11वां भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (IISF)
पाठ्यक्रम: GS3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी; अर्थव्यवस्था
समाचार में
- 11वाँ भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (IISF) पंचकुला, हरियाणा में प्रारंभ हुआ।
भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (IISF)
- यह 2015 में शुरू किया गया था तथा वैज्ञानिक आदान-प्रदान, नवाचार, जनसंपर्क एवं जन-भागीदारी के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में स्थापित हो चुका है। प्रत्येक संस्करण में विविध कार्यक्रमों, व्यापक भागीदारी और ऐतिहासिक पहलों के माध्यम से इसने अपने पैमाने को लगातार विस्तारित किया है।
- थीम: IISF 2025 का विषय है “विज्ञान से समृद्धि: आत्मनिर्भर भारत के लिए”।
- IISF 2025 के पाँच प्रमुख विषय:
- उत्तर-पश्चिम भारत और हिमालयी क्षेत्र का विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पारिस्थितिकी
- समाज और शिक्षा के लिए विज्ञान
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत
- जैव-प्रौद्योगिकी और जैव-अर्थव्यवस्था
- पारंपरिक ज्ञान का आधुनिक विज्ञान के साथ एकीकरण
Source :DD
सारस फूड फेस्टिवल 2025
पाठ्यक्रम: विविध
समाचार में
- दिल्ली के सुंदर नर्सरी में आयोजित सारस फूड फेस्टिवल 2025, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण का जीवंत प्रदर्शन बना।
सारस फूड फेस्टिवल 2025
- इसमें 62 स्टॉलों पर 500 से अधिक पारंपरिक व्यंजन परोसे गए, जो हरियाणा, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, असम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, गुजरात और कई अन्य राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- यह महिलाओं की उद्यमिता और आत्मनिर्भरता को प्रदर्शित करता है, जहाँ भारतभर के SHGs से जुड़ी लगभग 300 “लखपति दीदी” भोजन एवं ग्रामीण उत्पाद प्रस्तुत करती हैं।
| क्या आप जानते हैं? सारस आजीविका मेला ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत आयोजित किया जाता है। यह ग्रामीण महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों को अपने उत्पाद सीधे बेचने, मध्यस्थों को हटाने एवं महत्वपूर्ण बाजार अनुभव प्राप्त करने का राष्ट्रीय मंच प्रदान करता है। यह उन्हें पैकेजिंग, डिजाइन, संचार और विपणन पर कार्यशालाओं के माध्यम से अपने उत्पादों को उन्नत करने, आय बढ़ाने एवं देशभर तथा विदेशों के खरीदारों से जुड़ने के कौशल प्रदान करता है। |
स्रोत: PIB
श्योक सुरंग
पाठ्यक्रम: GS3/अवसंरचना
समाचार में
- रक्षा मंत्री ने पूर्वी लद्दाख में श्योक सुरंग और 124 अन्य सामरिक सीमा अवसंरचना परियोजनाओं का उद्घाटन किया।
श्योक सुरंग
- यह 920 मीटर लंबी कट-एंड-कवर सुरंग है।
- इसका सामरिक महत्व अत्यधिक है क्योंकि यह पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के निकट क्षेत्रों को प्रत्येक मौसम में जोड़ने वाली कनेक्टिविटी प्रदान करेगी, जहाँ 2020-2024 के बीच भारत और चीन सैन्य गतिरोध में थे तथा बाद में दोनों पक्षों ने सीमा पर सभी विवादित बिंदुओं से पीछे हटने का निर्णय लिया।
- यह वायु रखरखाव पर निर्भरता को कम करेगी और कठिन भूभागों में लॉजिस्टिक चुनौतियों का समाधान करेगी।
- यह विश्व के सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण भूभागों में से एक में निर्मित की गई है।
स्रोत: IE
हिंदू दर से विकास
पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
समाचार में
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा कि “हिंदू दर से विकास” अभिव्यक्ति एक औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाती है, जिसने अनुचित रूप से भारत के शुरुआती दशकों की धीमी आर्थिक प्रगति को उसके लोगों की पहचान से जोड़ दिया।
‘हिंदू दर से विकास’ क्या है?
- यह शब्द भारत की कम और स्थिर आर्थिक वृद्धि दर (लगभग 3–3.5% प्रति वर्ष) को संदर्भित करता है, जो स्वतंत्रता के पश्चात पहले तीन दशकों (1950 से 1970 के दशक) में रही।
- इस वाक्यांश को दिल्ली विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री राज कृष्ण ने 1970 के दशक के अंत में गढ़ा था।
- “द न्यू ऑक्सफोर्ड कंपैनियन टू इकॉनॉमिक्स इन इंडिया” में उल्लेखित है कि राज कृष्ण ने इसे भारत की लगातार कमज़ोर वृद्धि की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए “एक वाद-विवाद उपकरण” के रूप में उपयोग किया, जो दशकों तक स्थिर रहने के कारण सांस्कृतिक रूप से “निहित” प्रतीत होती थी।
- महत्वपूर्ण बात यह है कि “हिंदू” शब्द का कोई धार्मिक या साम्प्रदायिक अर्थ नहीं है।
भारत की शुरुआती वृद्धि इतनी कम क्यों कही गई?
- वृद्धि दर 3–3.5% के आसपास रही, जबकि इन दशकों में जनसंख्या वृद्धि औसतन 2% थी।
- भारत ने राज्य-नियंत्रित, आयात-प्रतिस्थापन, लाइसेंस-परमिट-कोटा मॉडल अपनाया, जिसने निजी उद्यम और उत्पादकता लाभों को सीमित किया।
- बाद में, 1980 के दशक के बाद के सुधारों ने लाइसेंसिंग को कम किया, आयात को आसान बनाया और प्रौद्योगिकी उन्नयन किया, जिससे भारत “हिंदू दर से विकास” से बाहर निकल सका।
Source: IE
सीमा सड़क संगठन (BRO)
पाठ्यक्रम: GS3/ रक्षा
समाचार में
- रक्षा मंत्री ने लद्दाख, जम्मू और कश्मीर तथा सात राज्यों में ₹5,000 करोड़ की सीमा सड़क संगठन (BRO) की सड़कों, पुलों एवं प्रमुख परिसंपत्तियों का उद्घाटन किया, जो एक बड़े सीमा अवसंरचना अभियान का हिस्सा है।
सीमा सड़क संगठन (BRO) के बारे में
- स्थापना: 1960
- अभिभावक मंत्रालय: रक्षा मंत्रालय (MoD)
- मोटो: श्रमेण सर्वं साध्यम (कड़ी मेहनत से सब कुछ संभव है)
- प्रकृति: यह एक प्रमुख सड़क निर्माण कार्यकारी बल है जो भारत के सीमा क्षेत्रों और मित्र पड़ोसी देशों में सड़क नेटवर्क का विकास एवं रखरखाव करता है।
- संरचना: इसका नेतृत्व महानिदेशक सीमा सड़क (DGBR) करते हैं — जो लेफ्टिनेंट जनरल (सेना) के पद के वरिष्ठ अधिकारी होते हैं।
- कार्य प्रणाली: यह सीमा सड़क कार्य बलों (BRTFs) और परियोजनाओं (जैसे परियोजना हिमांक, परियोजना विजयक, परियोजना दंतक, परियोजना वार्तक, परियोजना उदयक आदि) के माध्यम से कार्य करता है।

स्रोत: AIR
फिलामेंट्स: अंतरिक्ष की अदृश्य महाशक्तियाँ
पाठ्यक्रम: GS3/अंतरिक्ष
संदर्भ
- शोधकर्ताओं ने लगभग 50 मिलियन प्रकाश वर्ष लंबा एक फिलामेंट रिपोर्ट किया है, जिसे कम से कम 14 आकाशगंगाओं द्वारा ट्रेस किया गया।
- टीम ने इसे “ब्रह्मांड में अब तक पाए गए सबसे बड़े घूमने वाले संरचनाओं में से एक” बताया है।
कॉस्मिक फिलामेंट्स क्या हैं?
- कॉस्मिक फिलामेंट्स ब्रह्मांडीय जाल की लंबी, पतली, धागेनुमा संरचनाएँ हैं, जो सैकड़ों मिलियन प्रकाश वर्षों तक फैली होती हैं।
- ये तब बनते हैं जब गुरुत्वाकर्षण गैस, डार्क मैटर और आकाशगंगाओं को खींचकर विशाल आकाशगंगा समूहों को जोड़ने वाली लंबी धारियों में बदल देता है।
- फिलामेंट्स ब्रह्मांडीय रिक्तियों (विशाल, खाली क्षेत्रों) को घेरते हैं और ब्रह्मांडीय जाल की सीमाओं के रूप में कार्य करते हैं।

फिलामेंट्स कैसे बनते हैं?
- ये वहाँ उत्पन्न होते हैं जहाँ पदार्थ की चादरें आपस में मिलकर ढह जाती हैं और घनी धारियाँ बनाती हैं।
- फिलामेंट्स गैस और छोटी आकाशगंगाओं के लिए राजमार्ग की तरह कार्य करते हैं, जो बड़े गुरुत्वाकर्षण केंद्रों जैसे समूहों की ओर प्रवाहित होती हैं।
- जब पदार्थ अंदर गिरता है, तो यह फिलामेंट और उसमें निहित आकाशगंगाओं दोनों में घूर्णन गति उत्पन्न कर सकता है।
आकाशगंगा विकास में भूमिका
- फिलामेंट्स प्रभावित करते हैं कि आकाशगंगाएँ कहाँ बनेंगी, उनकी वृद्धि दर क्या होगी और वे अरबों वर्षों में कितना नया गैस प्राप्त करेंगी।
- ये आकाशगंगाओं के स्पिन अभिविन्यास को भी उनकी लंबाई के साथ आकार दे सकते हैं।
खगोलविद फिलामेंट्स का अध्ययन कैसे करते हैं?
- खगोलविद आकाशगंगाओं की स्थिति और दूरी मापकर उन्हें मानचित्रित करते हैं तथा फिर पैटर्न का पता लगाते हैं।
- कंप्यूटर सिमुलेशन समान फिलामेंटरी नेटवर्क दिखाते हैं, जो पुष्टि करते हैं कि ये प्रारंभिक ब्रह्मांड में उत्पन्न लहरों से बने हैं, जो गुरुत्वाकर्षण के अंतर्गत विकसित हुए।
Source: TH
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संक्षिप्त समाचार 08-12-2025