विश्व भर में ऊर्जा और एआई के बीच बढ़ते अंतर्संबंध

पाठ्यक्रम: GS3/पर्यावरण

संदर्भ

  • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने 2024 की एक रिपोर्ट में विश्व भर में ऊर्जा और AI के बीच बढ़ते अंतर्संबंधों पर प्रकाश डाला है।

वैश्विक डेटा सेंटर ऊर्जा परिदृश्य

  • बढ़ती माँग: डेटा सेंटर बिजली की माँग 2030 तक दोगुनी से भी अधिक बढ़कर 945 TWh होने की संभावना है।
    • AI-अनुकूलित डेटा सेंटर की माँग 2030 तक चौगुनी हो जाएगी।
  • वैश्विक हिस्सेदारी: डेटा सेंटर वर्तमान में कुल विद्युत का 1-2% खपत करते हैं, जिसके 2030 तक बढ़कर 3-4% होने की संभावना है।
  • तुलना: इस्पात उद्योग कुल विद्युत का 7% खपत करता है।
  • जल संकट: सर्वरों को ठंडा करने के लिए स्वच्छ जल का बढ़ता उपयोग एक समानांतर चिंता का विषय है।
  • IEA अनुमान: लागत-प्रतिस्पर्धा एवं उपलब्धता के कारण नवीकरणीय ऊर्जा और प्राकृतिक गैस आपूर्ति में प्रमुख भूमिका निभाएँगे।

भारत का डेटा सेंटर परिदृश्य

  • वर्तमान और भविष्य की वृद्धि: माँग 1.2 GW (2024) से बढ़कर 4.5 GW (2030) होने की संभावना है (मैकिन्से रिपोर्ट)।
    • 2030 तक अकेले AI-संचालित डेटा केंद्र सालाना 40-50 TWh की खपत करेंगे।
  • क्षेत्रीय वितरण: मुंबई – 41%, चेन्नई – 23%, NCR – कुल क्षमता का 14%।
  • ऊर्जा मिश्रण: भारत तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है, जहाँ कोयला, कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस का प्रभुत्व है।

विश्व भर में AI अपनाने का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?

  • उच्च ऊर्जा माँग: बड़े AI मॉडल (जैसे GPT, इमेज जनरेटर) के प्रशिक्षण में भारी मात्रा में विद्युत की खपत होती है, जो प्रायः डेटा केंद्रों में केंद्रित होती है।
    • वैश्विक डेटा केंद्रों की माँग 2030 तक तीन गुना हो सकती है, जिसमें AI मुख्य चालक होगा। यदि जीवाश्म ईंधन से संचालित होते हैं, तो इससे CO₂ उत्सर्जन बढ़ता है।
  • जल और संसाधन उपयोग: डेटा केंद्रों को शीत करने के लिए भारी मात्रा में जल की आवश्यकता होती है – कभी-कभी प्रतिदिन लाखों लीटर।
  • ई-कचरा और हार्डवेयर कारोबार: AI के लिए GPU/TPU के लगातार उन्नयन से इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट बढ़ता है, जिससे अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों पर दबाव बढ़ता है।

पर्यावरण पर AI के सकारात्मक प्रभाव

  • ऊर्जा प्रणालियों का अनुकूलन: AI सौर और पवन ऊर्जा का बेहतर पूर्वानुमान लगाने में सहायता करता है, जिससे नवीकरणीय ऊर्जा का बेहतर एकीकरण संभव होता है तथा ऊर्जा की कटौती कम होती है।
    • AI-प्रबंधित स्मार्ट ग्रिड, बैटरी और माँग-प्रतिक्रिया प्रणालियाँ ऊर्जा की बर्बादी को कम करती हैं।
  • जलवायु मॉडलिंग और अनुकूलन: जलवायु पूर्वानुमान, चरम मौसम पूर्वानुमान और सटीक कृषि को बेहतर बनाता है जिससे उर्वरक/जल उपयोग में कटौती होती है।
    • AI आपदा जोखिम प्रबंधन और जलवायु-प्रतिरोधी बुनियादी ढाँचे की योजना बनाने में सहायता करता है।
  • उद्योगों में दक्षता: AI-संचालित अनुकूलन परिवहन (ईंधन मार्ग, रसद), भवनों (स्मार्ट HVAC), और विनिर्माण (प्रक्रिया स्वचालन) में उत्सर्जन को कम करता है।
  • नीति ढाँचा: ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता और राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता रोडमैप, नवीकरणीय ऊर्जा एवं सतत डिज़ाइन में AI को एकीकृत करते हैं।
  • स्मार्ट रियल एस्टेट: स्मार्ट लाइटिंग, पूर्वानुमानित हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग (HVAC), स्वचालित भवन नियंत्रण जैसे AI-संचालित समाधान 25% तक ऊर्जा बचत प्रदान करते हैं।

आगे की राह

  • विश्व भर में AI को तीव्रता से अपनाने से ऊर्जा क्षेत्र और पर्यावरण दोनों में परिवर्तन आने की संभावना है।
  • अनुमान है कि एआई-संचालित डेटा केंद्रों से विद्युत और जल की माँग कई गुना बढ़ जाएगी—जिससे उच्च CO₂ उत्सर्जन, संसाधनों की कमी और ई-अपशिष्ट की चिंताएँ बढ़ रही हैं।
  • एआई ऊर्जा दक्षता, नवीकरणीय एकीकरण और जलवायु अनुकूलन को सक्षम बनाकर शक्तिशाली समाधान भी प्रदान करता है।
  • आगे की चुनौती यह सुनिश्चित करने में है कि एआई का ऊर्जा-प्रेमी विकास स्वच्छ, सतत स्रोतों से संचालित हो, साथ ही एक हरित, अधिक लचीले भविष्य के निर्माण के लिए इसकी क्षमता का लाभ उठाया जाए।

Source: TH

 

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