बढ़ते संरक्षणवाद और वैश्विक व्यापार गठबंधनों के विघटन के इस दौर में, भारत को कम्प्रिहेन्सिव एंड प्रोग्रेसिव एग्रीमेंट फॉर ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (CPTPP) में शामिल होने पर पुनर्विचार करना चाहिए और आसियान (ASEAN) तथा यूरोपीय संघ (EU) के साथ अपने एकीकरण को गहरा करना चाहिए ताकि अपने आर्थिक भविष्य को सुरक्षित रखा जा सके।