भारत-जापान संबंध और क्वाड

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संदर्भ

  • जापान की नव-निर्वाचित प्रधानमंत्री ने रक्षा व्यय बढ़ाने और भारत तथा क्वाड गठबंधन के अन्य सदस्य देशों — अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया एवं भारत — के साथ रणनीतिक संबंधों को गहरा करने का संकल्प लिया है।
जापान की दृष्टि 
– सानाे ताकाइची, जापान की प्रथम महिला प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा पर अपने दृढ़ दृष्टिकोण के लिए जानी जाती हैं। 
– उनकी सरकार ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जापान के पारंपरिक शांतिवादी रक्षा नीति (अनुच्छेद 9) से हटने के संकेत दिए हैं। उन्होंने वादा किया है कि वे:
1. रक्षा व्यय को वर्तमान जीडीपी के 2% से अधिक बढ़ाएंगी;
2. जापान की आत्म-रक्षा बलों का आधुनिकीकरण करेंगी;
3. सैन्य हस्तक्षेप को सीमित करने वाले संवैधानिक प्रावधानों की पुनः समीक्षा करेंगी।
सुरक्षा गठबंधनों के प्रति प्रतिबद्धता 
– उन्होंने क्वाड (जापान, भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया) जैसे ढांचों में जापान की भागीदारी एवं अमेरिका, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस और ASEAN देशों के साथ साझेदारी पर बल दिया। 
– उन्होंने यह रेखांकित किया कि ‘स्वतंत्र, खुला और स्थिर अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था’ पर ‘शक्ति संतुलन में ऐतिहासिक बदलाव’ एवं ‘तीव्र  होती भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा’ से दबाव है, तथा रूस, चीन तथा उत्तर कोरिया को गंभीर सुरक्षा चिंताओं के रूप में चिन्हित किया।

भारत–जापान संबंधों के बारे में 

  • ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: भारत एवं जापान के बीच एक दीर्घकालिक सभ्यतागत संबंध है, जो बौद्ध सांस्कृतिक जुड़ाव और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की कूटनीतिक पहल पर आधारित है।
    • आधुनिक रणनीतिक सहयोग की शुरुआत प्रधानमंत्री शिंजो आबे की 2007 की भारत यात्रा और उनके ‘दो समुद्रों का संगम’ भाषण से हुई — जो क्वाड ढांचे की वैचारिक नींव था।
  • रणनीतिक साझेदारी: द्विपक्षीय संबंधों को 2014 में भारतीय प्रधानमंत्री की जापान यात्रा के दौरान ‘विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी’ का दर्जा दिया गया।
    • यह साझेदारी रक्षा, प्रौद्योगिकी, अवसंरचना और समुद्री सुरक्षा को समाहित करती है, जिसमें शामिल हैं:
      • 2+2 मंत्री स्तरीय संवाद (विदेश और रक्षा मंत्री);
      • वार्षिक शिखर बैठकें;
      • व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA);
      • हाई-स्पीड रेल (मुंबई–अहमदाबाद), स्वच्छ ऊर्जा और महत्वपूर्ण तकनीकों (सेमीकंडक्टर्स, एआई, 5G) में सहयोग। 
  • जापान ने भारत–जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को गहरा करने की इच्छा व्यक्त है, और दोनों देश रक्षा, प्रौद्योगिकी एवं कार्यबल विकास में सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार हैं। वर्तमान कार्य योजना के तहत अगले पांच वर्षों में 5 लाख कार्यबल आदान-प्रदान की सुविधा दी जाएगी — जिसमें भारत से 50,000 कुशल पेशेवर शामिल होंगे।
  • रक्षा और सुरक्षा सहयोग: भारत और जापान ने संयुक्त सैन्य अभ्यासों को तीव्र किया है जैसे धर्म गार्जियन, जापान–भारत समुद्री अभ्यास (JIMEX), और मालाबार — जिसमें अमेरिका एवं ऑस्ट्रेलिया भी क्वाड के अंतर्गत शामिल हैं।
    •  2020 में हस्ताक्षरित अधिग्रहण और पारस्परिक सेवा समझौता (ACSA) दोनों सेनाओं के बीच पारस्परिक लॉजिस्टिक समर्थन को सक्षम बनाता है, जिससे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अंतर-संचालन क्षमता बढ़ती है।
  • आर्थिक और तकनीकी स्तंभ: जापान भारत का पाँचवाँ सबसे बड़ा निवेशक है, जिसने 2014 की निवेश संवर्धन साझेदारी के अंतर्गत $40 बिलियन से अधिक की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। सहयोग के क्षेत्र हैं:
    • स्मार्ट शहर और औद्योगिक गलियारे (दिल्ली–मुंबई, चेन्नई–बेंगलुरु);
    • साइबर सुरक्षा और 5G नवाचार के लिए डिजिटल साझेदारी;
    • ऑस्ट्रेलिया के साथ आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल (SCRI), जिससे चीन पर निर्भरता कम होती है।
  • समुद्री और क्षेत्रीय महत्त्व: भारत और जापान दोनों इंडो-पैसिफिक को भारतीय और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाला एक सतत क्षेत्र मानते हैं।
    • जापान की ‘मुक्त और खुला इंडो-पैसिफिक’ (FOIP) दृष्टि भारत की ‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास’ (SAGAR) सिद्धांत के साथ सामंजस्यशील है। क्वाड में उनकी संयुक्त नेतृत्व प्रतिबद्धता को दर्शाता है:
      • UNCLOS आधारित समुद्री व्यवस्था को बनाए रखना;
      • नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना;
      • क्षेत्रीय क्षमता निर्माण को सुदृढ़ करना (ASEAN, प्रशांत द्वीप और अफ्रीका में)।

संबंधित चिंताएँ और चुनौतियाँ 

  • रणनीतिक विषमता: जापान अमेरिका का करीबी सहयोगी है, जबकि भारत रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखता है। यह चीन, क्षेत्रीय सुरक्षा एवं क्वाड प्राथमिकताओं पर भिन्न दृष्टिकोणों को उत्पन्न कर सकता है।
  • आर्थिक असंतुलन: सुदृढ़ कूटनीतिक संबंधों के बावजूद द्विपक्षीय व्यापार सीमित है। जापान के भारत में निवेश उल्लेखनीय हैं, लेकिन भारत के जापान को निर्यात पिछड़े हुए हैं।
  • अवसंरचना बाधाएँ: मुंबई–अहमदाबाद बुलेट ट्रेन जैसे प्रमुख परियोजनाएं भूमि अधिग्रहण और नियामक बाधाओं के कारण विलंबित हैं।
    • ये विलंब निवेशकों के विश्वास को प्रभावित कर सकते हैं और गति को धीमा कर सकते हैं।
  • सांस्कृतिक और व्यावसायिक अंतर: भाषा की बाधाएं, कार्य संस्कृति में अंतर और भारत में नियामक जटिलता जापानी व्यवसायों को हतोत्साहित कर सकती हैं।
    • जापान–भारत स्टार्टअप हब इन अंतरालों को समाप्त करने का प्रयास करता है, लेकिन चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
  • क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताएँ: दोनों देश एक आक्रामक चीन से दबाव में हैं, लेकिन उनके खतरे की धारणा और प्रतिक्रियाएं भिन्न हैं।
    • क्वाड के अंदर समन्वय को राष्ट्रीय हितों और सामूहिक लक्ष्यों के बीच संतुलन बनाना होगा।
  • प्रौद्योगिकी और नवाचार अंतर: जापान रोबोटिक्स और उन्नत विनिर्माण में अग्रणी है, जबकि भारत आईटी एवं डिजिटल सेवाओं में सुदृढ़ है।
    • संयुक्त नवाचार के लिए इन ताकतों को संरेखित करने हेतु बेहतर नीति समन्वय और अनुसंधान सहयोग की आवश्यकता है।

आगे की राह: भारत–जापान संयुक्त दृष्टि आगामी दशक के लिए

  •  लचीली आपूर्ति श्रृंखला और आर्थिक सुरक्षा: महत्वपूर्ण खनिजों, सेमीकंडक्टर्स और हरित तकनीकों के लिए विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ करना।
    • भारत के विनिर्माण और डिजिटल अवसंरचना में जापानी निवेश को बढ़ावा देना। 
    • एशिया लचीली आपूर्ति श्रृंखला पहल (ARSCI) के अंतर्गत सहयोग।
  • कनेक्टिविटी और अवसंरचना साझेदारी: भारत की अवसंरचना — हाई-स्पीड रेल, औद्योगिक गलियारे और स्मार्ट शहरों — में जापान की ODA एवं निजी निवेश का विस्तार।
    • दक्षिण एशिया, अफ्रीका और इंडो-पैसिफिक में तीसरे देश की अवसंरचना परियोजनाओं में सहयोग, पारदर्शिता एवं स्थायित्व पर बल।
  • रक्षा और सुरक्षा सहयोग: समुद्री डोमेन जागरूकता (MDA) में गहरा सहयोग, संयुक्त अभ्यास और रक्षा प्रौद्योगिकी का सह-विकास।
    • भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के अनुरूप रक्षा उत्पादन साझेदारी पर ध्यान।
  • डिजिटल साझेदारी और महत्वपूर्ण तकनीकें: 5G/6G, एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग और साइबर सुरक्षा में सहयोग।
    • भारत–जापान डिजिटल साझेदारी 2.0 की स्थापना। 
    • विश्वसनीय दूरसंचार नेटवर्क और डिजिटल शासन पर संयुक्त अनुसंधान।
  • ऊर्जा संक्रमण और जलवायु कार्रवाई: हरित हाइड्रोजन, अमोनिया, अपतटीय पवन ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा सुरक्षा में सहयोग।
    • ऊर्जा दक्षता, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और कार्बन कैप्चर पहलों में निवेश। 
    • भारत–जापान स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी (CEP) को सुदृढ़ करना।
  • लोगों के बीच आपसी संपर्क और सांस्कृतिक आदान-प्रदान: शैक्षिक, पर्यटन और युवा आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए नई पहल।
    • जापान-भारत विनिर्माण संस्थान और भारतीय विश्वविद्यालयों में जापानी अनुदानित पाठ्यक्रमों  के माध्यम से कौशल विकास कार्यक्रम।
  • शांतिपूर्ण और सतत भविष्य के लिए साझेदारी: संयुक्त मानवीय सहायता, आपदा राहत , और वैश्विक स्वास्थ्य पहल।
    • वैश्विक दक्षिण में सतत विकास पर सहयोग को सुदृढ़ किया।
    • मानव-केंद्रित प्रौद्योगिकी और लचीले लोकतंत्रों के लिए साझा दृष्टिकोण।

Source: TH

 

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