पाठ्यक्रम: GS2/स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे
संदर्भ
- हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने “राष्ट्रीय कार्य योजना – एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (NAP-AMR)” का दूसरा संस्करण (2025–29) लॉन्च किया।
NAP-AMR 2.0 (2025–29) के बारे में
- यह NAP-AMR 1.0 (2017–2021) की कमियों को दूर करता है, जिसमें निगरानी को बेहतर करना, जन-जागरूकता बढ़ाना, निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना, और नियामक व प्रयोगशाला क्षमता में सुधार शामिल है।
- यह एक सशक्त “वन हेल्थ” दृष्टिकोण अपनाता है, जिसमें मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य, कृषि, खाद्य प्रणालियाँ और पर्यावरण के बीच समन्वय शामिल है।
- इसमें 20 से अधिक मंत्रालय शामिल हैं, जिनके लिए स्पष्ट समय-सीमा और समर्पित बजट तय किए गए हैं।
एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) क्या है?
- एंटीमाइक्रोबियल्स (जैसे एंटीबायोटिक्स, एंटीवायरल्स, एंटिफंगल्स और एंटिपैरासिटिक्स) का उपयोग मनुष्यों, पशुओं और पौधों में संक्रमण के उपचार के लिए किया जाता है।
- एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) तब होता है जब रोगजनक एंटीमाइक्रोबियल्स पर प्रतिक्रिया देना बंद कर देते हैं, जिससे संक्रमण का इलाज कठिन हो जाता है और रोग फैलने, बीमारी, विकलांगता एवं मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है।
- यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसे मनुष्यों, पशुओं और पौधों में एंटीमाइक्रोबियल्स के दुरुपयोग एवं अति-उपयोग से तेज किया जाता है।
AMR का भार
- वैश्विक स्तर पर, AMR ने 2019 में 4.95 मिलियन मृत्युओं में योगदान दिया और 2050 तक यह 10 मिलियन मृत्युओं तक पहुँचने की संभावना है।
- भारत में, 2019 में AMR के कारण 2,97,000 मृत्यु हुईं और 2050 तक यह संख्या 2 मिलियन तक पहुँचने की संभावना है।
- लैंसेट की एक रिपोर्ट में कहा गया कि 80% से अधिक भारतीय मरीज बहु-औषधि प्रतिरोधी जीवाणु (MDROs) वहन करते हैं, जो विश्व में सबसे अधिक है।
AMR से जुड़ी चुनौतियाँ
- मनुष्यों, पशुधन, पोल्ट्री और मत्स्य पालन में एंटीबायोटिक्स का अत्यधिक दुरुपयोग।
- नियमों के बावजूद एंटीबायोटिक्स की आसान “ओवर द काउंटर (OTC)” उपलब्धता।
- कई राज्यों में सूक्ष्मजीव परीक्षण और निगरानी के लिए कमजोर प्रयोगशाला नेटवर्क।
- छोटे अस्पतालों में कम प्रिस्क्रिप्शन ऑडिट और एंटीमाइक्रोबियल स्टेवार्डशिप का खराब कार्यान्वयन।
- औषधि अपशिष्ट और अस्पताल के अपशिष्ट से एंटीमाइक्रोबियल अवशेषों के कारण पर्यावरण प्रदूषण।
- ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित जन-जागरूकता।
- “वन हेल्थ” ढाँचे के बावजूद मंत्रालयों के बीच बिखरा हुआ समन्वय।
संबंधित प्रयास और कदम
- 2010: AMR नियंत्रण हेतु राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन।
- 2011: AMR नियंत्रण पर राष्ट्रीय नीति जारी।
- 2017: AMR पर पहली राष्ट्रीय कार्य योजना (2017–21) लॉन्च की गई, जो WHO की “ग्लोबल एक्शन प्लान (GAP)” से जुड़ी थी।
- रेड लाइन अभियान: केवल प्रिस्क्रिप्शन वाली एंटीबायोटिक्स पर लाल रेखा लगाई गई ताकि दुरुपयोग रोका जा सके।
- ICMR पहलें: अस्पतालों में एंटीबायोटिक स्टेवार्डशिप कार्यक्रम (ASPs) को बढ़ावा देना।
Source: PIB
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