पाठ्यक्रम: GS2/ राजव्यवस्था और शासन
संदर्भ
- सर्वोच्च न्यायालय ने कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से संरक्षण देने वाले POSH अधिनियम के दायरे को राजनीतिक दलों तक विस्तारित करने की याचिका पर विचार करने से मना कर दिया, यह कहते हुए कि ऐसे संगठन कानून के अंतर्गत कार्यस्थल के रूप में वर्गीकृत नहीं किए जा सकते।
पृष्ठभूमि
- संवैधानिक अधिकार अनुसंधान और वकालत केंद्र बनाम राज्य केरल एवं अन्य (2022) मामले में केरल उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि राजनीतिक दलों में पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध नहीं होता और उन्हें आंतरिक शिकायत समिति (ICC) स्थापित करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
- यह अस्पष्टता, राजनीतिक दलों की विकेंद्रीकृत और अनौपचारिक संरचना के साथ मिलकर, प्रायः अनुपालन न करने का कारण बताई जाती है।
| POSH अधिनियम की प्रमुख विशेषताएं – यौन उत्पीड़न की स्पष्ट परिभाषा: अधिनियम में यौन उत्पीड़न को ऐसे अवांछित कृत्यों के रूप में परिभाषित किया गया है जैसे शारीरिक संपर्क और यौन प्रस्ताव, यौन कृपा की मांग, यौन रंग की टिप्पणियाँ, अश्लील सामग्री दिखाना, तथा किसी भी प्रकार का अवांछित शारीरिक, मौखिक या गैर-मौखिक यौन व्यवहार। – लागू क्षेत्र: यह अधिनियम सभी कार्यस्थलों पर लागू होता है — संगठित और असंगठित क्षेत्र, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र, सरकारी और गैर-सरकारी संगठन। – कर्मचारी की परिभाषा: सभी महिला कर्मचारी, चाहे वे नियमित, अस्थायी, अनुबंध पर, दैनिक वेतन पर, प्रशिक्षु या इंटर्न हों, या मुख्य नियोक्ता की जानकारी के बिना कार्यरत हों — वे कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के विरुद्ध शिकायत कर सकती हैं। – आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का गठन: प्रत्येक कार्यालय या शाखा में जहाँ 10 या अधिक कर्मचारी हैं, वहाँ ICC का गठन अनिवार्य है। – यह समिति एक महिला की अध्यक्षता में होगी, जिसमें कम से कम दो महिला कर्मचारी, एक अन्य कर्मचारी और एक NGO कार्यकर्ता (जिसके पास पाँच वर्षों का अनुभव हो) शामिल होंगे। – स्थानीय समिति (LC): अधिनियम प्रत्येक जिले में एक स्थानीय समिति के गठन का प्रावधान करता है, जो उन संस्थानों की महिला कर्मचारियों की शिकायतें प्राप्त करेगी जहाँ 10 से कम कर्मचारी हैं। – शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया: महिला पीड़िता यौन उत्पीड़न की घटना के तीन से छह माह के अंदर लिखित शिकायत दर्ज कर सकती है। – समिति दो प्रकार से मामले का समाधान कर सकती है — शिकायतकर्ता और प्रतिवादी के बीच सुलह (जो वित्तीय समझौता नहीं हो सकता), या समिति जांच शुरू कर सकती है तथा उसके निष्कर्षों के आधार पर उचित कार्रवाई कर सकती है। – वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट: नियोक्ता को वर्ष के अंत में जिला अधिकारी को यौन उत्पीड़न की शिकायतों और की गई कार्रवाइयों की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती है। – दंड: यदि नियोक्ता ICC का गठन नहीं करता या अन्य प्रावधानों का पालन नहीं करता, तो ₹50,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है, जो बार-बार उल्लंघन पर बढ़ सकता है। |
राजनीतिक दलों में POSH अधिनियम के विस्तार के पक्ष में तर्क
- संवैधानिक समानता का दायित्व: राजनीतिक क्षेत्रों में महिलाओं को POSH के अंतर्गत संरक्षण न देना अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता), 15 (भेदभाव निषेध), 19(1)(g) (पेशे का अधिकार), और 21 (जीवन और गरिमा का अधिकार) का उल्लंघन है।
- विशाखा बनाम राजस्थान राज्य (1997) मामले में यह स्थापित किया गया कि यौन उत्पीड़न से सुरक्षा महिलाओं के मौलिक अधिकारों का हिस्सा है।
- राजनीतिक दलों को बाहर रखना इस भावना को कमजोर करता है।
- जवाबदेही की कमी को भरना: 2,700 से अधिक पंजीकृत राजनीतिक दल बिना ICC के कार्य कर रहे हैं।
- POSH का विस्तार इस संस्थागत शून्य को भर सकता है और एक औपचारिक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित कर सकता है।
- महिला नेतृत्व को प्रोत्साहन: यौन उत्पीड़न राजनीति में महिलाओं की भागीदारी में एक प्रमुख बाधा है।
- कानूनी संरक्षण एक सुरक्षित वातावरण बनाएगा, जिससे अधिक महिलाएँ चुनाव लड़ेंगी, नेतृत्व करेंगी और सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहेंगी।
राजनीतिक दलों में POSH अधिनियम के विस्तार के विरोध में तर्क
- नियोक्ता-कर्मचारी संबंध की अनुपस्थिति: राजनीतिक दल अनौपचारिक संरचना पर कार्य करते हैं और स्पष्ट नियोक्ता-कर्मचारी संबंध की कमी POSH अधिनियम की लागू करने की प्रक्रिया को जटिल बनाती है।
- विकेंद्रीकृत पार्टी संरचना: राजनीतिक दलों की विविध और विकेंद्रीकृत प्रकृति के कारण केंद्रीकृत ICC का गठन एवं समान अनुपालन सुनिश्चित करना कठिन है।
आगे की राह
- पार्टी-स्तरीय आचार संहिता: राजनीतिक दलों को स्वेच्छा से लैंगिक संवेदनशीलता की नीतियाँ, आचार संहिता और सुरक्षित कार्यस्थल प्रोटोकॉल अपनाने चाहिए ताकि वे समावेशिता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शा सकें।
- क्षेत्र-विशेष शिकायत तंत्र: राजनीति, सिनेमा और मीडिया जैसे अनौपचारिक, स्वतंत्र एवं स्वैच्छिक क्षेत्रों के लिए सरकार को स्वतंत्र तथा विश्वसनीय शिकायत निवारण बोर्ड स्थापित करने चाहिए जो नियोक्ता के नियंत्रण से बाहर हों।
निष्कर्ष
- राजनीतिक दलों में POSH अधिनियम का कार्यान्वयन केवल कानूनी आवश्यकता नहीं बल्कि नैतिक दायित्व भी है।
- राजनीतिक दलों को उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए — लैंगिक समानता को बढ़ावा देना और अपनी पंक्तियों में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
Source: IT