पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- भारत का जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र विगत कुछ वर्षों में तीव्रता से उभरा है। 2018 में लगभग 500 स्टार्टअप्स से शुरू होकर, 2025 में इनकी संख्या 10,000 से अधिक हो गई है।
बायोइकोनॉमी क्या है?
- बायोइकोनॉमी का अर्थ है नवीकरणीय जैविक संसाधनों का उपयोग करके खाद्य, ऊर्जा और औद्योगिक वस्तुओं का उत्पादन करना, जो सततता एवं आर्थिक विकास को समर्थन देता है।
- जीन एडिटिंग और बायोप्रिंटिंग जैसी नवाचारों से प्रगति हो रही है, जबकि विभिन्न क्षेत्रों में एकीकरण दीर्घकालिक प्रभाव को सुदृढ़ करता है।
- जैव प्रौद्योगिकी को डिजिटल उपकरणों और परिपत्र अर्थव्यवस्था सिद्धांतों के साथ जोड़कर, बायोइकोनॉमी पर्यावरणीय चुनौतियों के लिए सतत समाधान प्रदान करती है तथा समग्र सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देती है।

भारत की बायोइकोनॉमी
- भारत जैव प्रौद्योगिकी के लिए विश्व स्तर पर शीर्ष 12 गंतव्यों में शामिल है और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तीसरा सबसे बड़ा गंतव्य है।
- भारत की बायोइकोनॉमी 2014 में $10 बिलियन से बढ़कर 2024 में $165.7 बिलियन हो गई है, जो सोलह गुना वृद्धि है।
- यह क्षेत्र राष्ट्रीय GDP में 4.25% का योगदान देता है और विगत चार वर्षों में 17.9% की सुदृढ़ वार्षिक समग्र वृद्धि दर (CAGR) प्रदर्शित करता है।
- भारत का जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र चार श्रेणियों में विभाजित है: बायोफार्मास्युटिकल्स, बायो एग्रीकल्चर, बायो आईटी और बायो सर्विसेज।
- भविष्य के लक्ष्य: 2030 तक $300 बिलियन की बायोइकोनॉमी प्राप्त करने का लक्ष्य।
- भारत वैश्विक स्तर पर बायोफार्मा में नेतृत्व करना चाहता है, जिसमें टीके, डायग्नोस्टिक्स और चिकित्सकीय उत्पाद शामिल हैं।
चिंताएं
- अवसंरचना का विखंडन: भारत में 70 से अधिक इनक्यूबेटर्स हैं, लेकिन कुछ ही के पास पायलट-स्केल शुद्धिकरण प्रणाली, फिल-एंड-फिनिश सुविधाएं, और नियामक सहायता जैसी पूर्ण सुविधाएं हैं।
- इससे उद्यमियों को विभिन्न शहरों में काम करना पड़ता है, जिससे लागत और प्रक्रियाएं दोहराई जाती हैं।
- नियामक जटिलताएं: क्लिनिकल ट्रायल, पेटेंट कानून और उत्पाद अनुमोदन के लिए पुराने ढांचे।
- ये आधुनिक आवश्यकताओं (AI, बायोलॉजिक्स, जीनोमिक्स) से पीछे हैं, जिससे बाज़ार में प्रवेश में देरी होती है और निवेश को हतोत्साहित किया जाता है।
सरकारी पहल और प्रमुख कार्यक्रम
- BioE3 नीति (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी): यह नीति 2024 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित की गई थी, जिसका उद्देश्य 2030 तक $300 बिलियन की बायोइकोनॉमी बनाना है।

- राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन: यह एक सरकारी स्वीकृत पहल है, जिसे जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा संचालित और BIRAC द्वारा कार्यान्वित किया गया है।
- उद्देश्य: उद्योग और अकादमिक संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर भारत की बायोफार्मास्युटिकल्स, टीकों, बायोसिमिलर्स, चिकित्सा उपकरणों और डायग्नोस्टिक्स में क्षमताओं को बढ़ाना।
- बायो एग्रीकल्चर: भारत में कृषि जैव प्रौद्योगिकी जीनोमिक्स, ट्रांसजेनिक्स और जीन एडिटिंग में नवाचारों के माध्यम से तीव्रता से आगे बढ़ रही है, जिसे जैव प्रौद्योगिकी विभाग के कृषि जैव प्रौद्योगिकी कार्यक्रम के अंतर्गत संचालित किया जा रहा है।
- जलवायु-स्मार्ट फसलें: सूखा-प्रतिरोधी, उच्च उपज देने वाली चना किस्म SAATVIK (NC 9) को खेती के लिए स्वीकृति दी गई है।
- जीनोम-संपादित चावल: उपज-सीमित जीनों में हानि-कारक उत्परिवर्तन से DEP1-संपादित MTU-1010 जैसी बेहतर चावल किस्में विकसित हुई हैं।
- जीनोटाइपिंग एरेज़: भारत की पहली 90K SNP एरेज़—चावल के लिए IndRA और चने के लिए IndCA—DNA फिंगरप्रिंटिंग और किस्म पहचान को सक्षम बनाती हैं।
- अमरंथ संसाधन: एक जीनोमिक डेटाबेस, NIRS तकनीकें और 64K SNP चिप पोषण स्क्रीनिंग और मोटापा-रोधी अमरंथ किस्मों के विकास में सहायक हैं।
- बायोकंट्रोल: मायरोथेसियम वेरुकारिया से प्राप्त एक नैनो-फॉर्मुलेशन टमाटर और अंगूर में पाउडरी मिल्ड्यू के लिए पर्यावरण-अनुकूल नियंत्रण प्रदान करता है।
- किसान-कवच: एक एंटी-पेस्टिसाइड सुरक्षात्मक सूट किसानों को विषाक्त संपर्क से सुरक्षा प्रदान करता है।
- बायोटेक-KISAN (बायोटेक-कृषि नवाचार विज्ञान अनुप्रयोग नेटवर्क): यह वैज्ञानिक-किसान साझेदारी कार्यक्रम है, जिसे किसानों को कृषि नवाचार और वैज्ञानिक हस्तक्षेपों के माध्यम से सशक्त बनाने के लिए शुरू किया गया है।
- बायोएनर्जी: एथनॉल मिश्रण में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है—2014 में 1.53% से बढ़कर 2024 में 15%, और 2025 तक 20% मिश्रण का लक्ष्य है।
- BIRAC पहलों के माध्यम से जैव नवाचार को बढ़ावा देना: जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC), जिसे 2012 में जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्थापित किया गया था, भारत के जैव स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को पोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- देशभर में 95 जैव-इनक्यूबेशन केंद्र स्थापित किए गए हैं, जो स्टार्टअप्स को वित्तपोषण, अवसंरचना और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

आगे की राह
- भारत की बायोइकोनॉमी एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है, जहां नवाचार, सततता और समावेशी विकास की एकीकृत दृष्टिकोण वैश्विक मानक स्थापित कर रही है।
- बायो-निर्माण, बायो-एग्रीकल्चर और बायोएनर्जी का संगम न केवल राष्ट्रीय लचीलापन को सुदृढ़ करता है, बल्कि उभरती वैश्विक बायोइकोनॉमी में भारत की रणनीतिक नेतृत्व के दृष्टिकोण को भी दर्शाता है।
Source: TH
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