अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के 6 वर्ष पूर्ण

पाठ्यक्रम: GS2/राजव्यवस्था और शासन

संदर्भ

  • 5 अगस्त 2025 को अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के 6 वर्ष पूर्ण हुए।
अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के 6 वर्ष पूर्ण

अनुच्छेद 370 क्या था?

  • अनुच्छेद 370 को संविधान के भाग XXI के अंतर्गत एक अस्थायी प्रावधान के रूप में तैयार किया गया था और यह 1952 में प्रभावी हुआ। 
  • यह जम्मू और कश्मीर राज्य को अपना संविधान, झंडा रखने और वित्त, रक्षा, विदेश मामलों एवं संचार को छोड़कर सभी मामलों पर कानून बनाने की अनुमति देता था।
  •  इसका तात्पर्य था कि राज्य को अपने आंतरिक मामलों पर काफी नियंत्रण प्राप्त था।
  • अनुच्छेद 35A: यह अनुच्छेद राष्ट्रपति के आदेश — “संविधान (जम्मू और कश्मीर पर लागू) आदेश, 1954” — के माध्यम से जोड़ा गया था, जो अनुच्छेद 370 के अंतर्गत शक्तियों का प्रयोग करके जारी किया गया था।
  • अनुच्छेद 35A की प्रमुख प्रावधान:
    • राज्य को स्थायी निवासियों को भूमि स्वामित्व, सार्वजानिक रोजगारों और शिक्षा छात्रवृत्तियों जैसे क्षेत्रों में विशेष अधिकार देने की अनुमति देता था।
    • गैर-निवासियों को स्थायी रूप से बसने, संपत्ति खरीदने या राज्य के लाभों का उपयोग करने से वंचित करता था।
    • इसमें एक भेदभावपूर्ण प्रावधान था: यदि कोई महिला निवासी राज्य के बाहर के व्यक्ति से विवाह करती, तो उसकी संपत्ति के अधिकार समाप्त हो सकते थे, और यही उसके बच्चों पर भी लागू होता था।
    • यह प्रावधान निर्धारित करता था कि अनुच्छेद 35A के अंतर्गत आने वाले राज्य विधानमंडल के किसी भी अधिनियम को भारतीय संविधान या किसी अन्य कानून का उल्लंघन कहकर चुनौती नहीं दी जा सकती।

अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की आवश्यकता क्यों थी?

  • एकीकरण और समानता: अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को भारत के साथ विलय करने से रोकता था, जबकि यह विलय का आधार माना जाता था।
    • इसका निरसन राज्य को भारत के अन्य राज्यों के समान संवैधानिक, कानूनी और प्रशासनिक ढांचे में लाने के लिए किया गया।
  • सुरक्षा और राष्ट्रीय अखंडता: यह क्षेत्र दशकों से आतंकवाद और अस्थिरता से ग्रस्त रहा है, जो प्रायः सीमा पार प्रभावों के कारण होता है।
    • इसका निरसन राष्ट्रीय संप्रभुता और आंतरिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने की दिशा में एक कदम था।
  • सामाजिक-आर्थिक विकास: अनुच्छेद 35A के कारण गैर-निवासी जम्मू-कश्मीर में भूमि नहीं खरीद सकते थे या बस नहीं सकते थे, जिससे निवेश और विकास सीमित था।
  • संवैधानिक और कानूनी आधार: यह प्रावधान शुरू से ही अस्थायी था और जम्मू-कश्मीर के लोगों के व्यापक हित में इसे हटाना आवश्यक था।
  • भेदभावपूर्ण: राज्य की बेटियां यदि राज्य के बाहर विवाह करती थीं तो उनके संपत्ति अधिकार समाप्त हो जाते थे।
    • यह महिलाओं और उनके बच्चों के लिए भेदभावपूर्ण था।
  • 73वां और 74वां संविधान संशोधन: अनुच्छेद 370 के कारण इन संशोधनों को जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं किया जा सकता था।
    • पंचायत और नगर पालिका चुनाव नहीं हो सकते थे।

जम्मू-कश्मीर की आगे की राह

  • अनुच्छेद 370 का निरसन जम्मू-कश्मीर को भारत के बाकी हिस्सों के साथ पूर्ण संवैधानिक एकीकरण, बेहतर शासन, राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने, कानूनी भेदभाव को समाप्त करने और क्षेत्र में विकास एवं शांति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया था। 
  • जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा पुनर्स्थापित करने की मांग प्रमुख बनी हुई है। 
  • सरकार ने उचित समय पर इसे बहाल करने का वादा किया है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिकाएं राज्य का दर्जा शीघ्र पुनर्स्थापित करने की मांग करती हैं और संघीय सिद्धांतों को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल देती हैं। अ
  • नुच्छेद 370 का निरसन भारत के संवैधानिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण बिंदु था, जिसका सम्पूर्ण प्रभाव अभी भी जम्मू-कश्मीर में सामने आ रहा है।

Source: BS

 

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