पाठ्यक्रम: GS3/पर्यावरण
संदर्भ
- सर्वोच्च न्यायालय ने अपने 16 मई के उस निर्णय को वापस ले लिया है जिसमें एक्स-पोस्ट फैक्टो पर्यावरणीय स्वीकृति (EC) पर प्रतिबंध लगाया गया था — अर्थात् पहले परियोजना शुरू करना और बाद में EC लेना अब मान्य नहीं था।
परिचय
- मई के निर्णय में कहा गया था कि किसी भी रूप में अवैध निर्माण को नियमित करने के लिए पूर्वव्यापी स्वीकृति देना स्पष्ट रूप से अवैध है।
- न्यायालय ने केंद्र सरकार की 2017 की अधिसूचना और 2021 के कार्यालय ज्ञापन (OM) को रद्द कर दिया था, जो वास्तव में एक्स-पोस्ट फैक्टो EC को मान्यता देता था।
- बड़े पैमाने पर सार्वजनिक धन दांव पर: यदि 16 मई का निर्णय बरकरार रहता तो कई पूर्ण/लगभग पूर्ण इमारतों को ध्वस्त कर पुनर्निर्माण करना पड़ता।
- लगभग ₹20,000 करोड़ मूल्य की सार्वजनिक परियोजनाओं को स्वीकृति की समीक्षा न होने पर ध्वस्त करना पड़ता।
- सर्वोच्च न्यायालय ने उस निर्णय को वापस लेते हुए निर्देश दिया है कि इस मुद्दे को नए सिरे से विचार के लिए उपयुक्त पीठ के सामने रखा जाए।
पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA)
- EIA को उस अध्ययन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो प्रस्तावित गतिविधि/परियोजना के पर्यावरण पर प्रभाव का पूर्वानुमान करता है।
- EIA व्यवस्थित रूप से परियोजना के लाभकारी और प्रतिकूल परिणामों की जाँच करता है तथा सुनिश्चित करता है कि इन प्रभावों को परियोजना डिजाइन के दौरान ध्यान में रखा जाए।
- यह प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के उपाय भी सुझाता है।
- महत्व: पर्यावरण की सुरक्षा, संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग और परियोजना के समय व लागत की बचत।
- यह समुदाय की भागीदारी को बढ़ावा देकर, निर्णयकर्ताओं को सूचित करके और पर्यावरणीय रूप से सुदृढ़ परियोजनाओं की नींव रखने में सहायता करके संघर्षों को भी कम करता है।
भारत में EIA
- 1994: पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के अंतर्गत केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (MEF) ने पर्यावरणीय स्वीकृति (EC) को अनिवार्य किया।
- EIA 2006 व्यवस्था: यह उद्योग की स्थापना या विस्तार के लिए अपेक्षित पर्यावरणीय प्रभाव के आधार पर हरित स्वीकृति देने का शासकीय कानूनी साधन है।
- इसने खनन, ताप विद्युत संयंत्र, नदी घाटी, बुनियादी ढाँचा और उद्योगों जैसी विभिन्न परियोजनाओं के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति को अनिवार्य बना दिया।
- हालाँकि, 1994 की अधिसूचना के विपरीत, नए कानून ने परियोजनाओं के आकार/क्षमता के आधार पर स्वीकृति देने की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर डाल दी।
कानूनी और संस्थागत ढाँचा
- EIA अधिसूचनाएँ: पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के अंतर्गत पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा जारी।
- संस्थागत प्राधिकरण:
- केंद्रीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC): श्रेणी A परियोजनाओं (राष्ट्रीय स्तर) के लिए।
- राज्य विशेषज्ञ मूल्यांकन समितियाँ (SEACs): श्रेणी B परियोजनाओं (राज्य स्तर) के लिए।
- राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (SEIAAs): राज्य स्तर पर पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान करती हैं।
परियोजनाओं का वर्गीकरण
- श्रेणी A: राष्ट्रीय स्तर की परियोजनाएँ जिनका महत्वपूर्ण प्रभाव होता है (जैसे बड़े बाँध, प्रमुख राजमार्ग)।
- श्रेणी B1: मध्यम आकार की परियोजनाएँ जिनका क्षेत्रीय प्रभाव होता है।
- श्रेणी B2: छोटे पैमाने की परियोजनाएँ जिनका कम प्रभाव होता है।
चिंताएँ
- 2006 की EIA अधिसूचना का एक सकारात्मक पहलू इसकी गतिशीलता है, जिससे समय की बदलती आवश्यकताओं के अनुसार प्रावधानों और प्रक्रियाओं में बदलाव संभव है।
- हालाँकि, इस कानूनी साधन की यही विशेषता शोषित होती प्रतीत होती है।
- केवल 5 वर्षों में 110 से अधिक बदलाव किए गए — जिनमें से अधिकांश बिना सार्वजनिक परामर्श के।

- इस लचीलापन का दुरुपयोग हुआ है और उद्योगों को स्वीकृति मिल जाती है — भले ही वे प्रदूषण फैलाएँ या पर्यावरण को हानि पहुँचाएँ।
EIA प्रक्रिया को सुधारने के सर्वोत्तम उपाय
- हितों के टकराव से बचने के लिए एक स्वतंत्र EIA प्राधिकरण का निर्माण।
- सार्वजनिक परामर्श को सुदृढ़ करना, विशेषकर स्थानीय भाषाओं में।
- वैज्ञानिक और पारदर्शी आधारभूत डेटा सुनिश्चित करना।
- पर्यावरणीय चिंताओं के आधार पर छूट प्राप्त परियोजनाओं की सूची को नियमित रूप से अद्यतन करना।
Source: IE
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