रक्षा खरीद नियमावली 2025

पाठ्यक्रम :GS3/रक्षा

समाचार में

  • रक्षा मंत्री ने रक्षा खरीद नियमावली (DPM) 2025 को स्वीकृति दे दी है।

रक्षा खरीद नियमावली 2025

  • यह एक संशोधित दस्तावेज़ है जिसका उद्देश्य सशस्त्र बलों के लिए राजस्व खरीद को तीव्र करना, घरेलू उद्योग के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाना और रक्षा विनिर्माण में नवाचार को समर्थन देना है। 
  • यह अंतिम बार 2009 में अद्यतन की गई थी और रक्षा मंत्रालय में सभी राजस्व खरीद के लिए सिद्धांतों एवं प्रावधानों को निर्धारित करती है। 
  • संशोधित नियमावली वित्त मंत्रालय के दिशा-निर्देशों एवं आधुनिक युद्ध की आवश्यकताओं के अनुरूप है, और इस वर्ष लगभग ₹1 लाख करोड़ की खरीद को कवर करती है।
  •  यह स्वदेशीकरण और नवाचार पर एक नया अध्याय प्रस्तुत करती है, जो निजी कंपनियों, DPSUs और IITs तथा IISc जैसे संस्थानों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करती है। 
  • यह पाँच वर्षों तक के ऑर्डर गारंटी का आश्वासन देती है, फील्ड स्तर पर निर्णय लेने को बढ़ावा देती है, और आपूर्तिकर्ताओं को शीघ्र भुगतान सुनिश्चित करती है।

भारत में रक्षा स्वदेशीकरण की स्थिति

  • भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में अब तक का सबसे अधिक स्वदेशी रक्षा उत्पादन दर्ज किया, जो ₹1,27,434 करोड़ तक पहुँच गया—2014-15 के ₹46,429 करोड़ की तुलना में 174% की वृद्धि। 
  • यह वृद्धि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार की नीतियों और ‘मेक इन इंडिया’ पहल द्वारा प्रेरित है, जो आत्मनिर्भरता (Atmanirbharta) की दिशा में भारत के प्रयासों को दर्शाती है। 
  • भारत अब एक मजबूत, आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग का निर्माण कर रहा है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास दोनों में योगदान दे रहा है।

रक्षा निर्यात में वृद्धि

  • भारत का रक्षा विनिर्माण में वैश्विक विस्तार आत्मनिर्भरता और रणनीतिक नीति हस्तक्षेपों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का प्रत्यक्ष परिणाम है। 
  • रक्षा निर्यात वित्त वर्ष 2013-14 के ₹686 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में ₹21,083 करोड़ के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुँच गया है, जो विगत दशक में 30 गुना वृद्धि को दर्शाता है।

महत्व

  •  रणनीतिक स्वायत्तता: यह विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता को कम करता है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ती है।  
  • आर्थिक विकास: घरेलू विनिर्माण, रोजगार सृजन और वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देता है।  
  • भू-राजनीतिक प्रभाव: भारत की स्थिति को एक विश्वसनीय रक्षा साझेदार के रूप में सुदृढ़ करता है।

उठाए गए कदम

  •  FDI नीति में उदारीकरण: रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को सितंबर 2020 में उदार बनाया गया, जिससे स्वचालित मार्ग से 74% तक और सरकारी मार्ग से 74% से अधिक निवेश की अनुमति दी गई।  
  • रक्षा बजट में वृद्धि: रक्षा बजट ₹2.53 लाख करोड़ (2013-14) से बढ़कर ₹6.81 लाख करोड़ (2025-26) हो गया है, जो भारत के सैन्य आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित करने को दर्शाता है।  
  • iDEX पहल: अप्रैल 2018 में शुरू की गई रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (iDEX) ने रक्षा और एयरोस्पेस में नवाचार एवं प्रौद्योगिकी विकास के लिए एक समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया है।
  •   ‘SAMARTHYA’ कार्यक्रम: एयरो इंडिया 2025 में आयोजित इस कार्यक्रम ने भारत की रक्षा स्वदेशीकरण और नवाचार में उपलब्धियों को प्रदर्शित किया।  
  • SRIJAN पहल: रक्षा उत्पादन विभाग (DDP) द्वारा अगस्त 2020 में आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई।

नवीनतम उपलब्धि

  • ऑपरेशन सिंदूर भारत के रक्षा उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि रही, जिसमें प्रथम बार ब्रह्मोस मिसाइलों और स्वदेशी रक्षा प्रणालियों जैसे भारत में निर्मित हथियारों ने पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ आक्रामक एवं रक्षात्मक अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

चुनौतियाँ

  •  प्रौद्योगिकी अंतराल: सामग्री, इंजन और चिप तकनीकों में सीमित क्षमताएँ।  
  • आयात पर निर्भरता: कई प्लेटफॉर्म अभी भी स्थानीय असेंबली के बावजूद विदेशी घटकों पर निर्भर हैं।
    • विशेष रूप से अनुसंधान एवं विकास (R&D) में अपर्याप्त निवेश और राजनीतिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता भी अन्य चुनौतियाँ बनी हुई हैं ।

निष्कर्ष

  • भारत की रक्षा उत्पादन और निर्यात में उल्लेखनीय प्रगति यह दर्शाती है कि वह एक आत्मनिर्भर और वैश्विक प्रतिस्पर्धी सैन्य विनिर्माण केंद्र में बदल रहा है। 
  • ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने भारत के रक्षा उद्योग की क्षमताओं को सिद्ध कर दिया है, जिससे स्वदेशी रक्षा विनिर्माण को सुदृढ़ करने की नींव तैयार हुई है। 
  • इस गति को बनाए रखने के लिए भारत को रक्षा बजट में वृद्धि करनी चाहिए और निजी कंपनियों व स्टार्टअप्स को शामिल करके नवाचार को बढ़ावा देना चाहिए।

Source :TH

 

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