विश्व के सबसे बड़े टेक्सटाइल विनिर्माण केंद्रों में से एक होने के बावजूद, भारत को भू-राजनीतिक तनाव, खंडित आपूर्ति शृंखला और मूल्य अस्थिरता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
विगत् 11 वर्षों में, भारत ने सहकारी एवं राजकोषीय संघवाद के युग को अंगीकृत किया है। केंद्र और राज्य सरकारों ने साझा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन पर सक्रिय रूप से सहयोग किया है।
यूक्रेन द्वारा ऑपरेशन स्पाइडरवेब के अंतर्गत किए गए असमान्य (Asymmetric) हमले, जिसमें रूसी हवाई अड्डों पर लंबी दूरी के ड्रोन हमले शामिल थे, ने व्यापक ध्यान आकर्षित किया और आधुनिक वॉरफेयर के महत्त्वपूर्ण सबक सिखाए।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के हालिया आँकड़ों के अनुसार, भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए बाज़ार विनिमय दरों (MER) के आधार पर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा प्राप्त कर लिया है। हालाँकि, क्रय शक्ति समता (PPP) रैंकिंग के अनुसार, भारत 2009 से ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था रहा है।
भारत के जहाज निर्माण उद्योग को स्वदेशी समुद्री इंजन निर्माण क्षमता विकसित करने की आवश्यकता है ताकि तकनीकी बाधाओं से बचा जा सके और इसके समुद्री क्षेत्र को मजबूत किया जा सके, जो अभी भी विदेशी आपूर्तिकर्त्ताओं पर बहुत अधिक निर्भर है।
देखभाल कार्य प्रायः कम आँका जाता है और महिलाओं द्वारा असमान रूप से किया जाता है, जिससे लंबे समय से चली आ रही लैंगिक असमानताओं को बढ़ावा मिलता है, हालाँकि यह सामाजिक और आर्थिक कल्याण का एक आधारभूत स्तंभ बना हुआ है।
भारत का वित्तीय क्षेत्र, विशेष रूप से बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा (BFSI) क्षेत्र, एक महत्त्वपूर्ण बिंदु पर खड़ा है। हालाँकि सुधार जारी हैं, फिर भी कुछ संरचनात्मक समस्याएँ बनी हुई हैं जिन्हें ठीक करने की आवश्यकता है।
भारत में विरोधाभासी पोषण संकट देखने को मिल रहा है, ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण की समस्या बनी हुई है, जबकि शहरी केंद्रों में अतिपोषण की समस्या तेजी से बढ़ रही है।
भारत का कृषि क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है, जो जैव ईंधन, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि-तकनीक, और जैविक खेती को जोड़ते हुए किसान-केंद्रित नीति, नवाचार, और तकनीक पर आधारित संपूर्ण प्रणालीगत दृष्टिकोण की माँग कर रहा है।