यूके असिस्टेड डाइंग बिल

पाठ्यक्रम: GS2/राजनीति/स्वास्थ्य/GS4/एथिक्स

संदर्भ

  • यू.के. हाउस ऑफ कॉमन्स ने असिस्टेड डाइंग बिल पारित कर दिया, जिससे इंग्लैंड और वेल्स में असाध्य रूप से बीमार लोगों को अपना जीवन समाप्त करने की अनुमति मिल सकेगी।

परिचय 

  • यह विधेयक केवल उन लोगों पर लागू होगा जो इंग्लैंड और वेल्स में रहते हैं और जिनके जीवन की शेष अवधि छह माह से कम है। 
  • मरने का विकल्प चुनने वाले व्यक्ति का मानसिक रूप से सक्षम होना आवश्यक है, और दो डॉक्टरों, एक मनोचिकित्सक, वरिष्ठ वकील और सामाजिक कार्यकर्ता को उनके निर्णय को स्वीकृति देनी होगी। 
  • समर्थकों का मानना है कि यह विधेयक मानवीय और सहानुभूतिपूर्ण हस्तक्षेप है जो परिवार की पीड़ादायक निर्भरता को समाप्त करने में सहायता करता है। 
  • विरोधियों को चिंता है कि गंभीर रूप से विकलांग और असुरक्षित रोगी यह महसूस कर सकते हैं कि वे अपने परिजनों पर भार बनने से बचने के लिए जीवन समाप्त करने को मजबूर हैं।

सहायता प्राप्त मृत्यु क्या है? 

  • सहायता प्राप्त मृत्यु एक ऐसा कार्य है जिसमें किसी व्यक्ति को जानबूझकर उसका जीवन समाप्त करने में सहायता दी जाती है, सामान्यतः किसी असाध्य बीमारी या असहनीय पीड़ा से राहत देने के लिए। 
  • इसके दो मुख्य प्रकार हैं:
    • सहायता प्राप्त आत्महत्या: एक व्यक्ति, किसी चिकित्सा विशेषज्ञ या किसी अन्य की सहायता से, सामान्यतः एक निर्धारित घातक दवा लेकर आत्महत्या करता है।
    • युथेनेशिया (Euthanasia): एक डॉक्टर या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता रोगी के अनुरोध पर जीवन समाप्त करने के लिए एक घातक पदार्थ सक्रिय रूप से देता है ताकि अत्यधिक पीड़ा से राहत मिले।

वैश्विक स्थिति 

  • सहायता प्राप्त मृत्यु एक अत्यंत विवादास्पद विषय है और यह केवल कुछ देशों या क्षेत्रों में ही कड़े दिशा-निर्देशों और नियमों के साथ वैध है। 
  • स्विट्ज़रलैंड प्रथम देश था जिसने 1942 में इसे वैध किया। 
  • यूरोप में छह देशों में किसी न किसी रूप में सहायता प्राप्त मृत्यु वैध है: स्विट्ज़रलैंड, नीदरलैंड, बेल्जियम, लक्ज़मबर्ग, स्पेन और ऑस्ट्रिया। बाद में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड ने इससे संबंधित कानून बनाए। 
  • कनाडा का 2016 का “मेडिकल असिस्टेंस इन डाइंग” कानून उन लोगों पर भी लागू होता है जिनकी स्थिति जीवन-समाप्ति वाली नहीं है।

भारत में स्थिति 

  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 2018 में ‘निष्क्रिय युथेनेशिया’ को वैध ठहराया, यह इस शर्त पर है कि व्यक्ति के पास ‘लिविंग विल’ (living will) हो। 
  • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ‘गरिमा के साथ मरने का अधिकार’ संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जीवन के अधिकार का भाग है। 
supreme court
  • एक लिविंग विल एक लिखित दस्तावेज होता है जिसमें यह निर्दिष्ट होता है कि यदि व्यक्ति भविष्य में अपने चिकित्सा निर्णय स्वयं लेने में सक्षम नहीं हो तो क्या कदम उठाए जाएं। 
  • गोवा प्रथम राज्य है जिसने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के आंशिक कार्यान्वयन को औपचारिक रूप दिया है। 
  • 2024 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए जीवन रक्षक सहायता समाप्त करने के लिए मसौदा दिशा-निर्देश जारी किए। 
  • इनमें कहा गया कि जब जीवन रक्षक उपायों से रोगी को कोई लाभ नहीं होने वाला हो या ये उसकी गरिमा और कष्ट में वृद्धि करें, तो डॉक्टरों को ऐसे उपाय शुरू नहीं करने चाहिए।

सहायता प्राप्त मृत्यु के पक्ष में तर्क

  • स्वायत्तता और विकल्प: व्यक्ति को अपने जीवन के बारे में निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए, जिसमें अत्यधिक पीड़ा से बचने के लिए जीवन समाप्त करने का निर्णय भी शामिल है।
  • कष्ट से मुक्ति: यह गंभीर रूप से बीमार या असहनीय दर्द से पीड़ित लोगों के लिए एक दयालु विकल्प प्रदान करता है जिससे वे गरिमा के साथ मर सकें।
  • जीवन की गुणवत्ता: कुछ मामलों में जीवन की गुणवत्ता इतनी गिर जाती है कि मृत्यु को सतत पीड़ा और पराधीनता से बेहतर विकल्प माना जाता है।
  • व्यक्तिगत अधिकारों का सम्मान: लोगों को अपने शरीर और जीवन पर नियंत्रण होना चाहिए, जिसमें एक मानवीय एवं नियंत्रित तरीके से जीवन समाप्त करने का निर्णय भी शामिल है।

सहायता प्राप्त मृत्यु के विरुद्ध तर्क

  • नैतिक और धार्मिक चिंताएँ: कई लोगों का मानना है कि किसी का जीवन लेना, चाहे व्यक्ति की सहमति से हो, नैतिक रूप से गलत है और जीवन की पवित्रता के विरुद्ध है।
  • दुरुपयोग का जोखिम: मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित या पारिवारिक दबाव का सामना कर रहे व्यक्ति को इस विकल्प के लिए बाध्य किया जा सकता है।
  • चिकित्सा नैतिकता: डॉक्टर पारंपरिक रूप से जीवन बचाने की जिम्मेदारी निभाते हैं, और यह प्रक्रिया उनके मूल कर्तव्य से टकरा सकती है।
  • वैकल्पिक समाधान: कुछ लोगों का तर्क है कि उपयुक्त देखभाल और दर्द प्रबंधन भी राहत प्रदान कर सकते हैं, जिससे सहायता प्राप्त मृत्यु की आवश्यकता नहीं रहेगी।

आगे की दिशा

  • सख्त नियम: यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानूनी सुरक्षा उपाय लागू करना कि केवल पात्र लोगों को ही इसका लाभ मिले।
  • पैलिएटिव केयर का विस्तार: उच्च गुणवत्ता की देखभाल की उपलब्धता बढ़ाना जिससे पीड़ा को कम किया जा सके और सहायता से मृत्यु की मांग घटे।
  • सार्वजनिक विमर्श: सहायता प्राप्त मृत्यु के नैतिक, कानूनी और सामाजिक पहलुओं पर निरंतर चर्चा से दिशानिर्देशों के निर्माण में सहायता मिल सकती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण: वे देश जो इस नीति को पहले ही लागू कर चुके हैं, उनके अनुभवों से मार्गदर्शन लिया जा सकता है।
  • मानसिक स्वास्थ्य समर्थन: निर्णय लेने से पूर्व मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के ज़रिये यह सुनिश्चित करना कि निर्णय स्वतंत्र, सूचित और दबावमुक्त है।

Source: TH

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