गुरु गोबिंद सिंह की जयंती

पाठ्यक्रम: GS1/इतिहास 

समाचारों में 

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती के शुभ अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

गुरु गोबिंद सिंह

  • उनका जन्म 22 दिसंबर, 1666 को पटना साहिब, बिहार में हुआ था।
  • वे एक प्रसिद्ध योद्धा, कवि, दार्शनिक और दसवें सिख गुरु थे।
  • उन्होंने अपने पिता गुरु तेग बहादुर (9वें गुरु) का स्थान लिया, जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न के विरुद्ध खड़े होने के कारण मुगल सम्राट औरंगज़ेब ने मृत्युदंड दिया था।

योगदान 

  • गुरु गोबिंद सिंह 1699 में खालसा की स्थापना के लिए सबसे अधिक जाने जाते हैं, जो आस्था की रक्षा एवं न्याय की स्थापना के लिए समर्पित योद्धा समुदाय था।
  • खालसा के पाँच मार्गदर्शक सिद्धांत, जिन्हें “पाँच ककार” (कंघा, केश, कड़ा, कृपाण और कच्छेरा) कहा जाता है, आज भी सिख पहचान का केंद्र हैं।
  • उन्होंने खालसा के लिए कठोर अनुशासन संहिता लागू की, जिसमें तंबाकू चबाने, हलाल मांस खाने और व्यभिचार या अनैतिक संबंधों में संलग्न होने पर प्रतिबंध शामिल था।
  • उन्होंने पंज प्यारे की स्थापना की, जो पवित्रता, साहस और समर्पण का प्रतीक है।

साहित्यिक योगदान

  • गुरु गोबिंद सिंह ने सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब में कई सुंदर भजन और प्रार्थनाएँ जोड़ीं।
  • ये भजन, जिन्हें शबद कहा जाता है, संगतों (विश्वासियों की सभाओं) में गाए और पढ़े जाते हैं।
  • उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का स्थायी गुरु घोषित किया।
  • उन्होंने गुरु तेग बहादुर की रचनाओं को आदि ग्रंथ में जोड़ा।
  • उनकी रचनाएँ उच्च कोटि की काव्यात्मक सुंदरता से परिपूर्ण थीं; बाद में इन्हें दसम ग्रंथ में संकलित किया गया।

मूल्य और नेतृत्व 

  • उन्होंने बचपन से ही साहस, करुणा और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित की।
  • उनका मानना था कि विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिए सुदृढ़ चरित्र आवश्यक है।
  • वे एक असाधारण रणनीतिकार, प्रशासक और जननेता थे।
  • वे मानवाधिकारों की रक्षा में विश्वास रखते थे, और जब शांतिपूर्ण उपाय विफल हो जाते थे, तो सशस्त्र प्रतिरोध का सहारा लेते थे।

सैन्य कौशल 

  • उन्होंने कश्मीरी पंडितों जैसी उत्पीड़ित समुदायों को मुगल अत्याचार से बचाया।
  • उन्होंने अनेक युद्ध लड़े, जैसे आनंदपुर साहिब, भंगानी, चमकौर साहिब।
  • उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों का समर्थन प्राप्त किया और यहाँ तक कि शत्रुओं को भी उनका सम्मान करने के लिए प्रेरित किया।

विरासत और प्रभाव

  • गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन और शिक्षाएँ आज भी एकता, मानवता की सेवा, राष्ट्रीय अखंडता एवं “राष्ट्र प्रथम” के सिद्धांत को प्रेरित करती हैं।
  • स्वामी विवेकानंद ने उनके साहस, आत्म-त्याग और वीरता की प्रशंसा की थी।
  • उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों को न्याय के साझा सिद्धांतों के अंतर्गत एकजुट किया।
क्या आप जानते हैं?
– गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों ने अद्भुत वीरता और बलिदान का प्रदर्शन किया।
– जहाँ दो युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए, वहीं अन्य दो को इस्लाम स्वीकार करने से मना करने पर एक मुगल गवर्नर ने मृत्युदंड दिया।
– यह बलिदान उस साहस और प्रतिरोध की भावना का प्रतीक है जिसे गुरु गोबिंद सिंह ने अपने अनुयायियों में स्थापित किया था।

Source: DD News 


 

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