मुंबई में आयोजित WAVES शिखर सम्मेलन 2025 के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री ने भारत के भविष्य के जीडीपी वृद्धि, नवाचार और समावेशी विकास के लिए रचनात्मक अर्थव्यवस्था को एक महत्त्वपूर्ण कारक बताया।
समाचार की अधिक जानकारी:
प्रधानमंत्री ने भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान (IICT) की स्थापना की घोषणा की। यह राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र युवाओं को कौशल प्रशिक्षण और मीडिया, एनीमेशन, गेमिंग और कंटेंट निर्माण में नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किया जा रहा है।
इसे सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा उद्योग संगठनों FICCI और CII के साथ साझेदारी में स्थापित किया जा रहा है।
हाल ही में भारत के उच्चतम न्यायालय ने मुफ्त राशन वितरण प्रणाली को लेकर चिंताएँ व्यक्त की हैं, इसकी दीर्घकालिक स्थिरता और आर्थिक नीतियों पर प्रभाव पर प्रश्न उठाए हैं।
विकास परिप्रेक्ष्य: आर्थिक स्थिरता
सर्वोच्च न्यायालय की चिंताएँ: न्यायालय ने देखा कि राज्य केंद्र से खाद्य अनाज खरीदते हैं और उन्हें मुफ्त में वितरित करते हैं, लेकिन इसका वित्तीय भार अंततः करदाताओं पर पड़ता है।
2025 की स्थिति: न्यायालय ने यह भी सवाल किया कि क्या भारत अभी भी 2011 के समान गरीबी स्तर से जूझ रहा है, जब पिछली जनगणना आयोजित की गई थी।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने 2030 तक संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) की वित्तीय पूर्ति के लिए तीन प्रमुख क्षेत्रों में तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया है।
पृष्ठभूमि:
विश्व आर्थिक अस्थिरता, संघर्ष और व्यापार बाधाओं जैसी कई संकटों का सामना कर रही है, जिससे SDG की प्रगति धीमी हो रही है।
विकासशील देश प्रति वर्ष $1.4 ट्रिलियन से अधिक की राशि ऋण भुगतान में व्यय कर रहे हैं, जिससे वे विकास में निवेश करने में असमर्थ हो रहे हैं।
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) के खगोलविदों के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में सूर्य की सतह के नीचे गतिशील "आंतरिक मौसम"—प्लाज्मा धाराओं की जाँच की गई है, जो 11-वर्षीय सनस्पॉट चक्र के अनुसार स्पंदित होती हैं।
विवरण:
शोधकर्त्ताओं ने सूर्य की सतह के नीचे एक क्षेत्र जिसे नियर-सर्फेस शीयर लेयर (NSSL) कहा जाता है, में विशाल प्लाज्मा प्रवाह का पता लगाया है।
सूर्य की चुंबकीय गतिविधि के साथ ये प्लाज्मा धाराएँ बदलती हैं और अंतरिक्ष मौसम एवं पृथ्वी पर व्यापक प्रभाव डाल सकती हैं।
वैज्ञानिकों ने ITER (इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर) के मुख्य चुंबकीय प्रणाली का निर्माण पूरा कर लिया है, जिसमें भारत ने महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाई है।
ITER परियोजना वर्तमान में दक्षिणी फ्रांस में 180 हेक्टेयर क्षेत्र में निर्माणाधीन है।
भारत, चीन, अमेरिका, रूस, जापान, दक्षिण कोरिया और यूरोपीय संघ सहित 30 से अधिक देश मिलकर विश्व का सबसे बड़ा टोकामक बना रहे हैं। यह एक चुंबकीय संलयन उपकरण है, जो परमाणु संलयन को बड़े पैमाने पर और कार्बन-मुक्त ऊर्जा स्रोत के रूप में सिद्ध करेगा।