पाठ्यक्रम: GS2/ शासन
समाचार में
- भारत सरकार ने ‘जल सुरक्षा पर राष्ट्रीय पहल’ शुरू की है, जिसके अंतर्गत जल संरक्षण को सर्वोच्च राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाया गया है और मनरेगा के अंतर्गत जल-संबंधी कार्यों पर न्यूनतम व्यय अनिवार्य किया गया है।
पहल की मुख्य विशेषताएँ
- निधि आवंटन अधिदेश:
- ‘अति-दोहित’/’डार्क ज़ोन’ ब्लॉक: मनरेगा निधि का 65% जल-संबंधी कार्यों (वर्षा जल संचयन, भूजल पुनर्भरण) पर व्यय किया जाना चाहिए।
- ‘अर्ध-संकटग्रस्त’ ब्लॉक: जल संरक्षण के लिए निधि का 40%।
- अन्य सभी ब्लॉक: ऐसी गतिविधियों के लिए न्यूनतम 30%।
- बजटीय फोकस: ₹88,000 करोड़ के वार्षिक मनरेगा बजट (2025-26) में से अब जल सुरक्षा के लिए एक निश्चित हिस्सा निर्धारित किया गया है।
- भूजल मूल्यांकन आधार: निधि वितरण और ब्लॉक वर्गीकरण, केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) द्वारा वर्गीकृत गतिशील भूजल संसाधन मूल्यांकन रिपोर्ट (2024) पर आधारित है।
जल संरक्षण कार्य किसे माना जाता है?
- चेकडैम, कृषि तालाब, सामुदायिक टैंक और रिसाव टैंक का निर्माण।
- गाद निकालना, पारंपरिक जल निकायों का नवीनीकरण, भूजल पुनर्भरण गड्ढे, सोख कुएँ।
- जल धारण क्षमता बढ़ाने के लिए सिंचाई चैनल, वाटरशेड प्रबंधन संरचनाएँ, वनरोपण और वृक्षारोपण कार्य बनाना।
औचित्य
- भूजल क्षरण: भारत विश्व में भूजल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है (वैश्विक निष्कर्षण का लगभग 25%)।
- ग्रामीण निर्भरता: ग्रामीण पेयजल का 80% और सिंचाई का लगभग दो-तिहाई हिस्सा भूजल पर निर्भर है।
- जलवायु तनाव: अनियमित मानसून और सूखे की बढ़ती आवृत्ति जल संकट में वृद्धि कर देती है।
- प्रधानमंत्री का निर्देश: जल के लिए विशेष रूप से धनराशि निर्धारित करने के प्रधानमंत्री के निर्देश के बाद, यह कदम जल संरक्षण को राष्ट्रीय ग्रामीण प्राथमिकता के रूप में संस्थागत बनाता है।
महत्व
- जल सुरक्षा: भूजल पुनर्भरण और वर्षा जल संचयन को सुदृढ़ करता है।
- ग्रामीण आजीविका: स्थायी रोज़गार और बेहतर कृषि उत्पादकता सुनिश्चित करता है।
- महिला सशक्तिकरण: मनरेगा में बढ़ती भागीदारी सतत विकास लक्ष्य 5 के अनुरूप है।
- जलवायु अनुकूलन: सूखे और बाढ़ के प्रति ग्रामीण समुदायों की सहनशीलता में सुधार।
- राष्ट्रीय मिशनों के साथ सामंजस्यशील: जल जीवन मिशन, कैच द रेन, अमृत सरोवर और किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्यों को समर्थन।
Source: PIB
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