पाठ्यक्रम: GS3/खाद्य सुरक्षा
संदर्भ
- विगत चार से पाँच महीनों में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के अंतर्गत मुफ्त मासिक राशन योजना से लगभग 2.25 करोड़ अपात्र लाभार्थियों को हटा दिया है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 का अवलोकन
- यह कल्याण-आधारित दृष्टिकोण से अधिकार-आधारित ढाँचे की ओर परिवर्तन को दर्शाता है, क्योंकि भोजन का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जीवन के अधिकार में निहित है।
- इसका उद्देश्य भारत की बड़ी जनसंख्या को सब्सिडी वाले खाद्यान्न उपलब्ध कराना है। 2011 की जनगणना के आधार पर लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के अंतर्गत लगभग 81.35 करोड़ लोग शामिल हैं। इसमें शामिल हैं:
- ग्रामीण जनसंख्या का 75% तक;
- शहरी जनसंख्या का 50% तक।
- लाभार्थियों की श्रेणियाँ: अधिनियम लाभार्थियों को दो मुख्य समूहों में बाँटता है:
- अंत्योदय अन्न योजना (AAY) परिवार: प्रति माह 35 किलो खाद्यान्न पाने के हकदार।
- प्राथमिकता परिवार (PHH) व्यक्ति: प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो खाद्यान्न पाने के हकदार।
- वर्तमान में गरीब परिवारों को इन श्रेणियों के अंतर्गत प्रत्येक महीने मुफ्त खाद्यान्न (गेहूँ और चावल) वितरित किया जाता है।
वितरण का पैमाना
- भारत में वर्तमान में 19 करोड़ से अधिक राशन कार्ड धारक हैं और राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 5 लाख उचित मूल्य की दुकानें संचालित हो रही हैं।
- यह विशाल नेटवर्क प्रत्येक महीने लाखों नागरिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- यह सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के वर्तमान ढाँचे का उपयोग करता है और मध्याह्न भोजन योजना तथा एकीकृत बाल विकास सेवाओं (ICDS) जैसी योजनाओं को भी जोड़ता है।
केवल ‘वास्तविक’ लाभार्थियों को लक्षित करना
- सरकार का उद्देश्य NFSA को अधिक केंद्रित और पारदर्शी बनाना है, ताकि केवल वास्तविक लाभार्थी—जो वास्तव में सहायता के पात्र हैं—को ही लाभ मिले।
- खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने विभिन्न मानदंडों का उपयोग करके अपात्र व्यक्तियों की पहचान की और सत्यापन व विलोपन के लिए सूचियाँ राज्य सरकारों को साझा कीं।
- अपात्र नामों की पहचान और हटाने के लिए डेटा त्रिकोणीयकरण एवं आधार-आधारित सत्यापन का उपयोग किया गया।
- हटाने के प्रमुख कारणों में शामिल थे:
- चार पहिया वाहन का स्वामित्व;
- पात्रता सीमा से अधिक आय;
- कंपनी निदेशक पद;
- मृत लाभार्थियों का अभी भी सूची में होना।
निरंतर सत्यापन और अद्यतन
- लाभार्थियों की पहचान, राशन कार्ड जारी करना और नियमित अद्यतन करना राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जिम्मेदारी है।
- अपात्र लाभार्थियों को हटाना और नए पात्रों को शामिल करना एक सतत प्रक्रिया है।
- जुलाई 2025 तक केंद्र सरकार ने संसद को सूचित किया कि 81.35 करोड़ लाभार्थियों के लक्ष्य के विरुद्ध केवल 80.56 करोड़ की पहचान हुई है—जिससे 0.79 करोड़ और लाभार्थियों को जोड़े जाने की संभावना बनी हुई है।
वृहत्तर प्रभाव
- राजकोषीय रिसाव को कम करना और सब्सिडी का बेहतर लक्ष्यीकरण;
- अन्य कल्याणकारी कार्यक्रमों के लिए संसाधन मुक्त करना;
- सरकारी योजनाओं में जनता का विश्वास बढ़ाना।
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