड्रिफ जैसी मिलावटी खांसी की दवाओं से जुड़ी मृत्युओं को जन्म दिया है, जो एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय है।
Source: TH
भारत में कुष्ठ रोग
पाठ्यक्रम: GS2/ स्वास्थ्य
संदर्भ
- भारत में कुष्ठ रोग (Leprosy) की प्रचलन दर 1981 में प्रति 10,000 जनसंख्या पर 57.2 थी, जो 2025 में घटकर मात्र 0.57 रह गई है।
कुष्ठ रोग क्या है?
- कुष्ठ रोग, जिसे हैनसेन रोग भी कहा जाता है, एक दीर्घकालिक संक्रामक बीमारी है जो बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम लेप्री के कारण होती है।
- इसके लक्षणों में त्वचा पर रंगहीन चकत्ते, स्पर्श, दबाव, दर्द, गर्मी और ठंड महसूस करने की क्षमता का अभाव, मांसपेशियों की कमजोरी, न भरने वाले घाव, विशेष रूप से हाथ, पैर एवं चेहरे में विकृति, आंखें बंद न कर पाना तथा दृष्टि कमजोर होना शामिल हैं।
- यह रोग नाक और मुंह से निकलने वाली बूंदों के माध्यम से फैलता है, विशेष रूप से जब किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ बार-बार एवं निकट संपर्क होता है।
- कुष्ठ रोग को मल्टीबेसिलरी और पॉसीबेसिलरी में वर्गीकृत किया जाता है, जो शरीर में उपस्थित बैक्टीरिया की संख्या एवं रोग की तीव्रता पर आधारित होता है।
- मल्टीबेसिलरी कुष्ठ रोग में स्लिट-स्किन स्मीयर परीक्षण में बैसिली की उच्च मात्रा पाई जाती है।
- पॉसीबेसिलरी मामलों में बैसिली की संख्या बहुत कम या नहीं होती।
- भारत में 1983 में मल्टीड्रग थेरेपी (MDT) की शुरुआत ने कुष्ठ रोग के उपचार में क्रांतिकारी बदलाव लाया।
- इसका समय पर निदान और MDT से उपचार विकलांगता एवं विकृति को रोक सकता है।
राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP)
- NLEP एक केंद्रीय प्रायोजित योजना है जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अंतर्गत संचालित होती है।
- NLEP के प्रमुख पहल:
- राष्ट्रीय रणनीतिक योजना और रोडमैप 2023–27: यह दस्तावेज रणनीतिक हस्तक्षेपों को परिभाषित करता है और 2027 तक कुष्ठ रोग के प्रसार को रोकने के लक्ष्य के लिए स्पष्ट दिशा प्रदान करता है।
- आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 30 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की स्क्रीनिंग को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल गतिविधियों के साथ जोड़ा गया है।
- निकुष्ठ 2.0: 2023 में एक नया वेब-आधारित ICT पोर्टल लॉन्च किया गया, जो कुष्ठ रोग से संबंधित डेटा रिकॉर्डिंग, रिपोर्टिंग और निगरानी को सशक्त बनाता है।
- यह निदान, उपचार और फॉलो-अप सेवाओं को बेहतर बनाने में सहायक है।
| अंतरराष्ट्रीय मान्यता और साझेदारी – विश्व स्वास्थ्य सभा प्रतिबद्धता (1991): भारत ने वर्ष 2000 तक कुष्ठ रोग को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त करने के लक्ष्य को अपनाया। – WHO ने भारत के संशोधित कुष्ठ उन्मूलन अभियानों (MLECs), निदान प्रोटोकॉल में बदलाव और दूरस्थ क्षेत्रों के लिए विशेष कार्य योजनाओं का समर्थन किया। – WHO ने बिहार में COMBI (व्यवहारिक प्रभाव के लिए संचार) रणनीति का पायलट परीक्षण भी किया। |
Source: PIB
नामचिक नामफुक कोयला ब्लॉक
पाठ्यक्रम: GS3/ पर्यावरण
समाचार में
- अरुणाचल प्रदेश ने चांगलांग ज़िले के नामचिक-नामफुक कोल ब्लॉक में अपना प्रथम वाणिज्यिक कोयला खनन परियोजना शुरू की है, जो पूर्वोत्तर भारत के संसाधन विकास एवं ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
नामचिक-नामफुक कोल ब्लॉक के बारे में
- स्थान: चांगलांग ज़िला, दक्षिण-पूर्वी अरुणाचल प्रदेश; अपर असम कोल बेल्ट क्षेत्र का भाग।
- भंडार: अनुमानित 1.5 करोड़ टन कोयला, जो दीर्घकालिक उत्पादन क्षमता को सुनिश्चित करता है।
- आर्थिक प्रभाव: राज्य के लिए ₹100 करोड़ वार्षिक राजस्व उत्पन्न होने की संभावना।
- पर्यावरणीय विशेषताएँ: मिशन ग्रीन कोल रीजन के अंतर्गत संचालन, जिसमें भूमि पुनः प्राप्ति, वनीकरण और पर्यावरण-जिम्मेदार खनन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- सामाजिक प्रभाव: स्थानीय रोजगार सृजन; अवैध खनन गतिविधियों में कमी।
- रणनीतिक समन्वय: पूर्वोत्तर भारत के संतुलित विकास के लिए PM EAST दृष्टिकोण — Empower (सशक्तिकरण), Act (कार्रवाई), Strengthen (मजबूती), Transform (परिवर्तन) — का समर्थन करता है।
भारत में वाणिज्यिक कोयला खनन
- परिभाषा: निजी कंपनियों को कोयला खनन करने और खुले बाजार में बेचने की अनुमति देना, जिससे कोल इंडिया लिमिटेड का एकाधिकार समाप्त होता है।
- नीति की उत्पत्ति: कोल माइंस (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के अंतर्गत शुरू की गई।
- संचालन की शुरुआत: 2020 में आत्मनिर्भर भारत सुधारों के माध्यम से।
- उद्देश्य: घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ावा देना और आयात में कटौती करना।
- प्रोत्साहन: निजी निवेश को बढ़ावा देना, उन्नत खनन तकनीक को अपनाना।
- शासन कानून:
- खनिज और खदान (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957
- कोल माइंस (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015
- संबंधित पर्यावरणीय और भूमि कानून
Source: PIB
ऊँटों की घटती संख्या
पाठ्यक्रम: GS3/समाचार में प्रजातियाँ
संदर्भ
- मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय भारत में ऊँटों की घटती संख्या को रोकने के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय मिशन — राष्ट्रीय ऊँट सततता पहल (National Camel Sustainability Initiative – NCSI) शुरू करने की योजना बना रहा है।
परिचय
- भारत में ऊँटों की संख्या में तीव्रता से और चिंताजनक गिरावट देखी जा रही है, विशेष रूप से राजस्थान एवं गुजरात जैसे पारंपरिक ऊँट पालन वाले राज्यों में।
- 20वीं पशुधन गणना के अनुसार, 2019 में भारत में ऊँटों की संख्या 2.52 लाख थी, जो 1977 में लगभग 11 लाख और 2013 में 4 लाख थी।
- इनमें से लगभग 90% ऊँट राजस्थान और गुजरात में पाए जाते हैं।
- NCSI के अंतर्गत पशुपालन और डेयरी विभाग, पर्यावरण मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय एवं राज्य सरकारों को एक साथ लाया जाएगा ताकि समन्वित कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
भारत में ऊँट
- भारत में मुख्य रूप से एक ही प्रजाति के ऊँट पाए जाते हैं: ड्रोमेडरी ऊँट (Camelus dromedarius) — एक कूबड़ वाला ऊँट, जो रेगिस्तानी परिस्थितियों के अनुकूल होता है। चिंकारा और ऊँट राजस्थान के दो राज्य पशु हैं।
- आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व
- परिवहन और श्रम: पारंपरिक रूप से रेगिस्तानी क्षेत्रों में माल ढोने, हल चलाने और परिवहन के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- दूध उत्पादन: ऊँट का दूध पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसकी मांग बढ़ रही है।
- पर्यटन: राजस्थान में ऊँट सफारी पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हैं।
- सांस्कृतिक उत्सव: ऊँट मेलों, विशेष रूप से बीकानेर ऊँट महोत्सव में इस पशु का उत्सवपूर्वक प्रदर्शन होता है।
- रक्षा उपयोग: सीमा सुरक्षा बल (BSF) द्वारा रेगिस्तानी गश्त में ऊँटों का उपयोग किया जाता है।
Source: IE
फॉस्फीन
पाठ्यक्रम: GS3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी
संदर्भ
- खगोलविदों ने पृथ्वी से कई प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक ब्राउन ड्वार्फ वुल्फ 1130C के वायुमंडल में फॉस्फीन की सूक्ष्म मात्रा का पता लगाया है।
फॉस्फीन
- फॉस्फीन (PH₃) एक अणु है जिसमें तीन हाइड्रोजन परमाणु और एक फॉस्फोरस परमाणु होते हैं।
- पृथ्वी पर यह मुख्य रूप से दलदली क्षेत्रों और जानवरों की आंतों में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों द्वारा उत्पन्न होता है।
- 2020 में शुक्र ग्रह पर फॉस्फीन की खोज ने वहाँ संभावित जीवन को लेकर परिचर्चा शुरू कर दी थी।
- फॉस्फीन बृहस्पति और शनि जैसे गैस दानव ग्रहों पर भी पाया जाता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह निर्जीव वातावरण में भी बन सकता है।
- महत्व: यह वैज्ञानिकों को यह समझने में सहायता करता है कि फॉस्फीन प्राकृतिक रूप से कैसे बनता है और अन्य ग्रहों पर जीवन के संकेत के रूप में फॉस्फीन की खोज को और अधिक सटीक बनाने में सहायक हो सकता है।
ब्राउन ड्वार्फ क्या होते हैं?
- ब्राउन ड्वार्फ खगोलीय पिंड होते हैं जो कुछ विशेषताओं में तारों से और कुछ में ग्रहों से मिलते-जुलते हैं।
- ये वस्तुएँ गैस और धूल के बादलों के संकुचन से तारों की तरह बनती हैं, लेकिन इनमें हाइड्रोजन का स्थायी संलयन करने के लिए पर्याप्त द्रव्यमान नहीं होता — यही प्रक्रिया तारों को गर्म करती है और चमक प्रदान करती है। इसलिए इन्हें प्रायः “असफल तारे” कहा जाता है।
- इनका वायुमंडल बृहस्पति और शनि जैसे गैस दानव ग्रहों के समान होता है।
- इनके वायुमंडल में बादल और H₂O जैसे अणु हो सकते हैं।
- ब्राउन ड्वार्फ का द्रव्यमान बृहस्पति से 70 गुना तक अधिक हो सकता है।
- महत्व: ये खगोलविदों को तारों और ग्रहों के निर्माण के लिए आवश्यक परिस्थितियों को बेहतर ढंग से समझने में सहायता करते हैं।
- ब्राउन ड्वार्फ की मात्रा और वितरण का निर्धारण ब्रह्मांड में द्रव्यमान के वितरण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
Source: IE
अभ्यास कोंकण-25
पाठ्यक्रम: GS3/रक्षा
संदर्भ
- भारत और यूनाइटेड किंगडम ने 2025 संस्करण का आयोजन किया अभ्यास कोंकण का, जो एक वार्षिक द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास है और 2004 में शुरू हुआ था।
परिचय
- इस अभ्यास में दो चरण शामिल थे:
- हार्बर चरण: जिसमें पेशेवर आदान-प्रदान, क्रॉस-डेक विज़िट्स और संचालन संबंधी चर्चाएँ शामिल थीं।
- सी चरण: जिसमें एंटी-एयर, एंटी-सर्फेस और एंटी-सबमरीन युद्ध अभ्यास के साथ-साथ विमानवाहक पोत आधारित उड़ान संचालन जैसे जटिल अभ्यास शामिल थे।
- 2025 संस्करण में प्रथम बार दोनों देशों के कैरीयर स्ट्राइक ग्रुप्स (CSGs) ने भाग लिया — यूनाइटेड किंगडम का एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स और भारत का आईएनएस विक्रांत।
- अभ्यास कोंकण भारत–UK विज़न 2035 के अंतर्गत व्यापक रणनीतिक साझेदारी को सुदृढ़ करता है, जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्वतंत्र, खुले और सुरक्षित वातावरण के प्रति साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भारत–UK द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास
- अजेय योद्धा (थल सेना)
- इन्द्रधनुष व्यायाम (वायु सेना)
- अभ्यास कोबरा वारियर (यूके द्वारा आयोजित बहुराष्ट्रीय वायु अभ्यास)
Source: TH
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