पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था
समाचार में:
- मुंबई में आयोजित WAVES शिखर सम्मेलन 2025 के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री ने भारत के भविष्य के जीडीपी वृद्धि, नवाचार और समावेशी विकास के लिए रचनात्मक अर्थव्यवस्था को एक महत्त्वपूर्ण कारक बताया।
समाचार की अधिक जानकारी:
- प्रधानमंत्री ने भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान (IICT) की स्थापना की घोषणा की। यह राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र युवाओं को कौशल प्रशिक्षण और मीडिया, एनीमेशन, गेमिंग और कंटेंट निर्माण में नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किया जा रहा है।
- इसे सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा उद्योग संगठनों FICCI और CII के साथ साझेदारी में स्थापित किया जा रहा है।
- WAVES का लक्ष्य 2029 तक $50 बिलियन का बाजार खोलना है, जिससे भारत की वैश्विक मनोरंजन अर्थव्यवस्था में भागीदारी बढ़ सके।
रचनात्मक अर्थव्यवस्था (जिसे ऑरेंज इकोनॉमी भी कहा जाता है) के बारे में:
- रचनात्मक अर्थव्यवस्था उन उद्योगों को शामिल करती है जो व्यक्तिगत रचनात्मकता, कौशल और बौद्धिक संपदा (IP) पर आधारित होते हैं। इनमें शामिल हैं:
- सांस्कृतिक उद्योग: संगीत, फिल्म, रंगमंच, नृत्य, हस्तशिल्प, साहित्य
- रचनात्मक उद्योग: विज्ञापन, फैशन, डिजाइन, वास्तुकला
- डिजिटल रचनात्मक क्षेत्र: एनीमेशन, VFX, गेमिंग, एक्सटेंडेड रियलिटी (XR), OTT प्लेटफॉर्म, यूट्यूब/पॉडकास्ट, प्रभावकारी कंटेंट रचनात्मक अर्थव्यवस्था को लोकप्रिय बनाने का श्रेय जॉन हॉकिंस को जाता है, जबकि “ऑरेंज इकोनॉमी” शब्द का उपयोग पूर्व कोलंबियाई राष्ट्रपति इवान ड्यूक और मंत्री फेलिप बुइट्रागो ने किया था।
भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति:
- आर्थिक योगदान: 2025 तक भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था राष्ट्रीय GDP में लगभग $30 बिलियन का योगदान दे रही है और कुल कार्यबल का लगभग 8% रोजगार प्रदान कर रही है।
- निर्यात क्षमता: रचनात्मक निर्यात वार्षिक $11 बिलियन को पार कर चुके हैं, जिसमें फिल्म, संगीत, डिजाइन और डिजिटल सामग्री जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
- वैश्विक स्थिति: भारत फिनटेक अपनाने, मोबाइल निर्माण और स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के मामले में शीर्ष देशों में शामिल है, जिससे रचनात्मक उद्योगों को फलने-फूलने का मजबूत आधार प्राप्त होता है।
भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था में संभावनाएँ:
- जनसांख्यिकीय लाभ: भारत की 65% से अधिक जनसंख्या 35 वर्ष से कम उम्र की है, जो कंटेंट निर्माण, गेमिंग, डिजाइन और शॉर्ट-फॉर्मेट कहानी कहने के प्रमुख प्रेरक हैं।
- डिजिटल अवसंरचना: भारत का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट उपयोगकर्त्ता आधार है। डिजिटल इंडिया, भारतनेट और 5G रोलआउट जैसी पहलों से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में डिजिटल उद्यमशीलता को बढ़ावा मिल रहा है।
- सांस्कृतिक विरासत: भारत की विविध परंपराएँ, भाषाएँ, कला रूप और पौराणिक कथाएँ वैश्विक कहानी कहने के लिए समृद्ध सामग्री प्रदान करती हैं। बॉलीवुड, भारतीय व्यंजन और योग जैसी सांस्कृतिक निर्यात अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत ब्रांड पहचान बना रहे हैं।
चुनौतियाँ:
- बौद्धिक संपदा (IP) जागरूकता की कमी: कॉपीराइट, डिजाइन पेटेंट और रॉयल्टी के प्रवर्तन में कमजोरी।
- विखंडित उद्योग: औपचारिक मान्यता के बिना असंगठित क्षेत्रों का वर्चस्व।
- कौशल अंतर: प्रशिक्षण कार्यक्रम तेजी से विकसित हो रहे डिजिटल उपकरणों और प्रारूपों से पीछे रह जाते हैं।
- वित्त पोषण बाधाएँ: कलाकारों और रचनात्मक स्टार्टअप के लिए आसान ऋण और अनुदान की उपलब्धता की कमी।
- सीमित ग्रामीण भागीदारी: शहरी केंद्रित वृद्धि ग्रामीण प्रतिभा और कारीगरों को बाहर कर देती है।
रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए भारत की पहल – राष्ट्रीय क्रिएटर पुरस्कार: विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म पर डिजिटल सामग्री निर्माण में उत्कृष्टता को मान्यता देने के लिए 2024 में स्थापित किया गया। – $1 बिलियन क्रिएटर इकोनॉमी फंड: कौशल में सुधार और वैश्विक बाजारों में विस्तार करने में सामग्री निर्माताओं का समर्थन करने के लिए घोषित किया गया। – राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम (NHDP): हस्तशिल्प को विकसित करने और बढ़ावा देने के लिए कपड़ा मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया गया। – कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता की योजना: भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक संगठनों और कलाकारों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। |
Source: TH
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संक्षिप्त समाचार 01-05-2025