केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक राष्ट्र, एक चुनाव प्रस्ताव को मंजूरी दी

पाठ्यक्रम: GS2/राजव्यवस्था

सन्दर्भ

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सर्वसम्मति से ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिससे लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने का मार्ग प्रशस्त हो गया।

परिचय

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक राष्ट्र, एक चुनाव (ONOE) पर उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। 
  • समिति ने दो चरणीय दृष्टिकोण की सिफारिश की है।
    • पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का प्रावधान है, जबकि दूसरे चरण में आम चुनावों के 100 दिनों के अंदर स्थानीय निकाय चुनाव कराने का प्रस्ताव है।
  • कैबिनेट ने सभी चुनावों के लिए एक समान मतदाता सूची बनाने और विस्तृत राष्ट्रव्यापी चर्चाओं की निगरानी के लिए एक कार्यान्वयन समूह स्थापित करने की भी सिफारिश की है। 
  • इसने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की है, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता नहीं होगी।
  •  हालाँकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की आवश्यकता होगी जिन्हें संसद द्वारा पारित किया जाना होगा।
  •  इस विधेयक को आगामी शीतकालीन सत्र में संसद में प्रस्तुत किए जाने की संभावना है।

एक साथ चुनाव क्या हैं?

  • एक साथ चुनाव (एक राष्ट्र एक चुनाव) लोकसभा और राज्य विधान सभा चुनावों को एक साथ आयोजित करने के विचार को संदर्भित करता है, जिसका उद्देश्य चुनावों की आवृत्ति तथा उनसे जुड़ी लागतों को कम करना है। 
  • भारत में लोकसभा और राज्य विधान सभाओं के लिए एक साथ चुनाव 1951-52, 1957, 1962 तथा 1967 में आयोजित किए गए थे।
  •  उसके बाद, यह कार्यक्रम जारी नहीं रखा जा सका और लोकसभा तथा राज्य विधान सभा के चुनावों को अभी तक पुनर्संयोजित नहीं किया गया है।

एक राष्ट्र एक चुनाव के पक्ष में तर्क

  • खर्च में कमी: इससे प्रत्येक वर्ष अलग-अलग चुनाव कराने पर होने वाले भारी खर्च में कमी आएगी।
  • सुव्यवस्थित प्रक्रिया: एक चुनाव चक्र का प्रबंधन करना अलग-अलग समय पर विभिन्न चुनाव कराने की तुलना में तार्किक रूप से सरल है। इससे प्रशासनिक संसाधनों का अधिक कुशल उपयोग हो सकता है।
  • बार-बार चुनाव होने की समस्या के कारण लंबे समय तक आदर्श आचार संहिता (MCC) लागू रहती है, जिसका सामान्य शासन पर प्रभाव पड़ता है। एक साथ चुनाव कराने से ऐसी समस्याओं से निपटा जा सकता है।
  • प्रत्येक समय चुनाव मोड में रहने के बजाय शासन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • प्रत्यक्ष जवाबदेही: एक साथ चुनाव कराने से मतदाता एक ही समय में केंद्र और राज्य दोनों शासन के लिए पार्टियों को जवाबदेह ठहरा सकते हैं, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि स्थानीय तथा राष्ट्रीय नीतियाँ उनके जीवन को कैसे प्रभावित करती हैं।

एक राष्ट्र एक चुनाव के विरुद्ध तर्क

  • तार्किक चुनौतियाँ: सभी राज्यों और केंद्र सरकार को कार्यक्रमों, संसाधनों आदि के समन्वय सहित बड़ी तार्किक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  •  स्थानीय प्राथमिकताएँ: इससे क्षेत्रीय दलों की कीमत पर प्रमुख राष्ट्रीय पार्टी को सहायता मिल सकती है और क्षेत्रीय मुद्दे राष्ट्रीय मुद्दों से प्रभावित हो सकते हैं। 
  • जटिल सुधारों की आवश्यकता: एक साथ चुनाव लागू करने के लिए महत्वपूर्ण संवैधानिक संशोधनों और वर्तमान चुनावी कानूनों को परिवर्तित करने की आवश्यकता होगी, जिससे कानूनी जटिलताएँ उत्पन्न होंगी।

आगे की राह

  • सरकार के तीनों स्तरों के लिए समकालिक चुनाव शासन की संरचना में सुधार करेंगे।
    •  इससे मतदाताओं की पारदर्शिता, समावेशिता, सहजता और आत्मविश्वास बढ़ेगा। 
  • इसके अतिरिक्त , विधि आयोग भी जल्द ही एक साथ चुनाव कराने पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकता है। 
  • विधि आयोग 2029 से सरकार के तीनों स्तरों – लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और नगर पालिकाओं तथा पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों – के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है।

Source: IE

 

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