पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने भारत में लॉजिस्टिक्स लागत के आकलन पर रिपोर्ट जारी की।
परिचय
- प्रस्तुतकर्त्ता: उद्योग और वाणिज्य विभागों द्वारा
- व्यापक ढांचा: यह विभिन्न परिवहन साधनों, उत्पाद श्रेणियों और फर्म आकारों के आधार पर लॉजिस्टिक्स लागत को समाहित करके एक व्यापक ढांचा प्रदान करता है।
- उद्देश्य: यह राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (2022) के अंतर्गत लॉजिस्टिक्स लागत को मापने के लिए एक समान ढांचा स्थापित करने और इसे वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने के उद्देश्य का पालन करता है।
- लॉजिस्टिक्स लागत: वर्तमान आकलन के अनुसार भारत में लॉजिस्टिक्स लागत कुल GDP का लगभग 7.97% है।
- पूर्व अनुमान: अब तक भारत में लॉजिस्टिक्स लागत को प्रायः गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया, जिसमें बाहरी अध्ययनों या आंशिक आंकड़ों से प्राप्त 13–14% GDP के आंकड़े सामान्यतः उद्धृत किए जाते थे।
- इससे नीति निर्माताओं और वैश्विक हितधारकों के बीच भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई।
- सुधार: विगत पांच वर्षों के अनुमान दर्शाते हैं कि लॉजिस्टिक्स लागत की वृद्धि दर गैर-सेवा उत्पादन की वृद्धि दर की तुलना में धीरे-धीरे कम हो रही है।
भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की प्रमुख उपलब्धियाँ
- 2023 लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (LPI) में रैंकिंग: भारत 139 देशों में 38वें स्थान पर रहा, जो 2018 की तुलना में छह स्थानों की उल्लेखनीय वृद्धि है।
- भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण ने वर्ष 2024-25 में 145.5 मिलियन टन माल की आवाजाही दर्ज की।
- इसी अवधि के दौरान परिचालनरत राष्ट्रीय जलमार्गों की संख्या भी 24 से बढ़कर 29 हो गई है।
| राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP) के प्रमुख उद्देश्य – जिस्टिक्स लागत को वैश्विक मानकों के अनुरूप लाकर GDP के 10% से नीचे लाना।2030 तक LPI रैंकिंग को शीर्ष 25 में लाना। – एक मजबूत, डेटा-आधारित निर्णय समर्थन प्रणाली स्थापित करना ताकि एक कुशल और एकीकृत लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित किया जा सके। |
चुनौतियाँ
- उच्च लॉजिस्टिक्स लागत: पूर्व अनुमान के अनुसार GDP का 13–14%, जिससे भारतीय निर्यात वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ता है।
- बुनियादी ढांचे की कमी: गोदाम, कोल्ड स्टोरेज और अंतिम मील कनेक्टिविटी में अंतर।
- सड़क पर अत्यधिक निर्भरता: जिससे जाम, देरी और उच्च परिवहन लागत होती है।
- मल्टीमॉडल परिवहन की समस्याएँ: रेलवे और जलमार्गों की कम हिस्सेदारी।
- पर्यावरणीय चिंताएँ: डीजल आधारित ट्रकिंग से कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण में वृद्धि।
सरकार की प्रमुख पहलें
- पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान: इसे 2021 में परिवहन के विभिन्न साधनों को एक समन्वित नेटवर्क में एकीकृत करने के लिए लॉन्च किया गया था।
- इसने 57 केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों और सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक साथ लाया है।
- समुद्री अमृत काल विजन 2047: यह नीली अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों के अनुरूप है और भारत के समुद्री क्षेत्र को बदलने के लिए एक दीर्घकालिक रोडमैप तैयार करता है।
- इस विजन का उद्देश्य तटीय पर्यटन को बढ़ावा देना, समुद्री कौशल विकास को मजबूत करना और भारत को जहाज निर्माण और मरम्मत के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
- समर्पित माल ढुलाई गलियारे: रेल मंत्रालय वर्तमान में दो समर्पित माल ढुलाई गलियारे (डीएफसी) विकसित कर रहा है।
- इन विशेष रेलवे लाइनों का उद्देश्य वर्तमान यात्री मार्गों पर भीड़भाड़ को कम करना, परिवहन लागत कम करना और ऊर्जा दक्षता में सुधार करना है।

- मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क: चेन्नई, बेंगलुरु, नागपुर, इंदौर आदि जैसे 35 प्रमुख स्थानों को निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के प्रयासों से मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क के विकास के लिए मंजूरी दी गई है। इनमें से 5 के 2027 तक चालू होने की संभावना है।
- यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म: यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो विभिन्न लॉजिस्टिक्स-संबंधित मंत्रालयों और विभागों के डेटा को एक ही इंटरफेस पर लाता है; इसने 2025 में 100 करोड़ एपीआई लेनदेन दर्ज किए हैं।
- गति शक्ति विश्वविद्यालय: जीएसवी भारत का प्रथम विश्वविद्यालय है जो परिवहन और लॉजिस्टिक्स शिक्षा के लिए समर्पित है।
- जीएसवी इस राष्ट्रीय लक्ष्य का समर्थन करने के लिए कुशल पेशेवरों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- गति शक्ति विश्वविद्यालय ने लगभग 40 विभिन्न औद्योगिक और शैक्षणिक संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
- स्थायित्व: जागरूकता बढ़ाने और सतत विकास का समर्थन करने के लिए परिवहन और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की कुल लागत की गणना एवं तुलना के लिए फ्रेट ग्रीनहाउस गैस कैलकुलेटर विकसित किया गया है।
- भारतीय रेलवे ने माल ढुलाई करने वाले ग्राहकों के लिए रेल ग्रीन प्वाइंट्स शुरू किए हैं, जिससे उन्हें संभावित कार्बन उत्सर्जन बचत देखने को मिलेगी।
Source: PIB
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संक्षिप्त समाचार 20-09-2025
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