भारत-ईरान-उज्बेकिस्तान प्रथम त्रिपक्षीय बैठक
पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
समाचार में
- भारत-ईरान-उज़्बेकिस्तान की प्रथम त्रिपक्षीय बैठक तेहरान में आयोजित की गई, जिसमें उग्रवाद और आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग बढ़ाने तथा भारत के साथ व्यापार के लिए उज़्बेकिस्तान द्वारा चाबहार बंदरगाह के उपयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
परिचय
- बैठक में अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के माध्यम से गहन संपर्क को भी प्राथमिकता दी गई।
- भारत-ईरान-अर्मेनिया ने भी एक त्रिपक्षीय बैठक की, जिसमें INSTC और चाबहार के उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- कज़ाखस्तान और ताजिकिस्तान ने चाबहार बंदरगाह के उपयोग में रुचि दिखाई है, जबकि भारत यूरेशियन आर्थिक संघ के साथ एक प्रारंभिक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को आगे बढ़ा रहा है ताकि व्यापार को बढ़ावा दिया जा सके तथा क्षेत्र से दुर्लभ पृथ्वी खनिजों तक पहुंच सुनिश्चित की जा सके।
| क्या आप जानते हैं? – चाबहार ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित एक व्यापक जलक्षेत्र वाला बंदरगाह है। – यह भारत के सबसे निकट स्थित ईरानी बंदरगाह है और खुले समुद्र में स्थित होने के कारण बड़े मालवाहक जहाज़ों के लिए आसान एवं सुरक्षित पहुंच प्रदान करता है। – यह बंदरगाह प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) का भी हिस्सा है। अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) – यह रूस, भारत और ईरान द्वारा शुरू की गई एक बहु-मोडल परिवहन परियोजना है, जो हिंद महासागर एवं फारस की खाड़ी को ईरान के माध्यम से कैस्पियन सागर से जोड़ती है तथा फिर रूस के सेंट पीटर्सबर्ग होते हुए उत्तरी यूरोप तक जाती है। – इस मार्ग में माल को मुंबई से बंदर अब्बास (ईरान) तक समुद्र मार्ग से भेजा जाता है, फिर सड़क मार्ग से बंदर-ए-अंज़ली तक ले जाया जाता है, उसके बाद कैस्पियन सागर पार कर रूस के अस्त्राखान तक जहाज़ द्वारा और अंत में रेल मार्ग से यूरोप तक पहुँचाया जाता है। – इसका उद्देश्य पारगमन समय को कम करना और स्वेज नहर मार्ग की तुलना में माल भाड़ा लागत को घटाना है। |
Source :ET
‘आधार कानून का भाग है, मतदाता इसका प्रयोग कर सकते हैं’: सर्वोच्च न्यायालय
पाठ्यक्रम: GS2/शासन
समाचार में
- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि आधार मत देने के अधिकार से संबंधित कानून के अंतर्गत मतदाता सत्यापन के लिए कानूनी रूप से वैध है और इसे बिहार की मतदाता सूची की चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में पहचान प्रमाण के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
आधार क्या है
- आधार एक 12 अंकों की व्यक्तिगत पहचान संख्या है जो भारत के निवासियों के लिए पहचान और पते का प्रमाण प्रदान करती है।
मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR)
- संविधान का अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग (EC) को मतदाता सूची तैयार करने की निगरानी का अधिकार देता है, जबकि अनुच्छेद 326 नागरिकों को 18 वर्ष की आयु के बाद मतदान का अधिकार प्रदान करता है।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के अंतर्गत, गैर-नागरिकों को अयोग्य घोषित किया गया है (धारा 16), और मतदाता को 18 वर्ष का होना चाहिए तथा किसी निर्वाचन क्षेत्र में सामान्य रूप से निवास करना चाहिए (धारा 19–20)।
- शहरीकरण और प्रवास के कारण दोहराए गए नामों की चिंताओं के चलते चुनाव आयोग ने अधिनियम की धारा 21 के अंतर्गत विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू किया है।
- इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल पात्र नागरिकों को सूचीबद्ध किया जाए।
- यह राष्ट्रव्यापी SIR बिहार से शुरू हो रहा है, जहाँ पिछली बार ऐसा पुनरीक्षण 2003 में हुआ था।
सर्वोच्च न्यायालय की हालिया टिप्पणी
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4) चुनाव आयोग के अधिकारियों को मतदाता सूची में प्रविष्टियों को प्रमाणित करने के लिए आधार का उपयोग करने की अनुमति देती है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह आधार को पहचान सत्यापन के लिए 12वें “संकेतक” दस्तावेज़ के रूप में शामिल करे।
- न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि आधार वैधानिक मतदाता सत्यापन ढांचे का हिस्सा है।
Source :TH
राष्ट्रीय मखाना बोर्ड
पाठ्यक्रम: GS3/ कृषि
संदर्भ
- प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के पूर्णिया में राष्ट्रीय मखाना बोर्ड का शुभारंभ किया और मखाना क्षेत्र के लिए लगभग ₹475 करोड़ के विकास पैकेज को मंजूरी दी।
मखाना क्या है?
- मखाना (Euryale ferox), जिसे फॉक्स नट के नाम से भी जाना जाता है, एक जलीय फसल है जो स्थिर तालाबों और आर्द्रभूमियों में उगाई जाती है।
- यह पौधा दक्षिण और पूर्वी एशिया के स्वच्छ जल के तालाबों में पाया जाता है।
- मखाना पौधे का खाद्य भाग छोटे, गोल बीज होते हैं जिनकी बाहरी परत काले से भूरे रंग की होती है।
- इसी कारण इसे ‘ब्लैक डायमंड’ भी कहा जाता है।
- जलवायु परिस्थितियाँ: मखाना की बेहतर वृद्धि और विकास के लिए 20–35°C तापमान, 50–90% सापेक्ष आर्द्रता, और 100–250 सेमी वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है।
- भारत में उत्पादन: भारत में मखाना का लगभग 90% उत्पादन बिहार में होता है, विशेष रूप से मिथिलांचल और सीमांचल क्षेत्रों में।
- थोड़ी मात्रा में इसका उत्पादन असम, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और ओडिशा राज्यों में भी होता है, साथ ही नेपाल, बांग्लादेश, चीन, जापान एवं कोरिया जैसे पड़ोसी देशों में भी इसकी खेती की जाती है।
- मिथिला मखाना को GI टैग: वर्ष 2022 में ‘मिथिला मखाना’ को भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) टैग प्रदान किया गया।
Source: PIB
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS)
पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- विगत तीन वर्षों में भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने 84 गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCOs) जारी किए हैं, जो 343 उत्पादों को कवर करते हैं।
- यह अब तक अधिसूचित 187 QCOs में से लगभग 45 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है।
गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCOs) क्या हैं?
- QCOs भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 2016 के अंतर्गत जारी किए गए कानूनी दस्तावेज़ हैं।
- ये घरेलू और आयातित दोनों प्रकार के उत्पादों के लिए निर्दिष्ट भारतीय मानकों के अनुरूप होना अनिवार्य बनाते हैं।
- QCOs के अंतर्गत आने वाले उत्पादों को BIS प्रमाणन के बिना भारतीय बाजार में बेचा नहीं जा सकता, जिससे उपभोक्ता सुरक्षा, निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं एवं घटिया आयात से संरक्षण सुनिश्चित होता है।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS)
- भारतीय मानक ब्यूरो भारत का राष्ट्रीय मानक निकाय है, जो उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत आता है।
- यह भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 2016 के अंतर्गत स्थापित किया गया है, जो 12 अक्टूबर 2017 से प्रभावी हुआ।
- मुख्यालय: नई दिल्ली
- कार्य:
- विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय मानकों (IS) का निर्माण
- उत्पाद प्रमाणन योजनाएँ — स्वैच्छिक और अनिवार्य दोनों
- गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCOs) जारी करना — कुछ उत्पादों के लिए भारतीय मानकों का पालन अनिवार्य बनाना
- BIS द्वारा संचालित योजनाएँ:
- उत्पाद प्रमाणन (ISI मार्क)
- प्रबंधन प्रणाली प्रमाणन
- सोने और चांदी के आभूषण/कलाकृतियों की हॉलमार्किंग
- उद्योग के लाभ के लिए प्रयोगशाला सेवाएँ, जो अंततः उपभोक्ता संरक्षण का लक्ष्य रखती हैं
Source: IE
पॉलीप्रोपाइलीन
पाठ्यक्रम: GS3/विज्ञान
संदर्भ
- प्रधानमंत्री ने असम के गोलाघाट स्थित नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (NRL) में एक पॉलीप्रोपाइलीन संयंत्र की आधारशिला रखी।
परिचय
- पॉलीप्रोपाइलीन (PP) एक थर्मोप्लास्टिक पॉलिमर है, जो पॉलीओलेफिन परिवार से संबंधित है।
- यह विश्व में सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले प्लास्टिक में से एक है क्योंकि यह हल्का, टिकाऊ और बहुपयोगी होता है।
- उपयोग: पॉलीप्रोपाइलीन का उपयोग कालीन, रस्सियाँ, बैग, रेशे, मास्क, मेडिकल किट एवं वस्त्रों के निर्माण में किया जाता है।
- यह ऑटोमोबाइल क्षेत्र के साथ-साथ चिकित्सा और कृषि उपकरणों के उत्पादन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- असम की पहचान:असम अपनी पारंपरिक गमछा और प्रसिद्ध एरी एवं मूगा रेशम के लिए जाना जाता है।
- अब राज्य की पहचान में पॉलीप्रोपाइलीन से बने वस्त्र भी शामिल होंगे।
Source: AIR
उन्नत निष्क्रिय कीट तकनीक (उन्नत-SIT)
पाठ्यक्रम: GS3/पर्यावरण
संदर्भ
- उत्तरी ग्रीस के नाओसा में वैज्ञानिक आक्रामक फल मक्खी प्रजातियों को नियंत्रित करने के लिए एक उन्नत निष्क्रिय कीट तकनीक (Enhanced-SIT) का परीक्षण कर रहे हैं, जो विशेष रूप से आड़ू की फसलों को खतरे में डाल रही हैं।
परिचय
- परियोजना: REACT (EU द्वारा वित्तपोषित, €6.65 मिलियन, 4 वर्ष, 12 देश शामिल जैसे UK, इज़राइल, दक्षिण अफ्रीका)
- लक्ष्य कीट:मेडिटेरेनियन फ्रूट फ्लाई (Ceratitis capitata) – स्थानीय प्रमुख कीट
- ओरिएंटल फ्रूट फ्लाई (Bactrocera dorsalis) और पीच फ्रूट फ्लाई (Bactrocera zonata) – एशिया से आई आक्रामक प्रजातियाँ, जो वैश्विक स्तर पर अत्यधिक विनाशकारी हैं
- विधि: निष्क्रिय नर मक्खियाँ यूनिवर्सिटी ऑफ पैट्रास में तैयार की जाती हैं।
- इन्हें बैक्टीरिया आधारित पूरक आहार दिया जाता है जिससे ये अधिक सहनशील, दीर्घायु और प्रजनन में प्रतिस्पर्धी बनती हैं।
- इनसे कोई संतान उत्पन्न नहीं होती, जिससे धीरे-धीरे कीट जनसंख्या समाप्त हो जाती है।
महत्व
- कीटनाशक-मुक्त, पर्यावरण-अनुकूल, जैविक खेती के अनुकूल यूरोप में प्रथम बार छोटे स्तर पर उन्नत निष्क्रिय कीट रिलीज़ का क्षेत्रीय परीक्षण प्रारंभिक निष्कर्षों में कीट जनसंख्या में उल्लेखनीय कमी देखी गई जलवायु से जुड़ी बढ़ती चुनौतियों के बीच यह भूमध्यसागरीय और यूरोपीय कीट नियंत्रण के लिए एक मॉडल बन सकता है
Source: TH
भारतीय नौसेना का ‘एंड्रोथ’
पाठ्यक्रम: GS3/रक्षा
संदर्भ
- भारतीय नौसेना को ‘एंड्रॉथ’ नामक स्वदेशी रूप से निर्मित एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट (ASW-SWC) प्राप्त हुआ है।
ASW-SWC के बारे में
- एंड्रॉथ द्वीप (लक्षद्वीप द्वीपसमूह का सबसे बड़ा द्वीप) के नाम पर इस युद्धपोत का नाम रखा गया है।
- यह आठ ASW-SWC में से दूसरा है, जिसे गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा निर्मित किया जा रहा है।
- यह पोत भारतीय शिपिंग रजिस्टर (IRS) के वर्गीकरण नियमों के अनुरूप निर्मित किया गया है।
- इस परियोजना में 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जो आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि को साकार करता है।
Source: TH
सर एम विश्वेश्वरैया
पाठ्यक्रम:समाचार में व्यक्ति
संदर्भ
- प्रधानमंत्री मोदी ने सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की, जिसे पूरे देश में अभियंता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
परिचय
- 15 सितंबर 1861 को जन्मे विश्वेश्वरैया को भारत के महानतम अभियंताओं में से एक माना जाता है, जिनके अग्रणी कार्यों ने बुनियादी ढांचे के विकास में क्रांति ला दी।
- उन्होंने मैसूर राज्य के दीवान और ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष के रूप में सेवा दी।
- उन्हें 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
सर एम. विश्वेश्वरैया के योगदान
- नवाचारी बाढ़ प्रबंधन प्रणाली: 1908 में मूसी नदी में आई बाढ़ के बाद, सर विश्वेश्वरैया ने उस्मान सागर और हिमायत सागर जैसे जलाशयों का डिज़ाइन किया तथा व्यवस्थित बाढ़ नियंत्रण समाधान प्रस्तावित किए।
- अग्रणी बांध निर्माण और सिंचाई प्रणाली: मैसूर के मुख्य अभियंता के रूप में, उन्होंने 1932 में कृष्ण राजा सागर (KRS) बांध का निर्माण किया, जिससे एशिया का सबसे बड़ा जलाशय बना।
- उनके स्वचालित स्लूइस गेट्स ने कई बांधों में जल नियंत्रण को बेहतर बनाया।
- साहित्यिक कृतियाँ:
- भारत का पुनर्निर्माण (1920)
- भारत के लिए नियोजित अर्थव्यवस्था (1936)
- भारत में बेरोज़गारी: इसके कारण और समाधान (1932)
- आत्मकथा: मेरे कार्य जीवन के संस्मरण (1951)
Source: PIB
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