पाठ्यक्रम: GS3/ऊर्जा
संदर्भ
- भारत सरकार ने वर्ष 2070 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निवेश को प्रोत्साहित करने, नवाचार को बढ़ावा देने और हरित ऊर्जा परिवर्तन को तीव्र करने हेतु भारत की सौर ऊर्जा क्षमता का डेटा आधारित पुनर्मूल्यांकन प्रारंभ किया है।
भारत में सौर ऊर्जा
- भारत स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में तेज़ी से एक वैश्विक अग्रणी बन रहा है, जहां स्थापित सौर क्षमता 110 गीगावाट से अधिक है।
- कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 237.5 गीगावाट तक पहुंच गई है।
भारत की सौर क्षमता (TERI अनुसार)
- भारत की कुल सौर क्षमता अनुमानतः 10,830 GW है जिसमें शामिल हैं:
- बंजर भूमि पर ग्राउंड-माउंटेड सोलर: 4,909 GW
- कृषि-पार्व (प्लांटेशन पर): 4,177 GW
- ग्रामीण और शहरी रूफटॉप सोलर: 960 GW
- रेल, सड़क और भवन-एकीकृत सोलर: 684 GW
- फ्लोटिंग सोलर पीवी: 100 GW
वैश्विक तुलना (विश्व बैंक वैश्विक सौर एटलस के अनुसार)
- भारत सौर पीवी स्थितियों के लिए उत्कृष्ट देशों में शामिल है, जहाँ सौर विकिरण उच्च और मौसमी उतार-चढ़ाव कम है।
- नामीबिया, चिली, ऑस्ट्रेलिया, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में सौर क्षमता 4.5 kWh/kWp प्रतिदिन से अधिक है।
- चीन और अमेरिका में स्थापित क्षमता अधिक है, लेकिन भारत की तुलना में औसत सौर विकिरण कम है।
| वैश्विक सौर एटलस (GSA) – यह विश्व बैंक के ESMAP और सोलार्जिस(Solargis ) द्वारा विकसित एक मुफ्त वेब आधारित उपकरण है। – यह उच्च-रिज़ॉल्यूशन डाटा और नक्शों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा क्षमता का आकलन करता है। मुख्य विशेषताएं – इंटरएक्टिव मैपिंग: 1 किमी रिज़ॉल्यूशन तक किसी भी लोकेशन में ज़ूम कर सकते हैं। – सौर संसाधन डेटा: GHI, DNI और पीवी पावर पोटेंशियल शामिल। – पीवी कैलकुलेटर: साइट-विशिष्ट और क्षेत्रीय आकलन प्रदान करता है। – डाउनलोड योग्य मैप: GIS लेयर्स और पोस्टर देश विशिष्ट योजना और विश्लेषण के लिए। – घंटा-दर-घंटा प्रोफाइल: मासिक सारांश और 12×24 औसत। |
भारत की सौर क्षमता के उपयोग में चुनौतियाँ
- पुरानी अनुमान प्रणाली: आधिकारिक सौर क्षमता 748 GWp है, जो 2010 के डेटा पर आधारित है।
- विकिरण, भूमि उपयोग, और बुनियादी ढांचे की स्थिति पर विस्तृत डेटा की कमी।
- केंद्र और राज्य एजेंसियों में संसाधन आवंटन पर समन्वय की कमी।
- भूमि उपयोग पैटर्न में परिवर्तन : शहरीकरण, औद्योगीकरण, कृषि भूमि परिवर्तन और डिजिटलीकरण।
- उदाहरण: पावागड़ा और भड़ला सोलर पार्क को स्थानीय विरोध का सामना करना पड़ा।
- ग्रिड इंटीग्रेशन और बुनियादी ढांचे की कमी: ट्रांसमिशन बाधाएँ और स्मार्ट ग्रिड की कमी।
- घरेलू विनिर्माण कमजोर: सौर मूल्य श्रृंखला में बैकवर्ड इंटीग्रेशन की कमी, जैसे कि वेफर्स और पॉलीसिलिकॉन का घरेलू उत्पादन नहीं होता।
- रूफटॉप सोलर में कम अपनत्व: नेट मीटरिंग की सीमाएं, देरी, असंगत नीतियाँ और उच्च प्रारंभिक लागत।
प्रमुख प्रयास और पहलें
- PLI योजना: उच्च दक्षता सौर पीवी मॉड्यूल के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देना।
- सोलर पार्क योजना: 2025–26 तक 38 GW की संयुक्त क्षमता वाले 50 पार्क स्थापित करने का लक्ष्य।
- PM-कुसुम योजना: 2026 तक 30.8 GW कृषि सौर क्षमता को लक्षित करता है।
- PM सूर्य घर योजना: 1 करोड़ घरों को 300 यूनिट तक मुफ्त विद्युत।
- ₹75,021 करोड़ का परिव्यय: सब्सिडी, DISCOM प्रोत्साहन, क्षमता निर्माण
- 20 GW रूफटॉप सोलर जोड़ने की संभावना।
- अंतरराष्ट्रीय सोलर गठबंधन (ISA): भारत नेतृत्व में 120+ सदस्य देश
- SolarX स्टार्टअप चैलेंज, ग्रीन हाइड्रोजन इनोवेशन सेंटर और सोलर डेटा पोर्टल
- ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर: ट्रांसमिशन इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना
- नीतिगत समर्थन:
- ऑटोमैटिक रूट से 100% एफडीआई की अनुमति
- अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन शुल्क में छूट
- हरित खुली पहुँच नियम और नेट मीटरिंग सुधार
आगे की राह: सौर ऊर्जा की पूरी क्षमता का दोहन
- फ्लोटिंग सोलर पीवी (FSPV): जल निकायों का उपयोग कर भूमि की कमी से निपटना।
- जल सतहों का बेहतर मैपिंग, वाष्पीकरण हानि की समझ और प्रदर्शन डेटा।
- लगभग 100 GW क्षमता को सक्षम किया जा सकता है।
- आधुनिक मूल्यांकन पद्धतियाँ:
- सौर विकिरण, भूमि ढाल, सबस्टेशन और सड़कों की निकटता।
- ISRO की रिमोट सेंसिंग डेटा, वैश्विक सौर एटलस और NREL का रेडिएशन डेटा।
- CEA का ट्रांसमिशन ग्रिड डेटा।
- आर्थिक प्रभाव:
- सौर पैनल रीसायक्लिंग उद्योग को गति मिलेगी।
- घरेलू और विदेशी निवेश आकर्षित होंगे।
- सौर निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र का विस्तार।
- वेफर्स, पॉलीसिलिकॉन और सिलिकॉन का उत्पादन।
- सहायक उद्योगों और हरित नौकरियों का सृजन।
- स्मार्ट भूमि और संसाधन योजना:
- राज्य और केंद्र सरकारें भूमि, जल एवं ट्रांसमिशन कॉरिडोर का रणनीतिक आवंटन कर सकती हैं।
- साझा बुनियादी ढांचे का प्रचार—सड़कें, पावर लाइनें, वर्कर टाउनशिप।
- त्वरित कार्यान्वयन और पैमाने की अर्थव्यवस्था।
- वैश्विक नेतृत्व और रणनीतिक दृष्टि:
- ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ जैसी पहलों के माध्यम से।
- नई मूल्यांकन प्रणाली और न्यायसंगत ऊर्जा पहुंच।
- भारत को स्वच्छ ऊर्जा महाशक्ति के रूप में सशक्त बनाना।
| दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न [प्रश्न] ‘भारत की सौर स्वर्ण खदान’ की अवधारणा किस प्रकार नवीकरणीय ऊर्जा में देश की रणनीतिक क्षमता को प्रतिबिंबित करती है, और यह वैश्विक जलवायु नेतृत्व में भारत की भूमिका को किस प्रकार आकार दे सकती है? |