बाँध सुरक्षा अधिनियम 2021

पाठ्यक्रम: GS3/बुनियादी ढाँचा, आपदा प्रबंधन

संदर्भ

  • उच्चतम न्यायालय ने मुल्लापेरियार बाँध सुरक्षा पर केंद्र से जवाब माँगा और बाँध सुरक्षा अधिनियम 2021 के तहत विशेषज्ञ समिति के गठन में देरी पर प्रश्न उठाया।
    • मुल्लापेरियार बाँध केरल में पेरियार नदी पर बनाया गया है। यह 130 वर्ष पुराना बाँध है।
    • केरल में मुल्लापेरियार बाँध के नीचे रहने वाले लोगों ने बाँध की सुरक्षा पर प्रश्न उठाया है।

बाँध सुरक्षा अधिनियम (DSA) 2021

  • उद्देश्य: बाँध टूटने से संबंधित आपदाओं को रोकना तथा उनका सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करने के लिए संस्थागत तंत्र प्रदान करना।
  • राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा समिति: इसका गठन बाँध विफलता से संबंधित आपदाओं को रोकने, बाँध सुरक्षा के मानकों को बनाए रखने, बाँध सुरक्षा नीतियाँ विकसित करने और आवश्यक नियमों की सिफारिश करने के लिए किया गया है।
  • राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा प्राधिकरण: इसकी स्थापना बाँध सुरक्षा नीतियों और मानकों के राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक नियामक निकाय के रूप में की गई है।
    • इसके कार्यों में राष्ट्रीय समिति की नीतियों को लागू करना, तथा राज्य बाँध सुरक्षा संगठनों (SDSOs) के बीच, या SDSO और उस राज्य के किसी बाँध मालिक के मध्य मामलों को सुलझाना शामिल है।
    • केंद्र सरकार राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा प्राधिकरण के अधिकारियों की योग्यताएँ और कार्यों को अधिसूचित कर सकती है।
  • राज्य स्तर पर: अधिनियम में राज्य बाँध सुरक्षा समिति (SCDS) के गठन और राज्य बाँध सुरक्षा संगठन (SDSO) की स्थापना का प्रावधान है।
    • विनिर्दिष्ट बाँध वाले सभी 28 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों ने SCDSs/SDSOs का गठन/स्थापना कर दी है।
  • बाँध सुरक्षा इकाई: बाँध मालिकों को अब एक समर्पित बाँध सुरक्षा इकाई रखने, आपातकालीन कार्य योजना तैयार करने और नियमित अंतराल पर व्यापक सुरक्षा मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।
    • केंद्रीय जल आयोग (CWC) के अध्यक्ष राष्ट्रीय स्तर पर बाँध सुरक्षा प्रोटोकॉल का नेतृत्व करेंगे।
  • दंड: अधिनियम के अंतर्गत अपराध करने पर दो वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

भारत में बाँध

  • भारत में 4,407 बड़े बाँध हैं, जो चीन और अमेरिका के बाद विश्व में तीसरी सबसे बड़ी संख्या है।
  • महाराष्ट्र में सबसे अधिक संख्या में बड़े बाँध हैं, उसके बाद मध्य प्रदेश और गुजरात का स्थान है।

भारत में बाँध विफलताएँ

  • पहली विफलता मध्य प्रदेश में 1917 में दर्ज की गई थी जब तिगरा बाँध अधिक जल भराव  के कारण विफल हो गया था।
  • सबसे भयंकर बाँध आपदा 1979 में माचू बाँध (गुजरात) की विफलता थी जिसमें लगभग 2000 लोग मारे गये थे।
  • अब तक विफलता के 40 मामले सामने आ चुके हैं।

भारत में बाँध विफलताओं के कारण

  • खराब निगरानी और रखरखाव: विभिन्न बाँध अपर्याप्त या अनियमित रखरखाव से ग्रस्त हैं, जिसके कारण समय के साथ संरचनात्मक कमजोरियाँ, दरारें और गिरावट आती है।
  • डिजाइन संबंधी खामियाँ: कुछ बाँधों को पुराने या गलत विनिर्देशों के साथ डिजाइन किया गया था, जो वर्तमान पर्यावरणीय या परिचालन स्थितियों के लिए उपयुक्त नहीं थे।
  • प्राकृतिक आपदाएँ: भूकंप, बाढ़ और भारी वर्षा से बाँधों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिससे संरचनात्मक क्षति होती है या यहां तक ​​कि बाँध टूट भी जाते हैं।
  • ओवर-टॉपिंग: जब अत्यधिक वर्षा या बर्फ पिघलने के कारण बाँध का जलाशय अपनी भंडारण क्षमता से अधिक हो जाता है, तो जल फैल जाता है, जिससे कटाव या दरार हो जाती है।
  • अवसादन: जलाशयों में गाद एवं तलछट के जमा होने से भंडारण क्षमता कम हो जाती है और बाँध पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे संरचनात्मक विफलता होती है।

भारत में बाँध विफलताओं के कारण

  • खराब निगरानी और रखरखाव: विभिन्न बाँध अपर्याप्त या अनियमित रखरखाव से ग्रस्त हैं, जिसके कारण समय के साथ संरचनात्मक कमजोरियाँ, दरारें और गिरावट आती है।
  • डिजाइन संबंधी खामियाँ: कुछ बाँधों को पुराने या गलत विनिर्देशों के साथ डिजाइन किया गया था, जो वर्तमान पर्यावरणीय या परिचालन स्थितियों के लिए उपयुक्त नहीं थे।
  • प्राकृतिक आपदाएँ: भूकंप, बाढ़ और भारी वर्षा से बाँधों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिससे संरचनात्मक क्षति होती है या यहां तक ​​कि बाँध टूट भी जाते हैं।
  • ओवर-टॉपिंग: जब अत्यधिक वर्षा या बर्फ पिघलने के कारण बाँध का जलाशय अपनी भंडारण क्षमता से अधिक हो जाता है, तो जल फैल जाता है, जिससे कटाव या दरार हो जाती है।
  • अवसादन: जलाशयों में गाद एवं तलछट के जमा होने से भंडारण क्षमता कम हो जाती है और बाँध पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे संरचनात्मक विफलता होती है।

भारत में बाँध सुरक्षा एक प्राथमिकता वाली चिंता क्यों है?

  • बाँधों की आयु में वृद्धि: बाँधों की संख्या में वृद्धि के साथ ही भारत में बाँधों के टूटने की संभावना भी बढ़ती जा रही है। भारत में 227 बड़े बाँध हैं जो 100 वर्ष से अधिक पुराने हैं।
  • संरचनात्मक कमियाँ: कई बाँधों में संरचनात्मक कमियाँ और संचालन एवं निगरानी सुविधाओं में कमियाँ हैं, जबकि कुछ बाँध संरचनात्मक तथा जल विज्ञान दोनों दृष्टि से वर्तमान डिजाइन मानक को पूरा नहीं करते हैं।
  • संस्थागत और तकनीकी क्षमताओं का अभाव: अधिकांश राज्य बाँधों के रखरखाव और मरम्मत के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध कराने में विफल रहे हैं।
    • विभिन्न राज्यों में बाँध सुरक्षा मुद्दों से निपटने के लिए संस्थागत और तकनीकी क्षमताओं का भी अभाव है।
  • मानव जीवन और सम्पत्ति के लिए जोखिम।

आवश्यक कदम

  • बाँधों को खतरे के आधार पर वर्गीकृत करने की आवश्यकता है।
  • सुरक्षा मार्जिन का पालन करने वाले बाँधों का डिजाइन और निर्माण करना,
  • नियमित निरीक्षण करना,
  • आपातकालीन कार्य योजनाएँ बनाना,
  • आपातकालीन बाढ़ चेतावनी प्रणालियाँ स्थापित करना, तथा सुरक्षा समीक्षा और आवधिक जोखिम मूल्यांकन अध्ययन करना।

Source: TH


 

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