भारत में शासन में डिजिटल परिवर्तन

पाठ्यक्रम: GS2/शासन

संदर्भ

  • केंद्रीय मंत्री ने सुशासन सप्ताह के अवसर पर आयोजित सुशासन प्रथाओं पर राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित किया।

परिचय 

  • कार्यशाला में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) की कई पहलों का शुभारंभ हुआ:
    • पूर्व सैनिकों (ESM) के लिए आरक्षण पर संकलन का विमोचन
    • एआई संचालित भर्ती नियम जनरेटर टूल
    • eHRMS 2.0 के लिए मोबाइल ऐप
    • iGOT कर्मयोगी पोर्टल पर नए फीचर्स
    • कर्मयोगी डिजिटल लर्निंग लैब 2.0
  • ये पहलें सरकार के डिजिटल गवर्नेंस और निरंतर क्षमता निर्माण पर जोर को दर्शाती हैं।

ई-गवर्नेंस क्या है?  

  • भारत में ई-गवर्नेंस का अर्थ है सरकार द्वारा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) का उपयोग सेवाएँ प्रदान करने, सूचना का आदान-प्रदान करने और नागरिकों से संवाद करने के लिए।

लाभ 

  • दक्षता: तीव्र, सस्ता, कागज़ रहित लेन-देन।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही: भ्रष्टाचार में कमी, प्रत्यक्ष निगरानी।
  • समावेशिता: ग्रामीण/दूरस्थ क्षेत्रों तक सेवाएँ कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के माध्यम से।
  • नागरिक सशक्तिकरण: 24×7 पहुँच, सहभागी शासन।
  • आर्थिक वृद्धि: स्टार्टअप्स, आईटी उद्योग और डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा।

ई-गवर्नेंस की प्रमुख चुनौतियाँ 

  • कार्यान्वयन असमानता: कुछ राज्य या स्थानीय सरकारें डिजिटल क्षमता, अवसंरचना, वित्तपोषण या केंद्रीय ई-गवर्नेंस ढाँचे को अपनाने में पिछड़ जाती हैं।
  • डिजिटल विभाजन: इंटरनेट/स्मार्टफोन तक पहुँच और डिजिटल साक्षरता विशेषकर दूरस्थ, जनजातीय या अविकसित जिलों में बाधा बनी रहती है।
  • डेटा संरक्षण, सुरक्षा और विश्वास: पैमाना बढ़ने पर कमजोरियाँ, डेटा लीक और दुरुपयोग का जोखिम बढ़ता है। गोपनीयता, सहमति एवं कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है।
  • सततता और क्षमता निर्माण: प्रणालियों का रखरखाव और उन्नयन, कर्मियों का प्रशिक्षण, निरंतर प्रतिक्रिया एवं उपयोगकर्ता समर्थन संसाधन-गहन कार्य हैं।
  • शासन बनाम क्रियान्वयन अंतर: नीति सुदृढ़ होने पर भी बुनियादी स्तर पर प्रशासनिक जड़ता, तकनीकी स्टाफ की कमी या पुरानी प्रणालियों के कारण बाधाएँ आती हैं।

प्रमुख पहलें 

  • आधार और DBT: आधार-सक्षम e-KYC ने सत्यापन को सरल बनाया, कागज़ी कार्यवाही घटाई और पारदर्शिता बढ़ाई।
    • DBT ने कल्याणकारी लाभों का प्रत्यक्ष हस्तांतरण सुनिश्चित किया, जिससे रिसाव रुका।
  • कर्मयोगी भारत: यह पहल भविष्य-तैयार सिविल सेवा को विकसित करने का लक्ष्य रखती है, जिसमें अधिकारियों को सही दृष्टिकोण , कौशल , और ज्ञान  प्रदान किया जाता है।
    • 2025 तक इसमें 1.26 करोड़+ उपयोगकर्ता, 3000 पाठ्यक्रम और 3.8 करोड़+ प्रमाणपत्र जारी किए गए।
  • डिजीलॉकर: नागरिकों को उनके डिजिटल दस्तावेज़ वॉलेट में प्रामाणिक डिजिटल दस्तावेज़ों तक पहुँच प्रदान कर ‘डिजिटल सशक्तिकरण’ का लक्ष्य।
  • UMANG: सभी भारतीय नागरिकों को एक ही प्लेटफ़ॉर्म पर केंद्र से लेकर स्थानीय निकायों तक की ई-गवर्नेंस सेवाओं तक पहुँच।
  • डिजिटल कॉमर्स (ONDC): MSMEs, स्वयं सहायता समूहों (SHGs), कारीगरों और महिला-नेतृत्व वाले उद्यमों को खरीदारों तक पहुँचाने वाला नेटवर्क।
  • सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM): सरकारी विभागों/संगठनों/PSUs द्वारा आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की ऑनलाइन खरीद।
    • 22 लाख+ विक्रेता और सेवा प्रदाता पंजीकृत, जिनमें MSMEs, स्टार्टअप्स एवं महिला-नेतृत्व वाले उद्यम शामिल हैं।
  • सूचना का अधिकार (RTI): यह अधिकार अनुच्छेद 19 द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से उत्पन्न होता है।
    • इसके अंतर्गत व्यक्ति सरकारी गतिविधियों और निर्णयों का निरीक्षण, ऑडिट, मूल्यांकन और विश्लेषण कर सकता है।
  • भाषिनी (BHASHINI): राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन (NLTM) के अंतर्गत भारत की भाषाई विविधता को तकनीक से जोड़ने की पहल।
  • स्वामित्व योजना (SVAMITVA): 2020 में शुरू, ग्रामीण परिवारों को उनके घर और भूमि के कानूनी स्वामित्व पत्र प्रदान करती है।
    • ड्रोन और उन्नत मैपिंग उपकरणों से संपत्ति सीमाएँ स्पष्ट की जाती हैं।
  • भारतनेट: 2011 में शुरू, डिजिटल विभाजन को कम करने हेतु। लक्ष्य है प्रत्येक ग्राम पंचायत तक सस्ती, उच्च गति इंटरनेट पहुँचाना।
  • ई-ग्रामस्वराज 
  • मेरी पंचायत ऐप: NIC द्वारा विकसित मोबाइल गवर्नेंस प्लेटफ़ॉर्म, जो ग्रामीण समुदायों को पारदर्शिता, जवाबदेही और पंचायत मामलों में नागरिक भागीदारी के लिए सशक्त करता है।
  • ग्राम मंचित्रा : पंचायती राज मंत्रालय द्वारा शुरू GIS एप्लिकेशन, जो विकास कार्यों को डिजिटल मानचित्र पर प्रदर्शित कर ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP) से जोड़ता है।

निष्कर्ष   

  • ये सुधार शासन को तीव्र, अधिक पारदर्शी और अधिक समावेशी बनाने का लक्ष्य रखते हैं।
  • अब उपकरणों की श्रृंखला एआई मीटिंग सारांशक से लेकर भौगोलिक मानचित्रण प्लेटफ़ॉर्म, डिजिटल लेखा प्रणाली और नागरिक-उन्मुख मोबाइल ऐप्स तक फैली हुई है।
  • यह परिवर्तन सरकार की डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की व्यापक दृष्टि को भी दर्शाता है।

Source: PIB

 

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