पाठ्यक्रम: GS1/ इतिहास और संस्कृति
संदर्भ
- भारत 2025 में नई दिल्ली के लाल किले परिसर में यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा हेतु अंतर-सरकारी समिति के 20वें सत्र की मेजबानी कर रहा है।
- यह प्रथम बार है जब भारत ICH समिति सत्र की मेजबानी करेगा और संस्कृति मंत्रालय तथा संगीत नाटक अकादमी (SNA) इस सत्र की मेजबानी के लिए नोडल एजेंसियाँ हैं।
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के बारे में
- अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में वे प्रथाएँ, ज्ञान, अभिव्यक्तियाँ, वस्तुएँ और स्थान शामिल हैं जिन्हें समुदाय अपनी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा मानते हैं।
- पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित यह विरासत निरंतर विकसित होती है, सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करती है और विविधता की सराहना को बढ़ाती है।
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा हेतु यूनेस्को ने 2003 में पेरिस में अपनी 32वीं महासभा के दौरान इस कन्वेंशन को अपनाया।
- भारत ने 2005 में इस कन्वेंशन की पुष्टि की।
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का महत्व
- सांस्कृतिक पहचान और निरंतरता को संरक्षित करता है: अमूर्त विरासत समुदायों को उनकी जड़ों से जोड़ती है, पहचान को सुदृढ़ करती है और पीढ़ियों में अपनत्व को सुदृढ़ करती है।
- सामाजिक एकता और सद्भाव को प्रोत्साहन देता है: साझा सांस्कृतिक प्रथाएँ सामूहिक स्मृति और आपसी सम्मान की भावना उत्पन्न करती हैं।
- जीविकोपार्जन को सहारा देता है: ICH की सुरक्षा ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को बनाए रखने, सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर सृजित करने में सहायता करती है।
- पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को संरक्षित करता है: स्वदेशी पारिस्थितिक ज्ञान, उपचार पद्धतियाँ, कृषि बुद्धिमत्ता और शिल्पकला जलवायु परिवर्तन एवं जैव विविधता ह्रास जैसी समकालीन चुनौतियों के लिए सतत समाधान प्रदान करती हैं।
- अंतर-पीढ़ीगत शिक्षा: ICH में मूल्य, नैतिकता, स्थानीय इतिहास एवं कौशल निहित हैं जो पाठ्यक्रमों को समृद्ध करते हैं, सांस्कृतिक साक्षरता का निर्माण करते हैं और पीढ़ियों के बीच संबंधों को सुदृढ़ करते हैं।
- सांस्कृतिक कूटनीति और सॉफ्ट पावर को बढ़ावा देता है: योग, शास्त्रीय कलाएँ, उत्सव और पारंपरिक शिल्प भारत की वैश्विक सांस्कृतिक उपस्थिति को बढ़ाते हैं, सद्भावना का निर्माण करते हैं और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को सुदृढ़ करते हैं।
अंतर-सरकारी समिति के कार्य
- अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा हेतु अंतर-सरकारी समिति 2003 कन्वेंशन के उद्देश्यों को आगे बढ़ाती है और सदस्य देशों में उनके प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करती है। समिति:
- अमूर्त सांस्कृतिक विरासत कोष के उपयोग हेतु मसौदा योजना तैयार करती है और महासभा को प्रस्तुत करती है।
- सदस्य देशों द्वारा प्रस्तुत आवधिक रिपोर्टों की समीक्षा करती है और महासभा के लिए सार संकलित करती है।
- सदस्य देशों से प्राप्त अनुरोधों का मूल्यांकन करती है और निर्णय लेती है, जैसे कि यूनेस्को की ICH सूचियों में तत्वों का अंकन (अनुच्छेद 16, 17 और 18 के अनुसार)।
भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत जो यूनेस्को द्वारा अंकित है
- अब तक 15 भारतीय तत्वों को यूनेस्को प्रतिनिधि सूची में अंकित किया गया है और भारत तीन कार्यकालों के लिए यूनेस्को अंतर-सरकारी समिति में कार्य कर चुका है।

स्रोत: PIB
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संक्षिप्त समाचार 06-12-2025