पारंपरिक चिकित्सा की बढ़ती प्रासंगिकता

पाठ्यक्रम: GS2/स्वास्थ्य

संदर्भ

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार पारंपरिक चिकित्सा 88% सदस्य देशों — 194 में से 170 देशों — में प्रचलित है।

परिचय 

  • बढ़ती स्वीकार्यता: विश्लेषकों का अनुमान है कि वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा बाजार 2025 तक $583 बिलियन तक पहुंच जाएगा, जिसकी वार्षिक वृद्धि दर 10%–20% के बीच होगी। 
  • देशवार बाजार: चीन की पारंपरिक चीनी चिकित्सा का मूल्य $122.4 बिलियन, ऑस्ट्रेलिया की हर्बल चिकित्सा उद्योग का मूल्य $3.97 बिलियन, तथा भारत के आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) क्षेत्र का मूल्य $43.4 बिलियन आंका गया है। 
  • स्वास्थ्य देखभाल में परिवर्तन: यह विस्तार स्वास्थ्य देखभाल दर्शन में एक मूलभूत बदलाव को दर्शाता है — प्रतिक्रियात्मक उपचार मॉडल से सक्रिय, निवारक दृष्टिकोण की ओर, जो केवल लक्षणों के बजाय मूल कारणों को संबोधित करता है।

आयुष (आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) 

  • आयुष विभाग का मुख्य उद्देश्य लोगों को आयुष प्रणाली के अंतर्गत स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। 
  • आयुष प्रणाली में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध एवं होम्योपैथी की स्वास्थ्य देखभाल तथा उपचार विधियाँ सम्मिलित हैं। 
  • सरकार इन प्रणालियों को आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल के साथ एकीकृत करने के उद्देश्य से विभिन्न पहलों के माध्यम से बढ़ावा देती है।
आयुष (आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) 

आयुष प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ:

  • आयुर्वेद: यह जड़ी-बूटियों, आहार और जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से समग्र उपचार पर केंद्रित है। यह शरीर, मन एवं आत्मा में संतुलन पर बल देता है।
  • योग और प्राकृतिक चिकित्सा: योग आसनों, श्वास अभ्यास और ध्यान के माध्यम से शारीरिक एवं मानसिक कल्याण को बढ़ावा देता है। प्राकृतिक चिकित्सा प्राकृतिक उपचार और जीवनशैली में बदलाव पर बल देती है।
  • यूनानी: यूनानी चिकित्सा ग्रीक चिकित्सा से उत्पन्न हुई है, जो हर्बल उपचारों का उपयोग करती है और शरीर के तत्वों के बीच संतुलन पर बल देती है।
  • सिद्ध: यह दक्षिण भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली है, जो रसायन विज्ञान और हर्बल चिकित्सा पर केंद्रित है।
  • होम्योपैथी: “समानता द्वारा उपचार” के सिद्धांत पर आधारित, यह विभिन्न रोगों के उपचार के लिए अत्यधिक अत्यधिक विलयित पदार्थों का उपयोग करती है।

भारत का आयुर्वेदिक परिवर्तन 

  • आयुष उद्योग, जिसमें 92,000 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम शामिल हैं, ने एक दशक से भी कम समय में लगभग आठ गुना विस्तार किया है।
  •  भारत अब $1.54 बिलियन मूल्य के आयुष और हर्बल उत्पादों को 150 से अधिक देशों में निर्यात करता है। 
  • वर्तमान में, आयुर्वेद को 30 से अधिक देशों में पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में मान्यता प्राप्त है। 
  • आयुष वीज़ा: गृह मंत्रालय ने विदेशी नागरिकों के लिए चिकित्सा उपचार जैसे चिकित्सीय देखभाल, वेलनेस और योग हेतु एक नया वीज़ा श्रेणी “आयुष वीज़ा” शामिल किया है। 
  • अब तक, मंत्रालय की अंतरराष्ट्रीय सहयोग (IC) योजना के अंतर्गत 08 देशों — केन्या, अमेरिका, रूस, लातविया, कनाडा, ओमान, ताजिकिस्तान एवं श्रीलंका — में यूनानी और आयुर्वेद के 50 से अधिक उत्पादों का पंजीकरण किया गया है। 
  • वैश्विक मान्यता: आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत के जामनगर में विश्व का प्रथम और एकमात्र वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र (WHO GTMC) स्थापित किया है।
    • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2014 में सर्वसम्मति से 21 जून को प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया।

सरकारी पहलें

  • वैश्विक विस्तार: भारत ने 25 द्विपक्षीय समझौते और 52 संस्थागत साझेदारियाँ की हैं, और 39 देशों में 43 आयुष सूचना केंद्र स्थापित किए हैं।
  • आयुष मंत्रालय: 2014 में स्थापित यह मंत्रालय पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने, गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करने और प्रथाओं को विनियमित करने के लिए समर्पित है।
  • NAM: सरकार राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के माध्यम से देश में राष्ट्रीय आयुष मिशन (NAM) की केंद्रीय प्रायोजित योजना लागू कर रही है, जिसका उद्देश्य आयुष प्रणालियों का प्रचार एवं विकास है।
    • आयुष ग्राम अवधारणा के अंतर्गत,  व्यवहार परिवर्तन संचार, स्थानीय औषधीय जड़ी-बूटियों की पहचान और उपयोग हेतु ग्राम स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण, एवं आयुष स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता के माध्यम से आयुष आधारित जीवनशैली को बढ़ावा दिया जाता है।
  • आयुष निर्यात संवर्धन परिषद (AYUSHEXCIL): इसे आयुष मंत्रालय द्वारा वाणिज्य मंत्रालय के सहयोग से वैश्विक स्तर पर आयुष उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया है।
  • वैज्ञानिक मान्यता: भारत ने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, और आयुर्वेदिक विज्ञान में अनुसंधान हेतु केंद्रीय परिषद जैसे संस्थानों के माध्यम से अनुसंधान में महत्वपूर्ण निवेश किया है।
    • ये संस्थान नैदानिक मान्यता, औषध मानकीकरण और पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ जोड़ने वाले समन्वित देखभाल मॉडल के विकास पर केंद्रित हैं।
  • आयुष में सूचना, शिक्षा और संचार (IEC): इस योजना के अंतर्गत मंत्रालय राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर आरोग्य मेलों का आयोजन, मल्टीमीडिया अभियान, प्रचार सामग्री की तैयारी और वितरण (ऑडियो-विज़ुअल सामग्री सहित) जैसी प्रचार गतिविधियाँ करता है।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रचार: मंत्रालय विदेशी देशों में अंतरराष्ट्रीय बैठकों, सम्मेलनों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने हेतु आयुष विशेषज्ञों को भेजता है, जिससे आयुष प्रणालियों का प्रचार और प्रसार हो सके।

Source: TH

 

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