पाठ्यक्रम :GS2/IR
समाचारों में
- नेपाल की जनरेशन Z द्वारा नेतृत्व किए गए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ, जिससे व्यापक हिंसा हुई, जिसमें सरकारी भवनों को जलाना और राजनेताओं पर हमले शामिल थे।
नेपाल में संकट के कारण
- जनरेशन Z की असंतुष्टि: भ्रष्टाचार, नेताओं की भव्य जीवनशैली, जवाबदेही की कमी और युवाओं में बेरोजगारी (20% से अधिक) के कारण व्यापक असंतोष उत्पन्न हुआ।
- विशेष रूप से तब जब नेपाल की अर्थव्यवस्था में प्रेषण का बड़ा योगदान है, लेकिन देश में रोजगार की संभावनाएँ बेहद कमजोर हैं।
- विरोध को दबाना: सरकार ने 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसे विनियामक कारणों से उचित ठहराया गया, लेकिन इसे व्यापक रूप से सेंसरशिप के प्रयास के रूप में देखा गया।
- सोशल मीडिया युवा नेपाली नागरिकों की अभिव्यक्ति का मुख्य माध्यम है, और इसको प्रतिबंधित किये जाने से तत्काल राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन शुरू हो गए।
- राज्य की कठोर प्रतिक्रिया: प्रदर्शनकारियों को अत्यधिक बल का सामना करना पड़ा—पुलिस ने रबर की गोलियां चलाईं और कठोर कर्फ्यू लागू किए, जिससे 20 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई और सैकड़ों घायल हुए।
- भारत के अशांत पड़ोस का प्रभावसुरक्षा खतरे: पड़ोसी देशों में अस्थिरता और कट्टरपंथी विचारधाराओं के उभार से भारत की आंतरिक सुरक्षा को सीधा खतरा होता है।
- नेपाल के साथ खुली सीमा, उदाहरण के लिए, कट्टरपंथी समूहों की आवाजाही को लेकर चिंता का विषय है।
- कूटनीतिक चुनौतियाँ: भारत की विदेश नीति की क्षमता प्रायः अपने निकटवर्ती संकटों को संभालने में व्यस्त रहती है, जिससे “विस्तारित पड़ोस” और वैश्विक शक्ति बनने की आकांक्षा पर ध्यान देने की संभावना कम हो जाती है।
- आर्थिक परिणाम: अस्थिरता व्यापार मार्गों और पर्यटन को बाधित कर सकती है, जैसा कि हालिया नेपाल संकट में देखा गया, जिससे उड़ानों और सीमा गतिविधियों पर असर पड़ा।
- इसके अतिरिक्त, भारत को आर्थिक सहायता और मानवीय राहत का भार उठाना पड़ सकता है।
- घरेलू राजनीतिक प्रभाव: पड़ोसी देशों की समस्याएँ, जैसे जातीय या सांप्रदायिक संघर्ष, कभी-कभी भारत की घरेलू राजनीति को प्रभावित कर सकती हैं, विशेष रूप से उन सीमावर्ती राज्यों में जहाँ जनसंख्या और सांस्कृतिक संबंध साझा होते हैं।
Source: TH
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