निर्यात संवर्धन मिशन (EPM)

पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था

संदर्भ

  • सरकार ने MSMEs और श्रम-प्रधान क्षेत्रों के निर्यात को बढ़ावा देने हेतु ₹25,060 करोड़ के साथ निर्यात संवर्धन मिशन (EPM) को स्वीकृति दी है।

निर्यात संवर्धन मिशन

  • 2025-26 के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री ने निर्यात संवर्धन मिशन की घोषणा की।
    • यह निर्यात ऋण तक आसान पहुँच, क्रॉस-बॉर्डर फैक्टरिंग समर्थन और विदेशी बाजारों में गैर-शुल्क उपायों से निपटने हेतु MSMEs को समर्थन प्रदान करेगा।
  • समयावधि: EPM छह वर्षों तक चलेगा, FY 2025-26 से FY 2030-31 तक। 
  • मंत्रालय और संस्थाएँ: वाणिज्य विभाग, MSME मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, निर्यात संवर्धन परिषदें, वस्तु बोर्ड, वित्तीय संस्थाएँ, उद्योग संघ और राज्य सरकारें। 
  • कार्यान्वयन एजेंसी: मौजूदा व्यापार प्रणालियों के साथ एकीकृत समर्पित डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में विदेशी व्यापार महानिदेशालय (DGFT)। 
  • दो एकीकृत उप-योजनाएँ: निर्यात प्रोत्साहन (Niryat Protsahan) और निर्यात दिशा (Niryat Disha)।
  • EPM के अंतर्गत हालिया वैश्विक शुल्क वृद्धि से प्रभावित क्षेत्रों जैसे वस्त्र, चमड़ा, रत्न एवं आभूषण, इंजीनियरिंग सामान और समुद्री उत्पादों को प्राथमिकता समर्थन दिया जाएगा।

EPM के प्रमुख घटक

वित्तीय समर्थन (निर्यात प्रोत्साहन):

  • निर्यातकों के लिए क्रेडिट गारंटी योजना (CGSE): राष्ट्रीय क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (NCGTC) द्वारा 100% कवरेज प्रदान करती है।
  • पात्र निर्यातकों (MSMEs सहित) को ₹20,000 करोड़ तक की अतिरिक्त ऋण सुविधाएँ।
  • संपार्श्विक-मुक्त ऋण सक्षम करता है, जिससे तरलता और प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होता है।

गैर-वित्तीय समर्थन (निर्यात दिशा):

  • गैर-शुल्क बाधाओं (NTBs) का समाधान: अनुपालन, प्रमाणन और तकनीकी मानकों के लिए वित्तपोषण।
  • बाजार अधिग्रहण और ब्रांडिंग: अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों, पैकेजिंग और ब्रांडिंग के लिए सहायता।
  • लॉजिस्टिक्स लागत में कमी: आपूर्ति श्रृंखला दक्षता और व्यापार सुविधा के लिए समर्थन।

RBI के व्यापार राहत उपाय

निष्कर्ष

  • निर्यात संवर्धन मिशन एक सुसंगत, प्रौद्योगिकी-चालित और समावेशी निर्यात पारिस्थितिकी तंत्र की ओर एक निर्णायक कदम है। 
  • राजकोषीय प्रोत्साहनों, वित्तीय सुविधा, डिजिटल शासन और नियामक लचीलापन को एकल मिशन-मोड ढाँचे में मिलाकर सरकार ने भारत की वैश्विक व्यापार प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने हेतु एक सशक्त मंच तैयार किया है।

स्रोत: PIB

 

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