वंदे मातरम के 150 वर्ष

पाठ्यक्रम: GS1/आधुनिक इतिहास

संदर्भ

  • भारत अपने राष्ट्रीय गीत, वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ मना रहा है।

वंदे मातरम् के बारे में

  • वंदे मातरम् संस्कृत में बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा रचित किया गया था और सर्वप्रथम 1882 में उपन्यास आनंदमठ में प्रकाशित हुआ।
    • यह उपन्यास 1769–73 के बंगाल अकाल और संन्यासी विद्रोह की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जिसमें औपनिवेशिक विरोधी भावना एवं प्रारंभिक राष्ट्रवादी चेतना का उदय परिलक्षित होता है।
  • 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे सर्वप्रथम सार्वजनिक रूप से गाया, जिससे इसे राष्ट्रीय पहचान मिली।
  • यह गीत मातृभूमि को शक्ति, समृद्धि और दिव्यता के रूप में प्रस्तुत करता है तथा भारत की जागृत होती राष्ट्रीय चेतना को काव्यात्मक स्वर प्रदान करता है।

राष्ट्रीय चेतना का उदय

  • 1905 के स्वदेशी आंदोलन के दौरान वंदे मातरम् नागरिक प्रतिरोध का गान बनकर उभरा।
    • 7 अगस्त 1905 को सर्वप्रथम वंदे मातरम् राजनीतिक नारे के रूप में प्रयोग हुआ।
  • अनेक युवा क्रांतिकारियों के लिए फांसी से पूर्व वंदे मातरम् अंतिम उद्घोष बन गया, जिससे यह गीत बलिदान का प्रतीक बन गया।
  • 1907 में मैडम भिकाजी कामा ने स्टुटगार्ट, बर्लिन में सर्वप्रथम  भारत के बाहर तिरंगा फहराया, जिस पर वंदे मातरम् अंकित था।
  • अक्टूबर 1905 में उत्तर कलकत्ता में बंदे मातरम् संप्रदाय की स्थापना हुई, जिसने मातृभूमि को एक मिशन और धार्मिक भावनाओं के रूप में प्रचारित किया।
  • 1906 में बंदे मातरम् नामक अंग्रेजी दैनिक का प्रकाशन हुआ, जिसके संपादक बिपिन चंद्र पाल थे और बाद में अरविंदो इसके संयुक्त संपादक बने।

राष्ट्रीय गीत

  • स्वतंत्रता के बाद संविधान सभा ने वंदे मातरम् की स्थिति पर विचार किया।
  • 24 जनवरी 1950 को इसके पूर्व दो पदों को भारत का राष्ट्रीय गीत घोषित किया गया।

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के बारे में

  • बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय आधुनिक भारतीय साहित्य के निर्माताओं में से एक थे।
  • एक विशिष्ट उपन्यासकार, कवि और निबंधकार के रूप में उनकी रचनाओं ने आधुनिक बंगाली गद्य के विकास और उभरते भारतीय राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति को गहराई से प्रभावित किया।
  • अन्य प्रमुख कृतियाँ: दुर्गेशनंदिनी (1865), कपालकुंडला (1866), और देवी चौधरानी (1884)।

स्रोत: IE

 

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