उदारीकृत प्रेषण योजना के अंतर्गत भारत के बाह्य प्रेषण में 11% की गिरावट

पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था

संदर्भ

  • भारतीय रिज़र्व बैंक की उदारीकृत प्रेषण योजना (LRS) के अंतर्गत निवासी व्यक्तियों द्वारा किया गया बाह्य प्रेषण जुलाई 2025 में वर्ष-दर-वर्ष लगभग 11% गिरकर 2,452.93 मिलियन डॉलर रहा, जबकि विगत वर्ष इसी अवधि में यह 2,754.05 मिलियन डॉलर था।

प्रेषण क्या हैं?

  • प्रेषण किसी दूसरे देश में रहने वाले लोगों, अक्सर उनके परिवारों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से धन भेजने का एक तरीका है।
  • आमतौर पर विदेशों में कार्य करने वाले व्यक्तियों द्वारा, विशेष रूप से ब्लू-कॉलर या कुशल रोजगारों में कार्यरत लोगों द्वारा भेजा जाता है।
  • प्रेषण कई देशों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जो उनकी आर्थिक स्थिरता में योगदान देता है, स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को सहारा देता है और कभी-कभी राष्ट्रीय व्यापार घाटे के वित्तपोषण में सहायता करता है।
  • स्थानांतरण के तरीके: प्रेषण बैंकों, धन हस्तांतरण ऑपरेटरों या डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से भेजे जा सकते हैं।
  • बाह्य प्रेषण: बाह्य प्रेषण से तात्पर्य भारत के किसी निवासी द्वारा भारत के बाहर किसी व्यक्ति या संस्था को शिक्षा, यात्रा, चिकित्सा उपचार, निवेश या उपहार देने जैसे उद्देश्यों के लिए विदेशी मुद्रा में धन के हस्तांतरण से है।
भारत का प्रेषण: मुख्य तथ्य
– भारत का प्रेषण 2010-11 के 55.6 अरब डॉलर से दोगुने से भी अधिक बढ़कर 2023-24 में 118.7 अरब डॉलर हो गया है।
– विश्व बैंक के अनुसार, भारत 2008 से प्रेषण का शीर्ष प्राप्तकर्ता रहा है, और विश्व प्रेषण में इसकी हिस्सेदारी 2001 में लगभग 11 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में लगभग 14 प्रतिशत हो गई है।
– अमेरिका और ब्रिटेन से प्रेषण वित्त वर्ष 2024 में लगभग दोगुना होकर कुल आवक प्रेषण का 40% हो गया, जो वित्त वर्ष 2017 में 26% था।
– वित्त वर्ष 2021 में अमेरिका प्रेषण का शीर्ष स्रोत बन गया, जिसका योगदान 23.4% रहा, उसके बाद संयुक्त अरब अमीरात का योगदान 19.2% रहा।
– आधा प्रेषण महाराष्ट्र, केरल और तमिलनाडु को गया। हरियाणा, गुजरात एवं पंजाब जैसे अन्य राज्यों का हिस्सा कम (5% से कम) रहा।

छात्रों द्वारा प्रेषित की जाने वाली धनराशि में गिरावट के कारण

  • वैश्विक वीज़ा प्रतिबंध: अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा जैसे प्रमुख गंतव्यों के लिए भारतीय छात्र वीज़ा में 25-31% की गिरावट देखी गई।
  • आर्थिक अनिश्चितता: वैश्विक वित्तीय अस्थिरता के कारण परिवारों ने अध्ययन और यात्रा की योजनाएँ स्थगित कर दीं।
  • उच्च आधार प्रभाव: वित्त वर्ष 2024 में प्रेषण अपने चरम स्तर पर था, जिससे सांख्यिकीय रूप से गिरावट की संभावना बनी हुई है।
उदारीकृत प्रेषण योजना (एलआरएस) क्या है?
– भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा 2004 में LRS की शुरुआत की गई थी।
– यह निवासी व्यक्तियों (नाबालिगों सहित) को अनुमत चालू या पूंजी खाता लेनदेन के लिए प्रति वित्तीय वर्ष 250,000 डॉलर तक प्रेषण की अनुमति देता है।
– शुरुआत में इसे 25,000 डॉलर की सीमा के साथ शुरू किया गया था, जिसे बाद में वर्तमान स्तर तक बढ़ा दिया गया।
प्रेषण निम्न के लिए किया जा सकता है:
1. विदेश में शिक्षा और अध्ययन,
2. यात्रा और पर्यटन,
3. विदेश में चिकित्सा उपचार,
4. संपत्ति की खरीद,
5. विदेशी प्रतिभूतियों या व्यवसायों में निवेश।
6. LRS विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999 के तहत शासित होता है।

Source: TH

 

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