पाठ्यक्रम: GS3/अवसंरचना
संदर्भ
- हाल ही में अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया बोइंग 787 दुर्घटना की प्रारंभिक रिपोर्ट विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) द्वारा जारी की गई, जो अनिर्णायक रही।
- इसमें पायलट के इरादों और प्रणालीगत विफलताओं से जुड़े कई महत्वपूर्ण सवाल अनुत्तरित हैं।
| विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) – यह भारत की आधिकारिक एजेंसी है, जिसकी स्थापना 30 जुलाई 2012 को हुई थी। – इसका कार्य नागरिक विमानन दुर्घटनाओं और गंभीर घटनाओं की जांच करना है। – यह नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है और ICAO के एनेक्स 13 प्रोटोकॉल के अनुसार स्वतंत्र व पारदर्शी जांच सुनिश्चित करता है। जांच प्रोटोकॉल – यह विमान (दुर्घटनाओं और घटनाओं की जांच) नियम, 2017 द्वारा संचालित है, जो मूल 2012 नियमों में संशोधन के साथ लागू हुआ। – AAIB को किसी भी एजेंसी से साक्ष्य प्राप्त करने की पूर्ण स्वतंत्रता है और इसके लिए न्यायिक अनुमति की आवश्यकता नहीं होती। |
भारत का विमानन पारिस्थितिकी तंत्र
- यह एक जटिल प्रणाली है जिसमें विमान निर्माण, रखरखाव, उड़ान संचालन, वायु यातायात नियंत्रण और नियामक निरीक्षण जैसे घटक शामिल हैं।
- प्रमुख प्रबंधन संस्थाएँ:
- एयरलाइन्स — विमान और क्रू संचालन
- एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) — अवसंरचना और वायु यातायात नियंत्रण
- नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) — सुरक्षा और अनुपालन
- नागरिक उड्डयन मंत्रालय — पूर्ण ढांचे की निगरानी
- दुर्घटनाएँ सामान्यतः एकल विफलता के कारण नहीं होतीं। “स्विस चीज़ मॉडल” के अनुसार, जब हर सुरक्षा परत की खामियाँ संरेखित हो जाती हैं, तब आपदाएँ घटती हैं।
भारत में विमानन सुरक्षा
- 2025 में 174 मिलियन से अधिक यात्रियों के साथ भारत का विमानन क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें 860+ विमानों का बेड़ा है।
- 2030 तक यात्री संख्या 500 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।
- भारत वैश्विक स्तर पर घरेलू विमानन बाज़ार में अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है।
- मालवाहन क्षमता को 3.5 मिलियन से 10 मिलियन मीट्रिक टन तक त्रिगुणित करने की योजना है।
- ICAO (अंतर्राष्ट्रीय नागरिक विमानन संगठन) द्वारा किए गए मूल्यांकन में भारत ने ऑपरेशंस (94.02%), एयरवर्थिनेस (97.06%) और प्रभावी कार्यान्वयन (85.65%) जैसे प्रमुख क्षेत्रों में अमेरिका और चीन से बेहतर प्रदर्शन किया।
- 🇺🇸 FAA द्वारा भारत को श्रेणी-1 स्थिति प्राप्त है, जिससे भारतीय एयरलाइन्स अमेरिका में सेवाएँ चला सकती हैं।
- भारत की सुरक्षा निगरानी रैंकिंग वैश्विक स्तर पर 112वें स्थान से 55वें स्थान तक पहुंच गई है, जो चीन, तुर्की और इज़राइल जैसे देशों से बेहतर है।
विमानन पारिस्थितिकी तंत्र में प्रणालीगत विघटन के स्तंभ
- विमान प्रमाणीकरण और एयरवर्थिनेस: DGCA के पास तकनीकी विशेषज्ञता की कमी है और यह FAA व EASA जैसे विदेशी निकायों पर निर्भर करता है, जैसा कि 2017–18 के इंडिगो-प्रैट एंड व्हिटनी इंजन विफलताओं के दौरान सामने आया।
- रखरखाव मानक: एयरोनॉटिकल इंजीनियर ड्यूटी-टाइम सीमाओं के बिना कार्य करते हैं।
- एयरलाइन्स लागत घटाने हेतु अपर्याप्त योग्यता वाले “टेक्नीशियन” का उपयोग करती हैं।
- मैंगलुरु (2010) दुर्घटना के बाद अदालत द्वारा निर्धारित ड्यूटी मानदंड अभी भी लागू नहीं हुए हैं।
- उड़ान क्रू का शोषण: थकान-सम्बंधी नियम नियमित रूप से उल्लंघित होते हैं। DGCA सुरक्षा जोखिमों के बावजूद छूट प्रदान करता है।
- पायलटों की नौकरी बदलने की स्वतंत्रता सीमित है, जिससे दबाव बढ़ता है।
- मुनाफा आधारित संचालन: सुरक्षा नियम तोड़ने वाली कंपनियों के वरिष्ठ पदाधिकारी बने रहते हैं।
- DGCA अधिकारियों की एयरलाइन्स में भूमिका सीमित रहती है।
- ATC स्टाफ की कमी: लाइसेंस प्राप्त ATCOs की भारी कमी है। लाइसेंस प्रणाली अभी भी सुचारू नहीं है।
- 2010 के बाद से सुझाए गए ड्यूटी समय सीमा आज तक लागू नहीं की गई।
- व्हिसल-ब्लोअर का दमन: एयरलाइन्स और AAI में व्हिसल-ब्लोअर को प्रताड़ित किया जाता है — स्थानांतरण, पदावनति, बर्खास्तगी।
- इससे सुरक्षा उल्लंघनों की रिपोर्टिंग में हतोत्साह होता है।
प्रमुख न्यायिक उदाहरण
- वर्षों से जनहित याचिकाएँ (PILs) नियामक विफलताओं को उजागर करने का प्रमुख साधन बनी हैं, जिनसे न्यायपालिका के हस्तक्षेप ने संस्थागत प्रतिरोध के बावजूद कई त्रासदियों को रोका:
- घाटकोपर दुर्घटना (2018): 2016 के बॉम्बे हाईकोर्ट के स्टे आदेश ने मुंबई एयरपोर्ट के पास निर्माण को रोका जिससे यह हादसा और घातक होने से बच गया।
- मुंबई एयरस्पेस उल्लंघन (2025): एयरपोर्ट के पास 5,000 से अधिक अवरोधकों के बावजूद, नियामक निकाय न्यायालयों को सटीक जानकारी देने में विफल रहे।
प्रमुख सुझाव
- नियामक निगरानी को सुदृढ़ करना
- DGCA को स्वतंत्र निकाय बनाना ताकि मंत्रालय से टकराव की स्थिति ना हो।
- ICAO मानकों के साथ सुरक्षा प्रोटोकॉल को संरेखित करना और नियमित थर्ड-पार्टी ऑडिट कराना।
- एक केंद्रीकृत सुरक्षा डेटा प्लेटफ़ॉर्म बनाना जो सभी हितधारकों के लिए सुलभ हो — इसमें व्हिसल-ब्लोअर रिपोर्ट और उड़ान जोखिम मूल्यांकन शामिल हों।
- क्रू कल्याण और मानसिक स्वास्थ्य:
- पायलटों के लिए गोपनीय रिपोर्टिंग चैनल बनाना, जिसमें उन्हें दंड का भय न हो।
- एयरलाइन्स द्वारा नियमित काउंसलिंग और वैकल्पिक थेरेपी की सुविधा प्रदान करना।
- थकान-जनित त्रुटियों को रोकने हेतु ड्यूटी-टाइम सीमाओं को कठोरता से लागू करना।
- तकनीकी और परिचालन उन्नयन:
- ATC सुधार: रडार इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रेनिंग को अपग्रेड करना।
- अधिक नियंत्रकों की भर्ती करके कार्यभार और तनाव कम करना।
- विमान रखरखाव में गुणवत्ता की कमी पर कठोर दंड लगाना।
- केवल योग्य कर्मियों द्वारा जांच सुनिश्चित करना और अनिवार्य विश्राम प्रदान करना।
- अवसंरचना योजना:
- एयरपोर्ट के पास ऊँची इमारतों की उपग्रह डेटा से ऑडिट करना।
- सुरक्षा क्षेत्र का उल्लंघन करने वाले भवनों को ध्वस्त करना या नया रूप देना।
- नए एयरपोर्ट के लिए सुरक्षा ज़ोन सुनिश्चित करना — बिना सुरक्षा तर्क के लैंडिंग ज़ोन में कटौती से बचना।
- पारदर्शिता और रिपोर्टिंग को बढ़ावा देना:
- व्हिसल-ब्लोअर संरक्षण कानून लागू करना ताकि रिपोर्ट करने वाले कर्मचारियों को प्रतिशोध से बचाया जा सके।
- घटना रिपोर्ट और DGCA ऑडिट को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराना ताकि जवाबदेही बढ़े।
- न्यायिक सहयोग:
- विमानन मामलों के लिए विशेष फास्ट-ट्रैक न्यायाधिकरण स्थापित करना।
- पीड़ितों के लिए मुआवज़ा बढ़ाना और दुर्घटनाओं के बाद समयबद्ध निपटान सुनिश्चित करना।
निष्कर्ष
- भारतीय विमानन क्षेत्र संस्थागत विघटन से ग्रस्त है। यदि व्यापक सुधार, नियामक जवाबदेही और वास्तविक सुरक्षा संस्कृति को लागू नहीं किया गया, तो अगली त्रासदी का प्रश्न “कब” का है, “क्या” का नहीं।
- यह पुकार दंड के लिए नहीं, संरक्षण के लिए है। आरोपों के लिए नहीं, जिम्मेदारी के लिए है। आसमान को सुरक्षित बनाना होगा — संयोग से नहीं, बल्कि डिज़ाइन से।
| दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न [प्रश्न] भारत के विमानन क्षेत्र में विनियामक, अवसंरचनात्मक एवं चालक दल कल्याण संबंधी चुनौतियों का बने रहना प्रशासनिक जवाबदेही में समस्याओं को कैसे उजागर करता है, और जनता का विश्वास पुनर्स्थापित करने के लिए तत्काल सुधार क्यों आवश्यक है? |