संशोधित उड़ान क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना
पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
समाचार में
- सरकार ने संशोधित उड़ान (UDAN) क्षेत्रीय वायु संपर्क योजना के लिए ₹30,000 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित किया है, ताकि इसे अप्रैल 2027 के बाद भी जारी रखा जा सके।
- इसमें से ₹18,000 करोड़ नए हवाई अड्डों के विकास के लिए और ₹12,000 करोड़ वायबिलिटी गैप फंडिंग (VGF) के लिए निर्धारित किए गए हैं, ताकि कम सेवा वाले क्षेत्रों को जोड़ने वाली एयरलाइनों को समर्थन मिल सके।
उड़ान योजना के बारे में
- उड़ान योजना अक्टूबर 2016 में राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति के अंतर्गत 10 वर्ष की अवधि के लिए शुरू की गई थी।
- इसका उद्देश्य हवाई यात्रा को सुलभ बनाना और क्षेत्रीय वायु संपर्क को बढ़ावा देना था, जिसके लिए एयरलाइनों को दूरस्थ मार्गों पर सेवा देने हेतु प्रोत्साहित किया गया।
- इसका लक्ष्य टियर-2 और टियर-3 शहरों को एक बाजार-आधारित लेकिन वित्तीय रूप से समर्थित मॉडल के माध्यम से जोड़ना था।
- प्रथम उड़ान अप्रैल 2017 में शिमला और दिल्ली के बीच शुरू की गई।
प्रगति
- उड़ान ने 915 मार्गों में से 649 को चालू किया है, जिससे 93 हवाई अड्डे, 15 हेलीपोर्ट और 2 वाटर एयरोड्रोम जुड़े हैं।
- इस योजना के अंतर्गत 3.23 लाख से अधिक उड़ानों के माध्यम से 1.56 करोड़ यात्रियों को सेवा दी गई।
- हालाँकि, भूमि, तकनीकी बाधाओं और विमान उपलब्धता जैसी चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं।
विस्तार
- विस्तारित ढाँचे का लक्ष्य 120 और गंतव्यों को जोड़ना, आगामी दशक में 4 करोड़ यात्रियों की यात्रा को सक्षम बनाना और पहाड़ी, आकांक्षी तथा पूर्वोत्तर जिलों में पहुँच को बढ़ावा देना है।
- यह निजी भागीदारी को भी प्रोत्साहित करेगा, हवाई अड्डा विकास में देरी को दूर करेगा और क्षेत्रीय विमानन को एक बाजार-आधारित बोली मॉडल के माध्यम से सुदृढ़ करेगा।
Source:BL
अर्थ सिस्टम साइंसेज़ काउंसिल
पाठ्यक्रम: GS2/शासन
संदर्भ
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के 5 संस्थानों को औपचारिक रूप से एकीकृत ढाँचे के अंतर्गत लाया गया है, पाँच अलग-अलग सोसाइटियों को मिलाकर एक नई इकाई बनाई गई है जिसे “अर्थ सिस्टम साइंसेज़ काउंसिल” (ESSC) कहा जाता है।
परिचय
- उद्देश्य: शासन को सुव्यवस्थित करना और बदलते जलवायु, अनियमित मानसून तथा पिघलते ध्रुवीय क्षेत्रों से उत्पन्न वैज्ञानिक एवं मानवीय समस्याओं का सामूहिक रूप से समाधान करना।
- विलय किए गए संस्थान:
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटियोरोलॉजी (IITM), पुणे
- नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च (NCPOR), गोवा
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT), चेन्नई
- नेशनल सेंटर फॉर अर्थ साइंस स्टडीज़ (NCESS), तिरुवनंतपुरम
- इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इन्फॉर्मेशन एंड सर्विसेज (INCOIS), हैदराबाद
- अर्थ सिस्टम साइंस ऑर्गनाइजेशन में दो अधीनस्थ कार्यालय शामिल हैं:
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD)
- राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF)
- ESSC को 2023 में एक निकाय के रूप में औपचारिक रूप से पंजीकृत किया गया।
- MoES सचिव ESSC का प्रमुख होगा और पृथ्वी विज्ञान मंत्री ESSC के अध्यक्ष के रूप में कार्य करेंगे।
- इसका उद्देश्य सरकार के व्यापक दृष्टिकोण “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” को समर्थन देना है।
Source: PIB
युवा एआई फॉर ऑल(‘YUVA AI for ALL’)
पाठ्यक्रम: GS3/ विज्ञान और प्रौद्योगिकी
समाचार में
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने IndiaAI मिशन के अंतर्गत ‘YUVA AI for ALL’ नामक एक अनोखा मुफ्त पाठ्यक्रम शुरू किया है, जो सभी भारतीयों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की दुनिया से परिचित कराता है।
परिचय
- यह एक छोटा, 4.5 घंटे का स्व-गति (self-paced) पाठ्यक्रम है, जिसे छात्रों, पेशेवरों और अन्य जिज्ञासु शिक्षार्थियों को AI की मूलभूत जानकारी से सहज बनाने तथा यह दिखाने के लिए तैयार किया गया है कि यह दुनिया को कैसे बदल रहा है।
- इसका उद्देश्य 1 करोड़ (10 मिलियन) नागरिकों को बुनियादी AI कौशल से सशक्त बनाना है — जिससे डिजिटल अंतर को समाप्त किया जा सके, नैतिक AI अपनाने को बढ़ावा मिले और भारत के कार्यबल को भविष्य के लिए तैयार किया जा सके।
IndiaAI मिशन
- IndiaAI एक व्यापक पहल है जिसका उद्देश्य स्वदेशी AI मॉडल विकसित करना, कंप्यूटर अवसंरचना का विस्तार करना, खुले डेटा सेट उपलब्ध कराना, AI स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करना और विभिन्न क्षेत्रों में जिम्मेदार AI प्रथाओं को बढ़ावा देना है।
Source: IE
हनोई कन्वेंशन
पाठ्यक्रम: GS3/साइबर सुरक्षा
संदर्भ
- 72 देशों ने हनोई में संयुक्त राष्ट्र साइबर अपराध विरोधी कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य साइबर अपराध से निपटना है।
परिचय
- उद्देश्य: यह कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और उन देशों को तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए एक विधायी ढाँचा प्रस्तावित करता है जिनके पास साइबर अपराध से निपटने के लिए पर्याप्त अवसंरचना नहीं है।
- प्रथम सार्वभौमिक कन्वेंशन: यह कन्वेंशन साइबर अपराध की जाँच और अभियोजन के लिए प्रथम सार्वभौमिक ढाँचा स्थापित करता है।
- कानूनी रूप से बाध्यकारी: संयुक्त राष्ट्र साइबर अपराध कन्वेंशन एक शक्तिशाली, कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन है।
- स्वीकृति: इसे पाँच वर्षों की वार्ता के बाद 2024 में महासभा द्वारा अपनाया गया।
- हस्ताक्षर प्रक्रिया आगामी वर्ष तक खुली रहने की संभावना है।
- मुख्य प्रावधान: यह निम्न प्रकार के अपराधों को अपराध घोषित करता है:
- साइबर-निर्भर अपराध: अनधिकृत पहुँच (हैकिंग), डेटा हस्तक्षेप।
- साइबर-सक्षम अपराध: ऑनलाइन धोखाधड़ी, निजी छवियों का बिना सहमति प्रसार।
- बाल शोषण: ऑनलाइन यौन शोषण, शोषण सामग्री का वितरण, प्रलोभन/गूमिंग।
- यह सीमाओं के पार इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य साझा करने की सुविधा देता है और राज्यों के बीच 24/7 सहयोग नेटवर्क स्थापित करता है।
- यह इतिहास रचता है क्योंकि यह प्रथम अंतरराष्ट्रीय संधि है जिसने निजी छवियों के बिना सहमति प्रसार को अपराध के रूप में मान्यता दी है — ऑनलाइन शोषण के पीड़ितों के लिए एक महत्वपूर्ण जीत।
- प्रवर्तन: यह 40वें राज्य द्वारा अनुमोदन जमा करने के 90 दिन बाद लागू होगा।
- राज्यों की पार्टियों का सम्मेलन: लागू होने के बाद, राज्यों की पार्टियों का सम्मेलन समय-समय पर आयोजित किया जाएगा ताकि राज्यों की क्षमता और सहयोग को बेहतर बनाया जा सके।
- सचिवालय: संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ और अपराध कार्यालय (UNODC) एड हॉक समिति और भविष्य के राज्यों की पार्टियों के सम्मेलन के लिए सचिवालय के रूप में कार्य करता है।
Source: ORF
पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम (PPV&FRA अधिनियम)
पाठ्यक्रम: GS3/कृषि
संदर्भ
- केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार पौध किस्म संरक्षण और किसान अधिकार अधिनियम (PPV&FRA Act) में संशोधन करेगी, जिसमें हितधारकों के सुझावों को शामिल किया जाएगा।
परिचय
- एक समिति, जिसकी अध्यक्षता प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक आर.एस. परोड़ा कर रहे हैं और जिसे पौध किस्म संरक्षण एवं किसान अधिकार प्राधिकरण (PPVFRA) ने नियुक्त किया है, ने संशोधनों पर हितधारकों से परामर्श शुरू कर दिया है।
- समिति अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों की समीक्षा करेगी ताकि अंतर्निहित कमियों, वर्तमान चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए किसानों के हितों को सुदृढ़ किया जा सके।
पौध किस्म संरक्षण और किसान अधिकार अधिनियम (PPV&FRA Act), 2001
- उद्देश्य: पौध किस्मों के संरक्षण, किसानों और पौध प्रजनकों के अधिकारों की रक्षा तथा पौधों की नई किस्मों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए एक प्रभावी प्रणाली की स्थापना करना।
- यह कानून वाणिज्यिक पौध प्रजनकों और किसानों दोनों के योगदान को मान्यता देता है और सभी हितधारकों के विशिष्ट सामाजिक-आर्थिक हितों को समर्थन देने के लिए TRIPs को लागू करने का प्रावधान करता है।
महत्व
- नवाचार और किसानों के पारंपरिक अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करता है।
- कृषि-जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देता है।
- ग्रामीण आजीविका की रक्षा करते हुए बीज उद्योग की वृद्धि को प्रोत्साहित करता है।
संशोधन
- ‘किस्म की आवश्यकता’ की परिभाषा में संशोधन का प्रस्ताव है, जिसमें ‘जीनोटाइप्स के संयोजन’ को शामिल किया जा सकता है ताकि यह 2019 के ड्राफ्ट सीड्स बिल के अनुरूप हो सके।
- ‘प्रजनक’ की परिभाषा में प्रयुक्त “संस्थान” शब्द को परिभाषित करने का प्रस्ताव है, ताकि इसमें बीज क्षेत्र के सार्वजनिक और निजी दोनों प्रतिष्ठान शामिल हों।
- “दुरुपयोगी कृत्य” को परिभाषित करने पर चर्चा हो रही है, ताकि ऐसे कार्य—जैसे किसी किस्म का उत्पादन, बिक्री, विपणन, निर्यात और आयात करना, जिसका नाम किसी अन्य किस्म से समान या एक जैसा हो—को दंडनीय बनाया जा सके।
Source: TH
भारत की डुगोंग (सी काउ) संकटग्रस्त हैं
पाठ्यक्रम: GS3/समाचार में प्रजातियाँ
समाचार में
- अबू धाबी में आयोजित IUCN संरक्षण कांग्रेस में जारी एक हालिया रिपोर्ट ने भारत की डुगोंग जनसंख्या पर बढ़ते खतरे की चेतावनी दी है।
डुगोंग के बारे में
- डुगोंग (वैज्ञानिक नाम: Dugong dugon) समुद्री स्तनधारी हैं जिन्हें प्रायः “सी काउ” कहा जाता है, क्योंकि इनका स्वभाव धीमा, शांत और शाकाहारी होता है।

- डुगोंग गर्म, उथले तटीय जल में पाए जाते हैं, जो पश्चिमी प्रशांत महासागर से लेकर हिंद महासागर और अफ्रीका के पूर्वी तट तक फैले हैं, जिसमें लाल सागर एवं फारस की खाड़ी भी शामिल हैं।
- डुगोंग को भोजन के लिए स्वस्थ सीग्रास (समुद्री घास) मैदानों की आवश्यकता होती है; ये क्षेत्र इनके प्रजनन और संतानोत्पत्ति के लिए भी महत्वपूर्ण आवास होते हैं।
- इन्हें वैश्विक स्तर पर “असुरक्षित (Vulnerable)” श्रेणी में रखा गया है और भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-I के अंतर्गत संरक्षित किया गया है।
- भारत में डुगोंग की प्रमुख जनसंख्या कच्छ की खाड़ी, मन्नार की खाड़ी, पाल्क खाड़ी और अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह के तटों पर पाई जाती है।
- इनके लिए प्रमुख खतरे हैं: तटीय विकास के कारण आवास का विनाश, मछली पकड़ने के जाल में फँसना, नावों से टकराव, प्रदूषण और कम प्रजनन दर।
भारत में संरक्षण प्रयास
- डुगोंग संरक्षण रिज़र्व: भारत ने तमिलनाडु के पाल्क खाड़ी में प्रथम डुगोंग संरक्षण रिज़र्व स्थापित किया है, जिसे IUCN ने वैश्विक समुद्री जैव विविधता संरक्षण मॉडल के रूप में मान्यता दी है।
- राष्ट्रीय डुगोंग पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम: तमिलनाडु, गुजरात और अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह के सहयोग से शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य आवासों की रक्षा करना और डुगोंग संरक्षण को बढ़ावा देना है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारत के प्रयास CITES और प्रवासी प्रजातियों पर कन्वेंशन (CMS) जैसे वैश्विक संरक्षण ढाँचों के अनुरूप हैं।
Source :IE
जिन्कगो-दांतेदार चोंच वाली व्हेल
पाठ्यक्रम: GS3/समाचार में प्रजातियाँ
समाचार में
- वैज्ञानिकों की एक टीम ने प्रथम बार गिंको-दाँत वाली चोंचदार व्हेल (ginkgo-toothed beaked whales) को मैक्सिको के बाजा कैलिफ़ोर्निया तट पर जंगली में देखा है।
गिंको-दाँत वाली चोंचदार व्हेल (Mesoplodon ginkgodens)
- ये 24 प्रजातियों वाली चोंचदार व्हेल में से एक हैं, जो डॉल्फ़िन के बाद दूसरी सबसे विविध सिटेशियन समूह हैं।
- चोंचदार व्हेल पृथ्वी पर सबसे गहरे गोता लगाने वाले स्तनधारी हैं। वे अपना अधिकांश जीवन महासागरों में बिताती हैं और केवल कुछ मिनटों के लिए वायु लेने सतह पर आती हैं, सामान्यतः तटों से बहुत दूर।
- नर सामान्यतः गहरे नीले-काले रंग के होते हैं जिनके पेट पर सफेद धब्बे और चकत्ते होते हैं, जबकि मादाएँ मध्यम-भूरे रंग की होती हैं जिनके पेट हल्के रंग के होते हैं।
- ये पश्चिमी प्रशांत महासागर के उष्णकटिबंधीय और गर्म-समशीतोष्ण जल में पाई जाती हैं तथा माना जाता है कि ये मुख्य रूप से गहरे, अपतटीय जल में रहती हैं।
- ये दुर्लभ और कम अध्ययन की गई प्रजाति हैं; इनके बारे में अधिकांश जानकारी दुर्लभ तट पर फँसने (stranding) की घटनाओं से आती है।
- IUCN रेड सूची वर्गीकरण में इन्हें डेटा डेफिशिएंट (Data Deficient) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
Source :IE
लीडआईटी (LeadIT)
पाठ्यक्रम: GS3/ पर्यावरण
समाचार में
- COP30 में बेलें, ब्राज़ील में भारत के केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने LeadIT इंडस्ट्री लीडर्स’ राउंडटेबल को संबोधित किया और कम-कार्बन औद्योगिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने में भारत की भूमिका को पुनः पुष्टि की।
LeadIT के बारे में
- प्रारंभ: 2019 में भारत और स्वीडन द्वारा संयुक्त रूप से, विश्व आर्थिक मंच के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में लॉन्च किया गया।
- उद्देश्य: इस्पात, सीमेंट, एल्युमिनियम, रसायन और भारी परिवहन जैसी उच्च-उत्सर्जन तथा कठिन-से-नियंत्रित उद्योगों को 2050 तक नेट-जीरो की ओर ले जाने के लिए संक्रमण को तीव्र करना।
- यह औद्योगिक डीकार्बोनाइजेशन पर विशेष रूप से केंद्रित प्रथम वैश्विक उच्च-स्तरीय पहलों में से एक था।
- LeadIT 2.0 (2024–2026): COP28 (दुबई) में आयोजित LeadIT शिखर सम्मेलन के दौरान अपनाया गया। LeadIT 2.0 का उद्देश्य संवाद से क्रियान्वयन की ओर बढ़ना है।
Source: AIR