भारत की नेट-ज़ीरो अनिवार्यता: अर्थव्यवस्था का विद्युतीकरण

पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था; पर्यावरण

संदर्भ

  • भारत को एक परिवर्तनकारी बदलाव से गुजरना होगा — ऐसा बदलाव जो उसकी अर्थव्यवस्था के व्यापक विद्युतीकरण पर आधारित हो, ताकि वह 2070 तक अपने महत्वाकांक्षी नेट ज़ीरो लक्ष्य को प्राप्त कर सके।

विद्युतीकरण क्यों महत्वपूर्ण है?

  • विद्युतीकरण का अर्थ है जीवाश्म ईंधन-आधारित प्रणालियों को स्वच्छ ऊर्जा से संचालित विद्युत विकल्पों से बदलना। यह परिवर्तन कई कारणों से आवश्यक है:
    • ऊर्जा दक्षता: विद्युत प्रणालियाँ दहन-आधारित प्रणालियों की तुलना में स्वभावतः अधिक कुशल होती हैं। उदाहरण के लिए, इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) विद्युत ऊर्जा का 77% से अधिक गति में परिवर्तित करते हैं, जबकि आंतरिक दहन इंजन केवल 12–30% तक ही कर पाते हैं।
    • उत्सर्जन में कमी: इंडो-जर्मन एनर्जी फोरम और ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 90% ऊर्जा आवश्यकताओं का विद्युतीकरण करने से उत्सर्जन में 55% की कमी हो सकती है।
    • नवीकरणीय ऊर्जा का एकीकरण: बिजली सौर, पवन और जल जैसी नवीकरणीय स्रोतों से उत्पन्न की जा सकती है, जिससे यह जीवाश्म ईंधन की तुलना में स्वच्छ विकल्प बनती है।
    • वायु गुणवत्ता, ऊर्जा दक्षता और जलवायु लाभ: अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) का अनुमान है कि 2035 तक वैश्विक ऊर्जा खपत में 15% की कमी आ सकती है, भले ही GDP बढ़ रही हो, और इसका मुख्य कारण विद्युतीकरण होगा।
      • कम ऊर्जा खपत सीधे कार्बन उत्सर्जन को घटाती है, और जीवाश्म ईंधन से स्वच्छ बिजली की ओर बदलाव वायु गुणवत्ता में सुधार करता है।

भारत की विद्युतीकरण यात्रा के चरण

  • चरण I (2020–2030): उच्च प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर (TRL 7–9) वाले समाधानों की तैनाती पर ध्यान:
    • चौबीसों घंटे नवीकरणीय ऊर्जा
    • इलेक्ट्रिक भारी वाहन, छोटी नावें और एयर कार्गो डिलीवरी
    • इलेक्ट्रिक पिघलाने वाली भट्टियाँ
    • साथ ही, भारत को शुरुआती निवेश करना होगा उभरती प्रौद्योगिकियों में जैसे:
      • सीमेंट के लिए इलेक्ट्रिक भट्टियाँ
      • शिपिंग और उद्योग के लिए ग्रीन हाइड्रोजन
      • खनिज अयस्कों का इलेक्ट्रोलाइटिक अपचयन
  • चरण II (2030–2050): जैसे-जैसे स्वच्छ प्रौद्योगिकियाँ परिपक्व होंगी, पूर्ण विद्युतीकरण रेलवे, उर्वरक उत्पादन और वस्त्र उद्योगों के लिए संभव होगा।
    • इसमें छोटे मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टर, इलेक्ट्रिक ब्लास्ट बर्नर और स्वच्छ ऊर्जा-संचालित डायरेक्ट एयर कैप्चर में निवेश का समर्थन होगा।
  • चरण III (2050–2070):. इस अवधि तक भारत एक स्केलेबल और लागत-प्रतिस्पर्धी घरेलू प्रौद्योगिकी आधार तैनात करेगा:
    • 3,500 GWh बैटरी भंडारण
    • 55 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन प्रति वर्ष
    • शिपिंग, स्टील, एल्युमिनियम, ग्लास और सीमेंट में क्षेत्रीय परिवर्तन तेज़ होगा।
    • लगभग 75% गतिशीलता, जिसमें ट्रैक्टर और संभवतः विमानन शामिल हैं, विद्युतीकृत हो सकती है।
    • फ्यूज़न, अंतरिक्ष-आधारित ऊर्जा, उन्नत भू-तापीय और आगामी पीढ़ी की एयर कैप्चर जैसी प्रौद्योगिकियाँ महत्वपूर्ण स्तर तक पहुँचेंगी।

क्षेत्रवार परिवर्तन

  • विद्युत उत्पादन: कोयले से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण आधारभूत है। भारत पहले ही सौर और पवन क्षमता में तेज़ी से प्रगति कर चुका है।
  • उद्योग: औद्योगिक प्रक्रियाओं का विद्युतीकरण — विशेषकर स्टील, सीमेंट और रसायन — उत्सर्जन को अत्यंत सीमा तक घटा सकता है।
    • इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस और ग्रीन हाइड्रोजन जैसी तकनीकें प्रमुख सक्षम कारक हैं।
  • परिवहन और गतिशीलता: EV अपनाने की गति तीव्र हो रही है, लेकिन चार्जिंग स्टेशन और बैटरी आपूर्ति श्रृंखला जैसी अवसंरचना को बढ़ाना होगा।
    • भारत को प्राथमिकता देनी होगी:
      • नवीकरणीय ऊर्जा का तीव्र विस्तार
      • ट्रांसमिशन और ग्रिड बाधाओं को हटाना
      • भंडारण प्रणालियों में निवेश
      • EV की वहनीयता और पहुँच का विस्तार
      • हाइड्रोजन ईंधन और स्मार्ट ग्रिड का विकास
      • बाय-बैक और प्रदर्शन गारंटी ढाँचे
  • भवन: हीटिंग, कूलिंग और कुकिंग का विद्युतीकरण कुशल उपकरणों एवं स्मार्ट ग्रिड के माध्यम से शहरी उत्सर्जन को घटा सकता है।
  • कृषि: सौर-संचालित सिंचाई और इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में डीज़ल पर निर्भरता को कम कर सकते हैं।

प्रमुख चिंताएँ और चुनौतियाँ

  • ग्रिड अवसंरचना सीमाएँ: वर्तमान विद्युत ग्रिड व्यापक विद्युतीकरण से उत्पन्न मांग को संभालने के लिए सक्षम नहीं है।
  • उच्च प्रारंभिक लागत: परिवहन और उद्योग में विद्युत प्रणालियों की ओर संक्रमण के लिए भारी पूंजी निवेश की आवश्यकता है।
  • नीतिगत और नियामक अंतराल: राज्यों और क्षेत्रों में बिखरी हुई नीतियाँ प्रगति में बाधा डालती हैं।
  • राजस्व के लिए जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता: जीवाश्म ईंधन करों के माध्यम से सरकार के राजस्व में भारी योगदान करते हैं।
  • प्रौद्योगिकी तत्परता और अपनाना: कई उद्योग अभी भी पुरानी प्रणालियों पर निर्भर हैं। विद्युतीकरण नई तकनीकों, कार्यबल के पुनः प्रशिक्षण और आपूर्ति श्रृंखला के पुनः डिज़ाइन की मांग करता है।
  • ग्रीन हाइड्रोजन व्यापार बाधाएँ: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रतिबंध भारत के डीकार्बोनाइजेशन प्रयासों को धीमा कर सकते हैं और प्रतिस्पर्धात्मकता को हानि पहुँचा सकते हैं।
  • कृषि क्षेत्र की जटिलता: कृषि का विद्युतीकरण विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है क्योंकि यह विकेंद्रीकृत है और डीज़ल-आधारित उपकरणों पर निर्भर है।

आगे की राह

  • घरेलू क्षमता और लचीली आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण: विद्युतीकरण केवल उपकरणों की तैनाती के बारे में नहीं है — बल्कि उन्हें भारत में निर्मित करना भी आवश्यक है।
    • इसमें तांबा, निकल, कोबाल्ट और दुर्लभ पृथ्वी धातुओं के लिए सुरक्षित आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण शामिल है।
    • इन खनिजों में प्रायः लंबी वापसी अवधि होती है, जिसके लिए सरकार-नेतृत्व वाली वैश्विक खनन साझेदारियाँ आवश्यक हैं।
  • संक्रमण के लिए नीतिगत और वित्तीय ढाँचा: भारत का ऊर्जा संक्रमण प्रोत्साहनों, हतोत्साहनों और रणनीतिक सार्वजनिक निवेश के संतुलित मिश्रण की मांग करेगा। प्रमुख हस्तक्षेप हैं:
    • नवीकरणीय ऊर्जा वृद्धि के लिए सतत नीतिगत समर्थन
    • विद्युतीकृत तकनीकों की ओर शिफ्ट करने वाले उपयोगकर्ताओं के लिए प्रोत्साहन (जैसे EV सब्सिडी)
    • सार्थक दरों पर कार्बन मूल्य निर्धारण की शुरुआत
    • डीकार्बोनाइजेशन कार्यक्रमों को वित्तपोषित करने के लिए कार्बन राजस्व का उपयोग
    • सरकार को एक उद्यमशील निवेशक के रूप में कार्य करना चाहिए:
      • राष्ट्रीय R&D-नवाचार निधि के माध्यम से शुरुआती चरण की तकनीकों को सुदृढ़ करना
      • निजी पूंजी को आकर्षित करना, साथ ही इक्विटी रिटर्न और भू-राजनीतिक लाभ सुनिश्चित करना
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] भारत के नेट-ज़ीरो लक्ष्यों को प्राप्त करने में विद्युतीकरण की भूमिका पर चर्चा कीजिए। विद्युतीकृत अर्थव्यवस्था में परिवर्तन से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ और अवसर क्या हैं?

Source: BL

 

Other News

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध संदर्भ हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा रूस और चीन के साथ ‘समान आधार पर परमाणु परीक्षण’ की नई घोषणा ने परमाणु हथियार परीक्षण की वापसी का संकेत दिया है, जिससे दशकों से चली आ रही अंतरराष्ट्रीय संयम और वैश्विक हथियार नियंत्रण की गतिशीलता को चुनौती मिली...
Read More

पाठ्यक्रम: GS2/शासन; GS3/अर्थव्यवस्था संदर्भ कैलिफ़ोर्निया के बाहर गूगल का सबसे बड़ा एआई डेटा सेंटर आंध्र प्रदेश में स्थापित किए जाने की हालिया घोषणा ने भारत को एक प्रतिस्पर्धी संघीय अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर किया है, जहाँ राज्य नीति, शासन और अवसंरचना लाभों के माध्यम से वैश्विक निवेश का सक्रिय समर्थन...
Read More

पाठ्यक्रम: GS2/ राजव्यवस्था एवं शासन संदर्भ  भारत के सर्वोच्च न्यायालय और केंद्र सरकार के बीच ट्रिब्यूनल्स रिफॉर्म्स एक्ट, 2021 को लेकर प्रशासन एवं सुधार पर चल रहा विवाद बार-बार चुनौती दिया गया है, क्योंकि इस पर न्यायिक स्वतंत्रता को कमजोर करने का आरोप है। भारत में ट्रिब्यूनल प्रणाली के बारे...
Read More

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध संदर्भ  भारत के प्रधानमंत्री ने भूटान की यात्रा की ताकि भूटान के चौथे राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक (K4), जिन्हें स्नेहपूर्वक ‘बोधिसत्व राजा’ कहा जाता है, की 70वीं जयंती का सम्मान किया जा सके। यह यात्रा भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति और दोनों देशों के बीच गहरी एवं...
Read More

पाठ्यक्रम: GS3/पर्यावरण; जलवायु परिवर्तन संदर्भ संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के 30वें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (COP30) की शुरुआत ब्राज़ील के बेलेम में हुई। इसमें अमेरिका और चीन की अनुपस्थिति तथा भारत द्वारा निम्न-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भेजे जाने से कार्यवाही पर गंभीर प्रभाव पड़ा  है। COP30 बेलेम, ब्राज़ील में  बेलेम...
Read More

पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था; वित्तीय समावेशन संदर्भ सार्वभौमिक बुनियादी आय (UBI) का विचार अब एक व्यावहारिक नीतिगत आवश्यकता के रूप में उभर रहा है, क्योंकि भारत बढ़ती असमानता, तकनीकी व्यवधान और कल्याणकारी अक्षमताओं का सामना कर रहा है। सार्वभौमिक बुनियादी आय (UBI) क्या है? सार्वभौमिक बुनियादी आय (UBI) एक सामाजिक कल्याण नीति...
Read More

पाठ्यक्रम: GS2/शासन संदर्भ भारत को 2047 तक विकसित भारत  बनने की आकांक्षा है। इसके लिए आर्थिक विकास और राष्ट्रीय प्रगति हेतु एक स्वच्छ, पारदर्शी एवं जवाबदेह व्यवस्था की आवश्यकता है। भारत में भ्रष्टाचार संथानम समिति रिपोर्ट (1964), जो भारत के भ्रष्टाचार-रोधी ढाँचे की नींव है, भ्रष्टाचार को परिभाषित करती है:...
Read More
scroll to top