वैश्विक दक्षिण को एकजुट होकर कार्य करना चाहिए: विदेश मंत्री

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संदर्भ

  • न्यूयॉर्क में 80वें संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के अवसर पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वैश्विक दक्षिण एकजुटता को सुदृढ़ करने तथा संयुक्त राष्ट्र सुधारों के लिए सामूहिक प्रयास का आह्वान किया।

परिचय 

  • उन्होंने वैश्विक दक्षिण देशों के बीच एक संयुक्त दृष्टिकोण की मांग की, जो निष्पक्ष और पारदर्शी आर्थिक प्रथाओं, लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं, तथा दक्षिण-दक्षिण व्यापार, निवेश व तकनीकी सहयोग पर आधारित हो।
  • भारत को विकसित देशों और वैश्विक दक्षिण के बीच एक सेतु के रूप में प्रस्तुत किया गया, जिसमें वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन (2023) और G20 अध्यक्षता (2023) जैसी पहलों में इसकी नेतृत्व भूमिका को रेखांकित किया गया।

वैश्विक दक्षिण

  • “वैश्विक दक्षिण” शब्द को 1969 में अमेरिकी राजनीतिक कार्यकर्ता कार्ल ओग्लेसबी ने गढ़ा था।
    • उन्होंने इस शब्द का उपयोग उन देशों के लिए किया जो विकसित देशों द्वारा राजनीतिक और आर्थिक शोषण का सामना कर रहे थे। 
  • सरल शब्दों में, वैश्विक दक्षिण एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और ओशिनिया के देशों को संदर्भित करता है।
    • इनमें से अधिकांश देशों ने औपनिवेशिक शासन का अनुभव किया और ऐतिहासिक रूप से औद्योगीकरण के पर्याप्त स्तर प्राप्त करने में पिछड़ गए।
वैश्विक दक्षिण
  • संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन के अनुसार, वैश्विक दक्षिण के देशों में सामान्यतः निम्न विकास स्तर, उच्च आय असमानता, तीव्र जनसंख्या वृद्धि, कृषि-प्रधान अर्थव्यवस्थाएं, निम्न जीवन गुणवत्ता, कम जीवन प्रत्याशा और बाहरी निर्भरता देखी जाती है।

वैश्विक दक्षिण द्वारा सामना की गई चुनौतियाँ

  • आर्थिक: विश्व बैंक के 2023 के आंकड़ों के अनुसार, उप-सहारा अफ्रीका में प्रति व्यक्ति औसत GDP लगभग $1,623 था, जबकि उत्तर अमेरिका में यह $79,640 था।
    • यह भारी अंतर वैश्विक दक्षिण की आर्थिक चुनौतियों को प्रदर्शित करता है।
  • कृषि पर निर्भरता: इन क्षेत्रों की अर्थव्यवस्थाएं प्रायः कृषि और कच्चे माल के निर्यात पर अत्यधिक निर्भर होती हैं, जिससे वे वैश्विक बाजार में उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशील हो जाती हैं।
  • बुनियादी ढांचे की चुनौतियाँ: जैसे कि कमजोर आधारभूत संरचना, अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं और सीमित शैक्षिक अवसर, आर्थिक असमानताओं को बढ़ाते हैं।
  • औपनिवेशिक विरासत: सामाजिक-आर्थिक असमानताओं, प्रणालीगत भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता के रूप में आज भी उपस्थित हैं।
  • राजनीतिक चुनौतियाँ: कई वैश्विक दक्षिण देश शासन, भ्रष्टाचार और आंतरिक संघर्षों से जूझते हैं, जहां अधिनायकवादी शासन उनके विकास पथ एवं अंतरराष्ट्रीय स्थिति को जटिल बनाते हैं।

वैश्विक व्यवस्था में वैश्विक दक्षिण का महत्व

  • जनसांख्यिकीय महत्व: वैश्विक दक्षिण में विश्व की अधिकांश जनसंख्या निवास करती है, जहां कई देशों को जनसांख्यिकीय लाभ मिल रहा है — युवा और बढ़ती जनसंख्या जो नवाचार, श्रम बल विस्तार एवं उपभोक्ता मांग को बढ़ावा देती है।
  • आर्थिक केंद्र: वैश्विक दक्षिण लगभग 40% वैश्विक व्यापार, विश्व के आधे विनिर्माण उत्पादन और उच्च तकनीक उत्पादों का महत्वपूर्ण हिस्सा प्रदान करता है।
    • इन देशों में तेजी से शहरीकरण और बढ़ता मध्यम वर्ग वस्तुओं और सेवाओं के लिए नए बाजार बना रहा है, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में इनका प्रभाव मजबूत हो रहा है।
  • विश्व व्यवस्था में बहुध्रुवीयता का निर्माण: उत्तर-दक्षिण विभाजन का प्रतिकार करता है और एकध्रुवीय प्रभुत्व को चुनौती देता है।
    • ये देश अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता और अन्य शक्ति प्रतिस्पर्धाओं में संतुलनकारी भूमिका निभाते हैं।

भारत वैश्विक दक्षिण की आवाज़ क्यों बनकर उभरा है?

  • ऐतिहासिक भूमिका: भारत ने लंबे समय से विकासशील देशों की आवाज़ उठाई है — गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM), बांडुंग सम्मेलन (1955), और G77 के माध्यम से शीत युद्ध के दौरान वैश्विक दक्षिण के सामूहिक हितों का प्रतिनिधित्व किया।
    •  “वसुधैव कुटुंबकम” की सभ्यतागत भावना वैश्विक दक्षिण की एकजुटता के साथ सामंजस्यशील है।
  • आर्थिक वृद्धि और विकास अनुभव: भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और सबसे तीव्रता से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है, जो अन्य वैश्विक दक्षिण देशों को प्रेरित करती है।
    • भारत की सहायता-प्राप्त देश से सहायता-दाता और विकास भागीदार बनने की यात्रा इसे अन्य देशों के लिए प्रासंगिक बनाती है।
  • जलवायु और वैश्विक न्याय का समर्थन: भारत जलवायु न्याय और सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों (CBDR) का मुखर समर्थक रहा है।
    • यह नवीकरणीय ऊर्जा, हरित विकास, पर्यावरण के लिए जीवनशैली (LiFE) में अग्रणी है, जो वैश्विक दक्षिण की प्राथमिकताओं से सामंजस्यशील है।
  • राजनयिक और बहुपक्षीय भूमिका: भारत ने G20 अध्यक्षता (2023) के दौरान वैश्विक दक्षिण को केंद्र में रखा और वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन की शुरुआत की। भारत ने अफ्रीकी संघ को स्थायी G20 सदस्य के रूप में शामिल करने का समर्थन किया।
  • रणनीतिक स्वायत्तता और विश्वसनीय आवाज़: भारत स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करता है जो किसी भी गुट से संबद्ध नहीं है और पश्चिम व वैश्विक दक्षिण दोनों द्वारा विश्वसनीय माना जाता है।
    • वैश्विक उत्तर में सुदृढ़ भारतीय प्रवासी की उपस्थिति वैश्विक दक्षिण की चिंताओं को वैश्विक मंच पर उठाने में सहायता करती है।

भारत द्वारा सामना की गई चुनौतियाँ

  • घरेलू विकास अंतराल: चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद भारत गरीबी, बेरोजगारी, स्वास्थ्य और शिक्षा की कमी जैसी समस्याओं का सामना करता है।
  • संसाधन और वित्तीय सीमाएं: भारत के पास चीन की तुलना में बड़े पैमाने पर सहायता, रियायती वित्त या बुनियादी ढांचा निवेश प्रदान करने की सीमित क्षमता है।
    • दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए निरंतर वित्तीय समर्थन की आवश्यकता होती है, जो भारत के बजट पर दबाव डालता है।
  • भू-राजनीतिक दबाव: भारत को अमेरिका, यूरोपीय संघ, रूस, चीन के साथ अपने संबंधों को संतुलित करना होता है, जबकि वह वैश्विक दक्षिण का प्रतिनिधित्व करता है।
    • पश्चिमी गुट IMF, UNSC, WTO में सुधारों का विरोध कर सकता है, जहां भारत वैश्विक दक्षिण की मांगों का समर्थन करता है। 
    • अमेरिका–चीन, रूस–पश्चिम की रणनीतिक प्रतिद्वंद्विताएं वैश्विक दक्षिण को विभिन्न दिशाओं में विभाजित करती हैं, जिससे भारत का प्रभाव कम होता है।
  • चीन से प्रतिस्पर्धा: चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) और बड़े वित्तीय निवेश उसे अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका में अधिक प्रभावशाली बनाते हैं।
    • कई वैश्विक दक्षिण देश चीन को उसके वित्तीय प्रभाव के कारण अधिक तात्कालिक विकास भागीदार मानते हैं।
  • सुरक्षा और स्थिरता संबंधी चिंताएं: पाकिस्तान और चीन के साथ क्षेत्रीय तनाव, आतंकवाद और सीमा विवाद भारत के वैश्विक नेतृत्व पर ध्यान केंद्रित करने में बाधा डालते हैं।

भारत की वैश्विक दक्षिण के लिए पहलें

  • गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM): 1961 में स्थापित, शीत युद्ध के दौरान वैश्विक दक्षिण के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • NAM ने उन देशों के लिए मंच प्रदान किया जो अमेरिका या सोवियत संघ के साथ संरेखित नहीं थे, और राष्ट्रीय संप्रभुता, हस्तक्षेप न करने और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का समर्थन किया। 
    • NAM की महत्ता शीत युद्ध के बाद भी बनी रही, क्योंकि इसने अंतरराष्ट्रीय मंच पर वैश्विक दक्षिण के हितों की रक्षा जारी रखी।
  • वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन: प्रथम बार आयोजित पहल, जिसमें 125+ देशों ने भाग लिया।
    • भारत ने ऋण, जलवायु, खाद्य, ऊर्जा और डिजिटल विभाजन पर उनकी चिंताओं को प्रस्तुत किया।
  • संयुक्त राष्ट्र सुधारों का समर्थन: UNSC विस्तार के लिए सुदृढ़ समर्थन, जिसमें अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया का प्रतिनिधित्व शामिल हो।
  • डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) निर्यात: भारत के UPI, आधार, CoWIN मॉडल को वैश्विक दक्षिण देशों के साथ साझा करना।
  • वैक्सीन मैत्री (2020-21): भारत ने 100 से अधिक वैश्विक दक्षिण देशों को COVID-19 टीके की आपूर्ति की।
  • ऋण और अनुदान: अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में अवसंरचना, संपर्क, विद्युत और कृषि परियोजनाओं के लिए 30 बिलियन डॉलर से अधिक की प्रतिबद्धता।

निष्कर्ष

  • वैश्विक दक्षिण का हालिया पुनरुत्थान, उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य और वैश्विक मामलों में विकासशील देशों के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।
  • भारत का नेतृत्व वैश्विक दक्षिण के हितों का समर्थन और वैश्विक आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्था के पुनर्संतुलन का समर्थन करके इस परिवर्तन का उदाहरण प्रस्तुत करता है।

Source: TH

 

Other News of the Day

पाठ्यक्रम: GS2/शासन संदर्भ लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर हुए हिंसक युवा प्रदर्शनों में चार लोगों की मृत्यु हो गई और 30 से अधिक घायल हुए। पृष्ठभूमि: केंद्र शासित प्रदेश से असंतोष तक  अगस्त 2019: लद्दाख को जम्मू और कश्मीर से अलग कर एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया,...
Read More

पाठ्यक्रम: GS2/राजव्यवस्था और शासन संदर्भ दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में बॉलीवुड हस्तियों के व्यक्तित्व अधिकारों को अनधिकृत व्यावसायिक उपयोग से बचाने के लिए कई आदेश जारी किए हैं। क्या हैं व्यक्तित्व अधिकार? व्यक्तित्व अधिकार उस अधिकार को दर्शाते हैं जिसके अंतर्गत कोई व्यक्ति अपनी पहचान को गोपनीयता या संपत्ति के अधिकार के अंतर्गत...
Read More

पाठ्यक्रम: GS3/ विज्ञान और प्रौद्योगिकी संदर्भ केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR) / वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की “क्षमता निर्माण और मानव संसाधन विकास (CBHRD)” योजना को मंजूरी दी है। यह योजना पंद्रहवें वित्त आयोग चक्र (2021-22 से 2025-26) के लिए कुल ₹2,277.397 करोड़ के वित्तीय परिव्यय के साथ लागू...
Read More

पाठ्यक्रम: GS2/ राजव्यवस्था और शासन संदर्भ कर्नाटक उच्च न्यायालय ने X कॉर्प द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें भारत सरकार द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79(3)(b) और सहयोग पोर्टल के उपयोग के माध्यम से कंटेंट हटाने के आदेशों को चुनौती दी गई थी। परिचय  कंपनी ने तर्क दिया था कि...
Read More

सुपर टाइफून रागासा पाठ्यक्रम: GS1/ भूगोल समाचार में  सुपर टाइफून रागासा ने पूर्वी एशिया में व्यापक विनाश किया है। परिचय सुपर टाइफून एक अत्यंत प्रचंड तूफान होता है, जो श्रेणी 5 के हरिकेन के समकक्ष होता है, जिसकी गति 253 किमी/घंटा (157 मील/घंटा) तक होती है।  टाइफून, जिनमें सुपर टाइफून भी शामिल हैं, सामान्यतः पश्चिमी...
Read More
scroll to top