पाठ्यक्रम: GS1/ समाज, GS2/ शासन
संदर्भ
- राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) द्वारा जारी राष्ट्रीय वार्षिक रिपोर्ट एवं सूचकांक 2025 (NARI 2025) भारत में महिलाओं की सुरक्षा पर शहरवार रैंकिंग प्रदान करता है।
NARI 2025 की प्रमुख विशेषताएँ
- सबसे सुरक्षित शहर: कोहिमा, विशाखापत्तनम, भुवनेश्वर, आइजोल, गंगटोक, ईटानगर, मुंबई।
- सबसे असुरक्षित शहर: पटना, जयपुर, फरीदाबाद, दिल्ली, कोलकाता, श्रीनगर, रांची।
- राष्ट्रीय सुरक्षा स्कोर 65 प्रतिशत निर्धारित किया गया, जो शहरों के प्रदर्शन का मानक है।
- 2024 में, 7 प्रतिशत महिलाओं ने सार्वजनिक स्थानों पर उत्पीड़न का अनुभव किया, जबकि 24 वर्ष से कम आयु की महिलाओं में यह आंकड़ा 14 प्रतिशत तक पहुंच गया, जो युवा वर्ग की अधिक संवेदनशीलता को दर्शाता है।
- पड़ोस (38 प्रतिशत) और सार्वजनिक परिवहन (29 प्रतिशत) महिलाओं के उत्पीड़न के सबसे अधिक रिपोर्ट किए गए स्थानों के रूप में सामने आए।
- केवल 25 प्रतिशत महिलाओं ने विश्वास व्यक्त किया कि सुरक्षा और उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों पर अधिकारी प्रभावी कार्रवाई करेंगे।
लैंगिक-सुरक्षित शहरों की बाधाएँ
- संस्थागत और प्रशासनिक कमियाँ: कई एजेंसियाँ अलग-अलग कार्य करती हैं, जिससे महिलाओं की सुरक्षा उपायों का क्रियान्वयन कमजोर होता है।
- न्यायिक प्रतिक्रिया में धीमापन: जांच में देरी और लंबी सुनवाई से निवारक प्रभाव कम होता है, जिससे अपराध दोहराए जाते हैं।
- परिवहन की कमजोरियाँ: भीड़ वाली बसें, असुरक्षित अंतिम-मील संपर्क और परिवहन सेवाओं में महिला स्टाफ की कमी असुरक्षा बढ़ाती है।
- कम रिपोर्टिंग: केवल तीन में से एक महिला ही घटनाओं की रिपोर्ट करती है, जो सामाजिक कलंक और अधिकारियों पर कमजोर विश्वास को दर्शाता है।
- पितृसत्तात्मक मान्यताओं की स्थिरता: सामाजिक दृष्टिकोण उत्पीड़न को तुच्छ मानते हैं और प्रायः महिलाओं को दोषी ठहराते हैं, जिससे शिकायतें हतोत्साहित होती हैं।
- आँकड़ों पर अत्यधिक निर्भरता: आधिकारिक आँकड़े धारणा-आधारित असुरक्षाओं को नहीं दर्शाते, जो नीति ढांचे में अदृश्य बनी रहती हैं।
महिला सुरक्षा हेतु सरकारी पहलें
- निर्भया फंड: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने देशभर में सुरक्षा परियोजनाओं के वित्तपोषण हेतु यह फंड स्थापित किया है।
- SHe-Box पोर्टल: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया, यौन उत्पीड़न इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स(SHe-Box) एक एकल-विंडो मंच है जहाँ महिलाएँ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कर सकती हैं।
- यह सभी महिलाओं के लिए सुलभ है, चाहे वे संगठित/असंगठित, सार्वजनिक/निजी क्षेत्र में कार्यरत हों।
- कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 सभी महिलाओं पर लागू होता है, चाहे उनकी आयु, रोजगार का प्रकार या कार्य क्षेत्र कुछ भी हो।
- यह अधिनियम नियोक्ताओं को 10 से अधिक कर्मचारियों वाले कार्यस्थलों में आंतरिक समिति (IC) बनाने का निर्देश देता है, जबकि उपयुक्त सरकार छोटे संगठनों या नियोक्ताओं के विरुद्ध मामलों के लिए स्थानीय समितियाँ (LCs) गठित करती है।

आगे की राह
- अल्पकालिक उपाय: स्थानीय पुलिस, एम्बुलेंस और नगरपालिका सेवाओं के साथ 24×7 महिला हेल्पलाइन का समन्वय करें।
- बड़े नियोक्ताओं में POSH व्यवस्थाओं का त्वरित अनुपालन ऑडिट करें और गुमनाम अनुपालन स्थिति प्रकाशित करें।
- मध्यमकालिक उपाय: केंद्रीय शहरी योजनाओं के अंतर्गत लैंगिक ऑडिट को अनिवार्य करें और शहर अनुदानों को मापनीय सुरक्षा सूचकांकों से जोड़ें।
- सार्वजनिक परिवहन में अनिवार्य CCTV, शिकायत निवारण समयसीमा और ऑपरेटर की जवाबदेही सुनिश्चित करें।
- दीर्घकालिक उपाय: स्कूलों, कॉलेजों और कार्यस्थलों में बहुवर्षीय लैंगिक-संवेदनशीलता कार्यक्रम शुरू करें, जिनके व्यवहारिक परिणाम मापे जा सकें।
- पुलिस प्रशिक्षण और मूल्यांकन में लैंगिक-संवेदनशीलता को शामिल करें, और पितृसत्तात्मक मान्यताओं को चुनौती देने वाले पुरुषों के कार्यक्रमों को बढ़ावा दें।
- ऐसी सामुदायिक-नेतृत्व वाली सुरक्षा पहलों में निवेश करें जो नागरिकों और संस्थानों के बीच विश्वास को पुनः स्थापित करें।
Source: BS