Editorial Analysis in Hindi
भारत का रक्षा क्षेत्र आधुनिकीकरण प्रयासों, आत्मनिर्भरता पहलों और रणनीतिक वैश्विक साझेदारी से प्रेरित होकर महत्त्वपूर्ण परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। इन विकासों का उद्देश्य सैन्य क्षमताओं को बढ़ाना और भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना है।
चीन की आक्रामक विस्तारवादी रणनीतियों ने वैश्विक स्तर पर, विशेषकर भारत जैसे पड़ोसी देशों के मध्य चिंता बढ़ा दी है। भारत और चीन के बीच सीमा पर हाल ही में हुए घटनाक्रम बीजिंग की आक्रामक क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं को प्रकट करते हैं, जो महत्त्वपूर्ण भू-राजनीतिक चुनौतियाँ प्रस्तुत करते हैं।
चूँकि प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM) योजना अपने लक्ष्य वर्ष 2026 के निकट पहुँच रही है, इसलिए चुनौतियों का समाधान करने और किसानों के लिए ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करने, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में इसके प्रभाव को अनुकूलित करने के लिए पुनर्संयोजन आवश्यक है।
भारत की निरंतर आर्थिक वृद्धि, राजनीतिक स्थिरता एवं स्वतंत्र विदेश नीति ने देश को वैश्विक मंच पर एक प्रमुख अभिकर्त्ता के रूप में स्थापित किया है। हालाँकि, इस स्थिति को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए विदेश मंत्रालय (MEA) में वर्तमान कमियों एवं अक्षमताओं को दूर करने के लिए महत्त्वपूर्ण सुधारों की आवश्यकता है।
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