विदेशी राष्ट्रों पर भारत की अधिक निर्भरता

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संदर्भ

  • भारत के प्रधानमंत्री की हालिया टिप्पणियाँ यह उजागर करती हैं कि चीन से लेकर रूस और अमेरिका तक भारत की अधिक विदेशी निर्भरता है, तथा यह रणनीतिक स्वायत्तता और बहु-संरेखण की वार्ता के बावजूद रणनीतिक बहु-निर्भरता की वास्तविकता का सामना कर रहा है।

विदेशी शक्तियों पर भारत की अधिक निर्भरता 

  • भारत का वैश्विक शक्ति के रूप में उदय प्रायः उसकी आर्थिक वृद्धि, रणनीतिक कूटनीति और तकनीकी दक्षता के लिए सराहा जाता है। 
  • हालांकि, इसके पीछे एक जटिल निर्भरता का जाल है — व्यापार के लिए चीन पर, रक्षा के लिए रूस पर, और तकनीक व निवेश के लिए अमेरिका पर।

संयुक्त राज्य अमेरिका पर निर्भरता

  • व्यापार और बाज़ार: अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है, जो भारतीय उद्योग के लिए आवश्यक राजस्व प्रदान करता है।
  • शिक्षा और वीज़ा:
    • H-1B वीज़ा: यह लंबे समय से भारतीय पेशेवरों, विशेष रूप से STEM क्षेत्रों में, अमेरिका में कार्य करने का मार्ग रहा है।
      • FY2023 में अनुमोदनों में भारतीयों की हिस्सेदारी लगभग 70% रही।
    • छात्र प्रवासन: अमेरिका भारतीय छात्रों के लिए शीर्ष गंतव्यों में शामिल है।
    • ग्रीन कार्ड: कई भारतीय परिवारों की दीर्घकालिक आकांक्षा।
  • रक्षा तकनीक और रणनीति: भारत अमेरिकी हथियारों और तकनीक पर निर्भर है — स्वदेशी लड़ाकू विमानों के इंजन, मिसाइलें, ड्रोन एवं टोही प्रणालियाँ सम्मिलित हैं।
    • रणनीतिक रूप से, वाशिंगटन को इंडो-पैसिफिक में बीजिंग के संतुलन के रूप में देखा जाता है।

चीन पर निर्भरता

  • उपभोक्ता और औद्योगिक वस्तुएँ: भारत का मध्यम वर्ग चीनी उत्पादों पर निर्भर है — इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर घरेलू उपकरणों तक।
    • मोबाइल फोन असेंबली में भी महत्वपूर्ण पुर्जे चीन से आयात होते हैं।
  • फार्मास्युटिकल इनपुट्स: चीन सक्रिय औषधीय घटक (API) और पूर्ववर्ती रसायन प्रदान करता है, जिनके बिना भारत की दवा उद्योग कमजोर पड़ सकती है।
  • वस्तुएँ और तकनीक:
    • दुर्लभ पृथ्वी धातुएँ: बैटरियों और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए आवश्यक।
    • सौर उपकरण: पॉलीसिलिकॉन, वेफर्स और सोलर सेल्स।
    • उर्वरक और मशीनरी: सुरंग खोदने वाले उपकरण सहित।
    • कंप्यूटर और सेमीकंडक्टर: चीनी आयातों का प्रभुत्व।

रूस पर निर्भरता

  • रक्षा उपकरण: भारत की रूस पर हथियारों के लिए निर्भरता 1970 के दशक से चली आ रही है।
    • संभावना है कि सेना, नौसेना और वायुसेना में 60–70% निर्भरता है — प्लेटफॉर्म, सिस्टम और स्पेयर पार्ट्स सहित।
  • ऊर्जा: भारत के तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 2022 में 4% से बढ़कर चरम पर लगभग 40% तक पहुँच गई।
    • भारतीय रिफाइनरियाँ अब रूसी आपूर्ति पर निर्भर हैं, जिससे अचानक बदलाव कठिन हो गया है।

विदेशी निर्भरता के प्रभाव

विदेशी निर्भरता के प्रभाव

अंतराल और चुनौतियाँ

  • रणनीतिक संतुलन और सीमित विकल्प: तीनों शक्तियों पर निर्भरता भारत को गंभीर कूटनीतिक सीमाओं में डालती है:
    • चीन के साथ सीमा मुद्दों पर भारत खुलकर विरोध नहीं कर सकता।
    • रूस को अलग नहीं कर सकता, भले ही वह चीन और पाकिस्तान के साथ संबंध रखता हो या यूक्रेन मुद्दे पर।
    • अमेरिका के साथ टैरिफ, रक्षा या रणनीतिक संरेखण पर टकराव नहीं कर सकता। यह भारत को सीमित विकल्पों में बाँध देता है, जैसे 1989 में सोवियत संघ के पतन के बाद की असुरक्षा।
  • महत्वपूर्ण घटकों में तकनीकी अंतराल: सुदृढ़ नीतियों के बावजूद भारत अभी भी कई मूलभूत घटकों (इंजन, उन्नत सेंसर, सेमीकंडक्टर) के लिए विदेशी स्रोतों पर निर्भर है।
  • समय अंतराल: क्षमता निर्माण में वर्षों लगते हैं; नीति से क्रियान्वयन तक की गति प्रायः खतरे/संवेदनशीलता की समयसीमा से धीमी होती है।
  • पूंजी, कौशल, संस्थागत कमजोरियाँ: अनुसंधान एवं विकास, मानव संसाधन, आपूर्ति श्रृंखला पारिस्थितिकी तंत्र में निवेश असमान है, और नियामक व अवसंरचना बाधाओं से ग्रस्त है।
  • विश्वसनीयता और गुणवत्ता: घरेलू विकल्प कभी-कभी विदेशी तकनीक की विश्वसनीयता से मेल नहीं खाते, जिससे खरीद निर्णयों में जड़ता आती है।
  • बाहरी दबाव: प्रतिबंध, कूटनीतिक दबाव, व्यापार बाधाएँ — जब निर्भरता अधिक होती है, तो ये भारत को प्रभावित कर सकते हैं।

संबंधित प्रयास और पहलें

  • मेक इन इंडिया: रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स और अवसंरचना सहित विभिन्न क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने पर केंद्रित।
  • रक्षा उत्पादन में वृद्धि: FY 2023–24 में स्वदेशी रक्षा उत्पादन ₹1.27 लाख करोड़ तक पहुँचा, और FY 2024–25 में निर्यात ₹23,622 करोड़ तक पहुँचा।
  • सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची: 14,000 से अधिक आयातित रक्षा वस्तुओं का सफलतापूर्वक स्वदेशीकरण किया गया।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी: रणनीतिक नीतियाँ अब निजी कंपनियों को उन्नत सैन्य प्लेटफॉर्म विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
  • आत्मनिर्भर भारत अभियान: आयात पर निर्भरता कम करने और भारत की आंतरिक क्षमताओं को सुदृढ़ करने का लक्ष्य।
  • सेमीकंडक्टर पहल: भारत 2025 तक अपना प्रथम मेड-इन-इंडिया सेमीकंडक्टर चिप लॉन्च करेगा।
  • न्यूक्लियर सेक्टर उदारीकरण: निजी कंपनियों को परमाणु ऊर्जा में निवेश के लिए आमंत्रित किया जा रहा है, जिससे विदेशी तकनीक पर निर्भरता कम हो।
  • क्रिटिकल मिनरल्स मिशन: ऊर्जा और रक्षा के लिए आवश्यक खनिजों को सुरक्षित करने हेतु 1,200 स्थलों की खोज।
  • विकसित भारत 2047 के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण (नीति आयोग): यह भारत को स्वतंत्रता की शताब्दी तक पूर्ण विकसित और वैश्विक प्रभावशाली राष्ट्र के रूप में देखता है।
    • चार स्तंभ: आर्थिक प्रतिस्पर्धा, राष्ट्रीय सुरक्षा, वैश्विक साझेदारी और कानूनी सुधार।
  • रक्षा आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन: एआई-आधारित लॉजिस्टिक्स, ब्लॉकचेन सुरक्षा और सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर बल।
  • तकनीकी हस्तांतरण और गठबंधन: अमेरिका, रूस और इज़राइल जैसे देशों के साथ संयुक्त अनुसंधान एवं साइबर सुरक्षा के लिए संबंध मजबूत करना।
  • डीपवॉटर और ऊर्जा स्वतंत्रता मिशन: ईंधन आयात निर्भरता को कम करने के लिए अपतटीय ऊर्जा अन्वेषण और नवीकरणीय अवसंरचना में निवेश।
    • राष्ट्रीय डीपवॉटर एक्सप्लोरेशन मिशन: ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लिए अपतटीय संसाधनों को खोलना।
    • ग्रीन हाइड्रोजन और सौर विस्तार: घरेलू ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाकर तेल और गैस आयात पर निर्भरता कम करना।
  • विदेश नीति में रणनीतिक स्वायत्तता: भारत की कूटनीतिक स्थिति अब बहु-संरेखण पर बल देती है — प्रमुख शक्तियों के साथ जुड़ाव रखते हुए स्वतंत्रता बनाए रखना।
  • ऑपरेशन सिंदूर: केवल स्वदेशी हथियारों का उपयोग कर किया गया आतंकवाद विरोधी अभियान, जो भारत की सुदृढ़ता और समझौता न करने की नीति को दर्शाता है।
  • इंडस जल संधि पुनर्मूल्यांकन: भारत अपने जल संसाधनों पर नियंत्रण पुनः स्थापित कर रहा है ताकि राष्ट्रीय हितों की रक्षा की जा सके।

नीतिगत सिफारिशें: सुदृढ़ स्वायत्तता का मार्ग

नीतिगत सिफारिशें: सुदृढ़ स्वायत्तता का मार्ग
  • विनिर्माण को पुनर्जीवित करना: 1990 के दशक से भारत की अर्थव्यवस्था की औसत जीडीपी वृद्धि दर 7% रही है, लेकिन विनिर्माण क्षेत्र अभी भी पिछड़ा हुआ है। विनिर्माण क्रांति की तत्काल आवश्यकता है।
  • विविधीकरण: भारत को ऊर्जा, दुर्लभ मृदा खनिजों, एपीआई और रसायनों के लिए एकल आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम करने की आवश्यकता है।
  • निर्यात विविधीकरण: आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए अमेरिका से परे बाजारों का विस्तार अत्यंत आवश्यक है।
  • घरेलू क्षमता का दोहन: निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों को लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं, प्रतिस्पर्धी उद्योगों एवं वैश्विक निर्यात का निर्माण करने के लिए उद्यमशीलता की भावना को उन्मुक्त करने की आवश्यकता है।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] चीन, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विदेशी देशों पर भारत की गहरी निर्भरता के निहितार्थों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत रणनीतिक स्वायत्तता और वैश्विक जुड़ाव के बीच संतुलन कैसे बना सकता है?

Source: IE

 

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