IMF ने भारत को GDP और दूसरे नेशनल अकाउंट्स डेटा पर ‘C’ ग्रेड दिया

पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था

समाचार में

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत को उसकी राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी की गुणवत्ता के लिए ‘C’ ग्रेड दिया है, जो किसी बड़े अर्थतंत्र के लिए सबसे निम्न रेटिंग्स में से एक है।

IMF ने ‘C’ ग्रेड क्यों दिया?

  • पुराना आधार वर्ष (2011–12):
    • भारत अभी भी GDP, CPI और IIP के लिए 2011–12 आधार वर्ष का उपयोग करता है।
    •  उपभोग पैटर्न, उत्पादन संरचनाएँ, तकनीकी अपनाने और सापेक्ष कीमतों में बहुत परिवर्तन हो चुका  है। 
    • पुराना आधार वर्ष वास्तविक वृद्धि दर, मुद्रास्फीति और क्षेत्रीय भार को विकृत करता है।
  • मुद्रास्फीति का गलत प्रतिनिधित्व:
    • CPI को कम ग्रेड (‘B’ बजाय ‘A’) मिला क्योंकि:
      • पुराना आधार वर्ष
      • खाद्य वस्तुओं का अत्यधिक भार 
    • इससे मुद्रास्फीति मापन की सटीकता घटती है, जो RBI की मौद्रिक नीति को प्रभावित करती है।
  • अनौपचारिक क्षेत्र का कमजोर आकलन:
    • भारत का अनौपचारिक क्षेत्र कम आंका जाता है क्योंकि यह मुख्यतः अपंजीकृत, नकद-आधारित और औपचारिक डेटा प्रणाली से बाहर है। 
    • इससे GDP स्तर, रोजगार प्रवृत्तियों और कल्याण परिणामों का गलत मापन होता है।
  • डेटा संशोधन में देरी:
    • वैश्विक सर्वोत्तम प्रथा प्रत्येक 5 वर्ष में आधार वर्ष संशोधन की अनुशंसा करती है। 
    • भारत ने एक दशक से अधिक समय से संशोधन लागू नहीं किया है, जिससे आर्थिक वास्तविकता के साथ समय पर संरेखण नहीं हो पाता।
  • आधुनिक डेटा स्रोतों के बेहतर उपयोग की आवश्यकता:
    • यद्यपि कॉर्पोरेट क्षेत्र का डेटा अब MCA-21 के माध्यम से एकत्र किया जाता है, जिसमे कई अंतराल बने हुए हैं। 
    • मूल्य वर्धन का अनुमान लगाने के लिए GSTN डेटा का एकीकरण अभी पूरी तरह से परिचालित नहीं हुआ है।

IMF के डेटा ग्रेड कैसे कार्य करते हैं?

  • IMF राष्ट्रीय सांख्यिकी का मूल्यांकन अपने डेटा क्वालिटी असेसमेंट फ्रेमवर्क (DQAF) के अंतर्गत करता है, जो कार्यप्रणाली की सुदृढ़ता, सटीकता और विश्वसनीयता, सेवा क्षमता (समयबद्धता, आवधिकता, स्थिरता), पहुँच एवं अखंडता की गारंटी का आकलन करता है।
  • ग्रेडिंग श्रेणियाँ:
    • ग्रेड A – अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ उच्च अनुपालन
    • ग्रेड B – स्वीकार्य लेकिन उल्लेखनीय कमियाँ
    • ग्रेड C – महत्वपूर्ण कमजोरियाँ जो निगरानी को प्रभावित करती हैं
    • ग्रेड D – खराब गुणवत्ता वाला डेटा जो विश्लेषण को गंभीर रूप से सीमित करता है

‘C’ ग्रेड के संभावित प्रभाव

  • नीतिनिर्माण की कमजोर सटीकता: गलत या पुराना डेटा राजकोषीय योजना, मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण, मौद्रिक नीति और क्षेत्रीय हस्तक्षेपों को प्रभावित करता है।
  • आर्थिक आँकड़ों की विश्वसनीयता में कमी: वैश्विक निवेशक, रेटिंग एजेंसियाँ और वित्तीय संस्थान भारत के डेटा को अधिक सतर्कता से देख सकते हैं।
  • वृद्धि और कल्याण का गलत आकलन: अनौपचारिक क्षेत्र का गलत अनुमान वास्तविक वृद्धि प्रदर्शन, रोजगार संकट और घरेलू स्तर की कमजोरियों को छिपा सकता है।
  • मौद्रिक नीति पर असर: यदि मुद्रास्फीति का गलत मापन होता है, तो RBI की नीतिगत दरें वास्तविक मूल्य दबावों को प्रतिबिंबित नहीं करेंगी, जिससे तरलता, उधारी और वृद्धि प्रभावित होगी।
  • सांख्यिकीय सुधारों का दबाव: IMF की रेटिंग भारत पर आधार वर्षों को अद्यतन करने, सर्वेक्षण प्रणालियों का आधुनिकीकरण करने और सांख्यिकीय निकायों की स्वायत्तता को सुदृढ़ करने का दबाव बढ़ाती है।
मूल शब्दावली
राष्ट्रीय लेखा (National Accounts): एक सांख्यिकीय ढाँचा जो किसी देश की आर्थिक गतिविधियों का सार प्रस्तुत करता है, जिसमें GDP, GVA, उपभोग, बचत और निवेश शामिल हैं।
आधार वर्ष (Base Year): वह संदर्भ वर्ष जिसका उपयोग समय के साथ कीमतों और उत्पादन में बदलाव की तुलना के लिए किया जाता है। इसे आदर्श रूप से प्रत्येक 5 वर्ष में अद्यतन किया जाना चाहिए।
GDP (सकल घरेलू उत्पाद): एक निश्चित अवधि में किसी देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य।
GVA (सकल मूल्य वर्धन): उत्पादन माइनस मध्यवर्ती उपभोग; क्षेत्रवार आर्थिक योगदान को मापता है।
CPI (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक): घरेलू उपभोग की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की प्रतिनिधि टोकरी पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति को मापता है।
IIP (औद्योगिक उत्पादन सूचकांक): खनन, विनिर्माण और विद्युत में औद्योगिक उत्पादन को मापता है।
अनौपचारिक क्षेत्र (Informal Sector): अपंजीकृत, असंगठित आर्थिक गतिविधि जिसमें औपचारिक लेखा या नियामक निगरानी नहीं होती।
MCA-21: कॉर्पोरेट वित्तीय फाइलिंग्स का डेटाबेस, जो कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत है।

Source: TH

 

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