भारत की न्यायिक प्रणाली में तत्काल सुधार की आवश्यकता है, क्योंकि विभिन्न न्यायालयों में 4.8 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं, जिनमें से कुछ दशकों से लंबित हैं।
भारत को राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता को सुदृढ़ करके और कर अपवर्तन एवं अनुदानों में संतुलन पुनर्स्थापित करके न्यायसंगत राजकोषीय संघवाद सुनिश्चित करना चाहिए।
यूनिसेफ की ‘स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन (SWOC) 2025’ रिपोर्ट के अनुसार भारत जैसे विकासशील देशों को अत्यधिक बाल गरीबी और बहुआयामी बाल अभाव का सामना करना पड़ रहा है।
वायनाड भूस्खलन (केरल, 2024) का मामला उन संरचनात्मक समस्याओं को उजागर करता है, जहाँ ₹2,200 करोड़ की आकलित हानि के बावजूद केंद्र से केवल ₹260 करोड़ प्राप्त हुए। इसने भारत की आपदा-प्रतिक्रिया वित्तीय प्रणाली पर चिंताओं को पुनः उत्पन्न कर दिया है।
एक ऐतिहासिक नीतिगत परिवर्तन में भारत ने अपने नागरिक परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया है—यह क्षेत्र 1962 के परमाणु ऊर्जा अधिनियम के लागू होने के बाद से केवल राज्य के लिए आरक्षित था।
हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने एक समान राष्ट्रीय न्यायिक नीति (Uniform National Judicial Policy) का प्रस्ताव रखा है, ताकि सम्पूर्ण भारत के न्यायालय मामलों का निर्णय अधिक स्पष्टता, स्थिरता और पूर्वानुमेयता के साथ कर सकें, जिससे न्याय तक पहुँच एवं न्यायपालिका में जनविश्वास सुदृढ़ हो।
हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय में एक मुकदमा दायर किया गया, जो एआई-जनित डीपफेक वीडियो से संबंधित है, जिसने व्यक्तित्व अधिकारों का उल्लंघन किया। यह मामला इस तथ्य को रेखांकित करता है कि एआई कैसे प्रामाणिकता और धोखे के बीच की रेखा को धुंधला कर देता है, जिससे समाजों को डिजिटल युग में मानव पहचान की कानूनी एवं नैतिक सीमाओं पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित होना पड़ता है।
मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (FLN) में लगातार सीखने का अंतर, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अंतगर्त बड़े एजुकेशनल सुधार एजेंडा के लिए खतरा है।
हाल ही में घोषित चार श्रम संहिताओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सुदृढ़ केंद्र-राज्य सहयोग आवश्यक है, जो सरकार के सभी स्तरों पर एकीकृत नीति क्रियान्वयन पर निर्भर करता है।
एशिया की ओर भारत की विदेश नीति का फोकस बदलते वैश्विक परिदृश्य को दर्शाता है, जहाँ एशिया आर्थिक गतिशीलता, तकनीकी नवाचार और भू-राजनीतिक प्रभाव का केंद्र बनकर उभर रहा है।