क्षमता निर्माण और मानव संसाधन विकास पर CSIR योजना (CBHRD)

पाठ्यक्रम: GS3/ विज्ञान और प्रौद्योगिकी

संदर्भ

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR) / वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की “क्षमता निर्माण और मानव संसाधन विकास (CBHRD)” योजना को मंजूरी दी है।
    • यह योजना पंद्रहवें वित्त आयोग चक्र (2021-22 से 2025-26) के लिए कुल ₹2,277.397 करोड़ के वित्तीय परिव्यय के साथ लागू की जाएगी।

योजना के बारे में 

  • क्रियान्वयन: CSIR द्वारा संचालित, यह योजना भारत भर के सभी अनुसंधान एवं विकास संस्थानों, राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों, उत्कृष्टता संस्थानों और विश्वविद्यालयों को कवर करेगी। 
  • उद्देश्य: युवा शोधकर्ताओं को विश्वविद्यालयों, उद्योगों, राष्ट्रीय अनुसंधान प्रयोगशालाओं और शैक्षणिक संस्थानों में करियर निर्माण के लिए एक संरचित मंच प्रदान करना। 
  • मुख्य क्षेत्र: यह पहल विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग, चिकित्सा, और गणितीय विज्ञान (STEMM) में वृद्धि को लक्षित करती है।
  • CBHRD योजना चार उप-योजनाओं को एकीकृत करती है:
    • डॉक्टोरल और पोस्टडॉक्टोरल फैलोशिप: उन्नत अध्ययन कर रहे युवा शोधकर्ताओं को समर्थन।
    • एक्स्ट्राम्यूरल रिसर्च योजना, एमेरिटस साइंटिस्ट योजना, और भटनागर फैलोशिप कार्यक्रम: अनुसंधान उत्कृष्टता और मेंटरशिप को प्रोत्साहन।
    • पुरस्कार योजनाओं के माध्यम से उत्कृष्टता का प्रचार और मान्यता: विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उत्कृष्ट योगदान को पहचानना।
    • यात्रा और संगोष्ठी अनुदान योजनाओं के माध्यम से ज्ञान साझा करना: वैश्विक अनुसंधान वातावरण और सहयोगी अवसरों के लिए एक्सपोज़र प्रदान करना।

नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहलें

  • IMPRINT (अनुसंधान नवाचार और प्रौद्योगिकी पर प्रभाव): विभिन्न इंजीनियरिंग और तकनीकी क्षेत्रों में अनुसंधान एवं नवाचार को प्रोत्साहित करता है।
  • विज्ञानधारा योजना: भारत की STI प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए S&T अवसंरचना को बढ़ाने, शैक्षणिक संस्थानों में सुसज्जित R&D प्रयोगशालाएं विकसित करने तथा महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए लागू की गई।
  • अटल नवाचार मिशन (AIM): नीति आयोग द्वारा 2016 में स्थापित, भारत में नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए। AIM ने चार कार्यक्रम बनाए हैं:
    • अटल टिंकरिंग लैब्स
    • अटल इनक्यूबेशन सेंटर्स
    • अटल न्यू इंडिया चैलेंजेस और अटल ग्रैंड चैलेंजेस
    • मेंटर इंडिया
  • अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (ANRF): विज्ञान, मानविकी और सामाजिक विज्ञान को जोड़ते हुए एक एकीकृत अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का प्रयास।
  • IIT दिल्ली, गुवाहाटी, खड़गपुर, कानपुर, चेन्नई में अनुसंधान पार्क स्थापित किए गए हैं जो उद्यमिता और उद्योग के बीच एक इंटरफेस प्रदान करते हैं ताकि वे IIT के छात्रों एवं संकाय सदस्यों के साथ मिलकर अपने R&D इकाइयाँ स्थापित कर सकें।

भारत की प्रगति 

  • वैश्विक स्थिति:
    • भारत ने वैश्विक नवाचार सूचकांक 2024 में 133 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में 39वां स्थान प्राप्त किया, जो 2015 में 81वें स्थान से एक महत्वपूर्ण सुधार है।
    • राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन (NSF), अमेरिका के आंकड़ों के अनुसार, भारत अब वैज्ञानिक शोध पत्र प्रकाशनों के मामले में विश्व के शीर्ष तीन देशों में शामिल है।
  • स्टार्टअप में वृद्धि:
  • भारत अब विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र बन गया है, जिसमें 1.92 लाख से अधिक स्टार्टअप हैं, जो 2014 में केवल 500 थे।
  • यह वृद्धि सहायक नीतियों और जीवंत नवाचार परिदृश्य के कारण हुई है।

चुनौतियाँ

  • वित्तीय सीमाएं: सुदृढ़ सरकारी समर्थन के बावजूद, भारत में निजी क्षेत्र का R&D निवेश वैश्विक मानकों की तुलना में सीमित है, जिससे बड़े पैमाने पर नवाचार बाधित होता है।
  • प्रतिभा बनाए रखने की चुनौती: ब्रेन ड्रेन अभी भी जारी है, क्योंकि कुशल शोधकर्ता बेहतर अवसंरचना, वित्त पोषण और करियर अवसरों के कारण विदेश चले जाते हैं।
  • वैश्विक प्रतिस्पर्धा: भारत को क्वांटम कंप्यूटिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डीप-टेक और जैव प्रौद्योगिकी जैसे अग्रणी तकनीकी क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं को तीव्रता से बढ़ाना होगा ताकि वह अपनी वैश्विक स्थिति बनाए रख सके तथा उसे बेहतर बना सके।

आगे की राह 

  • भारत द्वारा अनुसंधान और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए किए गए समन्वित प्रयास विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेतृत्व बनने की रणनीतिक दृष्टि को दर्शाते हैं। 
  • प्रतिभा बनाए रखने, तकनीकी व्यावसायीकरण और वैश्विक साझेदारियों पर निरंतर ध्यान यह सुनिश्चित करेगा कि भारत न केवल राष्ट्रीय चुनौतियों का समाधान करे बल्कि वैश्विक वैज्ञानिक प्रगति में भी महत्वपूर्ण योगदान दे, जिससे सतत विकास एवं तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिले।
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) 
– CSIR एक अनुसंधान एवं विकास संगठन है जो विविध विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान ज्ञान आधार के लिए जाना जाता है। 
– यह 1942 में एक स्वायत्त निकाय के रूप में स्थापित किया गया था और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। 
– CSIR का एक गतिशील नेटवर्क है जिसमें 37 राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं, 39 आउटरीच केंद्र, 1 नवाचार परिसर और तीन इकाइयाँ शामिल हैं, जिनकी भारत भर में उपस्थिति है। 
– CSIR प्रयोगशालाएं जीनोम से भूविज्ञान, खाद्य से ईंधन, खनिज से सामग्री तक के विषयों में विशेषज्ञता रखती हैं।

Source: PIB

 

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