पाठ्यक्रम: GS3/आंतरिक सुरक्षा
समाचार में
- “व्हाइट-कॉलर आतंकवाद” शब्द ने हाल ही में मुख्यधारा मीडिया और जन विमर्श में अचानक लोकप्रियता प्राप्त की है, दिल्ली लाल किला विस्फोट के बाद जिसमें जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े कट्टरपंथी डॉक्टर शामिल थे।
व्हाइट-कॉलर आतंकवाद क्या है?
- व्हाइट-कॉलर आतंकवाद उन आतंकवादी गतिविधियों को संदर्भित करता है जिन्हें अत्यधिक शिक्षित पेशेवरों — जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, आईटी विशेषज्ञ — द्वारा अंजाम दिया जाता है, जो अपनी विशेषज्ञता, सामाजिक नेटवर्क और समाज में विश्वसनीय पदों का उपयोग करके आतंकवादी योजनाओं, समर्थन और क्रियान्वयन को संचालित करते हैं।
- पारंपरिक आतंकवादियों के विपरीत, ये व्यक्ति पेशेवर या शैक्षणिक वातावरण में गुप्त रूप से कार्य कर सकते हैं, जिससे लॉजिस्टिक्स, सामग्री की खरीद, कट्टरपंथीकरण, भर्ती और यहाँ तक कि संचालनात्मक क्रियान्वयन भी कम संदेह के साथ संभव हो जाता है।
व्हाइट-कॉलर आतंकवाद के बढ़ने के कारण
- पेशेवरों का वैचारिक कट्टरपंथीकरण: शिक्षित व्यक्तियों की बढ़ती संख्या को आतंकवादी समूह वैचारिक कथाओं के माध्यम से निशाना बना रहे हैं, प्रायः ऑनलाइन इको-चैम्बर्स और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के जरिए।
- आतंकी नेटवर्क का रणनीतिक बदलाव: आतंकवादी संगठन जानबूझकर व्हाइट-कॉलर पेशेवरों की भर्ती कर रहे हैं ताकि वे विशेष कौशल, संवेदनशील संसाधनों (प्रयोगशालाएँ, वित्त, सूचना) और व्यापक सामाजिक नेटवर्क तक पहुँच प्राप्त कर सकें।
- सामाजिक और धार्मिक शिकायतें: शिक्षित व्यक्ति जो सामाजिक या धार्मिक अलगाव, अपमान या कथित अन्याय महसूस करते हैं, उन्हें उग्रवादी विचारधाराएँ आसानी से प्रभावित कर सकती हैं।
- कमजोर संस्थागत सतर्कता: शैक्षणिक केंद्रों, अस्पतालों और कॉर्पोरेट कार्यालयों में पारंपरिक रूप से विनाशक गतिविधियों पर कम निगरानी होती है, जिससे व्हाइट-कॉलर आतंकवादियों को आसान संचालनात्मक वातावरण मिलता है।
- तकनीकी परिष्कार: साइबर फॉरेंसिक और खुफिया एजेंसियों को तीव्र तकनीकी प्रगति के साथ सामंजस्यशील बनाने में कठिनाई होती है।
भारत की आतंकवाद-रोधी रणनीति
- विशेषीकृत एजेंसियाँ: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), अनुसंधान एवं विश्लेषण विंग (RAW), और एंटी-टेररिज्म स्क्वाड्स (ATS) जैसी विशिष्ट इकाइयों का गठन।
- कानूनी ढाँचे: आतंकवाद-रोधी कानूनों का अधिनियमन और समय-समय पर सुदृढ़ीकरण, विशेष रूप से “गैरकानूनी गतिविधियाँ (निवारण) अधिनियम (UAPA)”, जिससे एजेंसियों को निवारक हिरासत, जांच एवं अभियोजन की शक्तियाँ मिलती हैं।
- संस्थागत ऑडिट और क्षमता निर्माण: अस्पतालों, विश्वविद्यालयों और आईटी पार्कों में सुरक्षा ऑडिट; कर्मचारियों को संदिग्ध गतिविधियों और कट्टरपंथीकरण संकेतकों की पहचान के लिए प्रशिक्षित करना।
- साइबर निगरानी और तकनीकी उन्नयन: उन्नत साइबर फॉरेंसिक, एआई-आधारित खतरा पहचान और एन्क्रिप्टेड ऐप्स व वित्तीय लेन-देन की निगरानी में निवेश।
- सामुदायिक भागीदारी और प्रतिकट्टरपंथीकरण: परामर्श, जागरूकता कार्यक्रम और नागरिक समाज के साथ साझेदारी के माध्यम से कट्टरपंथीकरण विरोधी पहल।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: सीमा-पार तत्वों और जटिल वित्तीय चैनलों का सामान करने के लिए वैश्विक साझेदारों के साथ खुफिया जानकारी और सर्वोत्तम प्रथाओं को सामना करना।
- प्रतिकारात्मक प्रतिक्रियाएँ: जैसे सर्जिकल स्ट्राइक (2016) और ऑपरेशन सिंदूर (2025)।
Source :FP
Previous article
AMR 2.0 पर राष्ट्रीय कार्य योजना शुरू की गई
Next article
NFSA सूची से अपात्र लाभार्थियों को हटाना